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SEIAA के चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान के ऑफिस में ताला जड़ दिया गया है। मामला SEIAA के पास आईं 400 से ज्यादा प्रोजेक्ट की फाइलों को नियम विरुद्ध तरीके से अनुमतियां जारी करने का है। इस मामले में SEIAA के चेयरमैन ने खुद ही विसिल व्लोअर की भूमिका निभाते हुए पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत मोहन कोठारी और सदस्य सचिव उमा माहेश्वरी के खिलाफ FIR की अनुशंसा की थी।
ऑफिस पहुंचे तो देखा ताला डला है
SEIAA के चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान ने Thesootr को बताया कि आज जब वे ऑफिस पहुंचे तो अपने ऑफिस में ताला डला देख प्यून से कारण पूछा। जिस पर प्यून ने बताया कि अफसर के कहने पर ऐसा किया है। इसके बाद चौहान ने इसकी शिकायत मुख्य सचिव अनुराग जैन से की है। आइए इस मामले का पूरा बैकग्राउंटर समझते हैं।
मध्य प्रदेश में एक गंभीर घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें पर्यावरण विभाग के अधिकारियों पर खनिज माफिया के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचने के आरोप लगे हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए पर्यावरण विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव नवनीत मोहन कोठारी और SEIAA की सदस्य सचिव उमा माहेश्वरी के खिलाफ FIR दर्ज करने की अनुशंसा की गई है।
क्या है सिया का पूरा मामला?
मध्य प्रदेश में पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव आईएएस नवनीत मोहन कोठारी और सिया की सदस्य सचिव आईएएस उमा माहेश्वरी पर गंभीर आरोप लगे हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने पर्यावरणीय अनुमति जारी करने में गड़बड़ी की और खनिज माफियाओं से मिलकर पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन किया। उस समय 237 पर्यावरणीय अनुमति जारी की गई थीं, जिनमें से कई अनुमतियां नियमों के खिलाफ थीं।
चेयरमैन ने भेजा था CS को पत्र
SEIAA (राज्य स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण) के चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान ने मुख्य सचिव अनुराग जैन को 9 जुलाई को एक पत्र भेजा था। इसमें अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई थी। पत्र में आरोप लगाया गया था कि प्रमुख सचिव और सदस्य सचिव ने जानबूझकर पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन किया और माफियाओं से मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचा। पत्र में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने की अनुशंसा की गई है।
मैं तो छुट्टी पर हूं- कोठारी
ऑफिस में ताला जड़ने के मामले में चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान क्या कहते हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता। मैं फिलहाल दो दिन की छुट्टी पर हूं। वापस आने पर ही इस बारे में कुछ कह सकूंगा।
- नवनीत मोहन कोठारी, पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव
खनिज के नाम और मात्रा भी बदल दिए गए थे
पत्र के एक बिंदु में यह भी उल्लेख था कि अध्यक्ष द्वारा बैठक का दिनांक एवं समय निर्धारित करने के बावजूद गंभीर लापरवाहियां बरती गईं- जैसे बैठक की सूचना जारी न करना, एजेंडा का अनुमोदन न लेना, भारत सरकार के निर्देशों का उल्लंघन, SEIAA की बैठकों के निर्णयों को बदल देना, आवेदक का नाम-पता और खनिज की मात्रा बदल देना आदि। कई मामलों में बिना बैठक किए और बिना उचित जांच के डीम्ड अनुमति (स्वीकृति) जारी कर दी गई थी।
मुख्यमंत्री को भी लिखा गया था पत्र
SEIAA के चेयरमैन ने मुख्यमंत्री से भी अपील की थी कि दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और पर्यावरणीय अनुमति देने की प्रक्रिया में हेरफेर के खिलाफ FIR दर्ज की जाए। देखें वह पत्र, जो सीएम और सीएस को लिखा गया है...
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