MP News: JABALPUR. मध्यप्रदेश लोक शिक्षण विभाग की कमिश्नर शिल्पा गुप्ता पर हाईकोर्ट में इतने अवमानना के मामले चल रहे हैं कि अब तो ऐसा लगता है कि कोर्ट की टिप्पणियां या फटकार उनके लिए दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है।
ऐसा ही एक और मामला हाईकोर्ट में सोमवार को सामने आया जब एक रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन से की गई अवैध रिकवरी को वापस करने के हाईकोर्ट के आदेश का पालन ना करने पर शिल्पा गुप्ता ने बहाना बनाया।
रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन से की गई रिकवरी का है मामला
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों से वेतन और पेंशन के नाम पर की गई वसूली से जुड़े मामलों पर सुनवाई करते हुए एक अहम फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट की फुल बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई थी।
कोर्ट ने कहा था कि अगर कर्मचारी ने वेतन या अन्य फायदे लेते समय अपनी मर्जी से कोई वचनबंध (बॉन्ड) दिया था, तो सरकार वसूली कर सकती है, लेकिन जबरदस्ती लिया गया या बहुत पुराने समय का बॉन्ड अब मान्य नहीं होगा।
कोर्ट ने यह भी साफ किया कि अगर सरकार ने 1976 के सेवा नियमों के मुताबिक पूरी कानूनी प्रक्रिया अपनाई है, तो ही वसूली की जा सकती है। इसके साथ ही कोर्ट ने अभी आदेश दिया था कि जिन कर्मचारियों से की गई वसूली गलत पाई जाएगी तो वसूली गई रकम 6% सालाना ब्याज सहित उन्हें लौटाई जाए और सरकार को 31 दिसंबर 2024 तक इन मामलों के निपटारे के लिए आदेशित किया गया था पर सरकार इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी।
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सुप्रीम कोर्ट में हार के बाद भी नहीं हुआ आदेश का पालन, हाईकोर्ट सख्त
मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा फुल बेंच और चीफ जस्टिस की बेंच से जारी आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन लगाई गई थी। अब तक सरकार इसी SLP के सहारे मामले को लटका रही थी, लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट से SLP खारिज होने के बाद भी हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ तब हाई स्कूल के रिटायर्ड प्रिंसिपल मुकुंद लाल तिवारी ने हाईकोर्ट की शरण ली और पिछली सुनवाई में DPI कमिश्नर शिल्पा गुप्ता को कोर्ट के सामने हाजिर रहने के लिए आदेश दिया गया था।
कोर्ट ने कहा अब ट्रेनी अफसर नहीं हो, 7 दिनों में करो आदेश का पालन
सोमवार को इस मामले की सुनवाई जस्टिस ए के सिंह की बेंच में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट से SLP खारिज होने के बाद भी अब तक उनसे की गई अधिक वसूली का भुगतान नहीं किया गया है। जिस पर DPI कमिश्नर शिल्पा गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि लगभग सभी प्रक्रिया हो चुकी हैं अब आदेश जारी करना है और आगे की प्रक्रिया भी 7 से 10 दिन में पूरी हो जाएगी।
इस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आप एक वरिष्ठ अफसर हो कोई ट्रेनिंग अवसर नहीं जो सीएस के के सामने पोस्टिंग के लिए खड़ा हो। तो इस तरह की बात कतई उचित नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सुनिश्चित कीजिए कि आपके द्वारा चलाई गई फाइल पर निश्चित समय पर कार्यवाही की जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने DPI को 7 दिनों का समय दिया है जिसके भीतर याचिकाकर्ता को पूरा भुगतान करना होगा।
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शिल्पा गुप्ता पर हैं 200 से अधिक अवमानना के मामले
आपको बता दें कि इसके पहले भी एक मामले में डीपीआई आयुक्त शिल्पा गुप्ता के खिलाफ हाई कोर्ट 10 हजार रूपये का जमानती वारंट जारी कर चुका है। दरअसल हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती परीक्षा में आरक्षित वर्ग के मैरिटोरियस उम्मीदवारों को उनकी चॉइस फिलिंग के मुताबिक शिक्षा विभाग में नियुक्ति देने के आदेश दिए थे। लेकिन, शिक्षा विभाग ने उन्हें ट्राइलब वैलफेयर विभाग में ही बरकरार रखा गया था। इस पर भी शिल्पा गुप्ता के खिलाफ कोर्ट की अवमानना के मामले की सुनवाई हुई थी।
इस सुनवाई के दौरान बताया गया था कि आईएएस शिल्पा गुप्ता के खिलाफ हाईकोर्ट में कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट के करीब 200 मामले लंबित हैं, जिनसे समझा जा सकता है कि वो अदालत के आदेशों का पालन नहीं करतीं। ऐसे में हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए डीपीआई कमिश्नर शिल्पा गुप्ता के खिलाफ 10 हजार रुपयों का जमानती गिरफ्तारी वारेंट जारी कर दिया था।