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BHOPAL. केंद्रीय कृषि मंत्री एवं मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को एक रुपए,पांच रुपए का क्लैम किसानों को दिए जाने पर बीमा कंपनी अफसरों की खिंचाई की।
उन्होंने कहा कि यह किसानों के साथ ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का भी मजाक है। उन्होंने इसकी जांच कर रिपोर्ट तलब की है।
माननीय केंद्रीय मंत्री श्री @ChouhanShivraj जी ने आज नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के संबंध में उच्च स्तरीय बैठक की।
— Office of Shivraj (@OfficeofSSC) November 3, 2025
इस दौरान केंद्रीय मंत्री जी ने क्लेम जल्दी उपलब्ध कराने और शिकायतों के त्वरित समाधान हेतु अधिकारियों को निर्देशित किया। pic.twitter.com/df6J3pUpKt
चौहान शनिवार को सीहोर दौरे पर पहुंचे थे। इस दौरान अनेक किसानों ने उन्हेंअपनी फसल क्षति के बदले ..1 रुपए, 3 रुपए, 5 रुपए.. दावा राशि मिलने की शिकायत की। केंद्रीय कृषि मंत्री को कुछ इसी तरह की शिकायतें अकोला,महाराष्ट्र के किसानों से भी मिली थी। उन्होंने इसे गंभीरता से लिया।
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1 रुपए क्लैम,यह कैसे संभव ?
शिवराज सोमवार सुबह ही भोपाल से विमान से द्वारा दिल्ली पहुंचे। एयरपोर्ट से वह सीधे कृषि मंत्रालय गए और बीमा कंपनी तथा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नोडल अधिकारी को तलब किया। चौहान ने सीहोर कलेक्टर बालागुरु के. व महाराष्ट्र के कृषि अधिकारी भी वीसी के जरिए बैठक से जुड़े।
उन्होंने बीमा कंपनी को सीहोर व अकोला के उदाहरण गिनाए। चौहान ने अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा- एक रुपए क्लैम राशि..! यह कैसे संभव है? यह क्षति मापने का कौन-सा तरीका है?
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इससे तो सरकार की बदनामी होती है
अधिकारियों के जवाब में बताया कि अलग-अलग फसलों,खसरों के लिए अलग आवेदन और प्रारंभिक पेमेंट के कारण छोटे-छोटे राशि ट्रांज़ेक्शन में दिख रही हैं।
इसे सर्वे के बाद एडजस्ट कर दिया जाता हैं। केंद्रीय मंत्री ने इसे विसंगति बताते हुए कहा कि इससे भ्रम बढ़ता है। सरकारी योजनाओं की बदनामी होती है और किसानों का भरोसा टूटता है।
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रिमोट सेंसिंग सर्वे कितना कारगर,परखें ?
केंद्रीय कृषि मंत्री ने रिमोट सेंसिंग आधारित क्षति आकलन की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि फसल क्षति के इस तरीके पर पुनर्विचार करना चाहिए।
जरूरत पड़ी तो सरकार इस दिशा में कारगर कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि छोटी राशियों के क्लैम मामलों का परीक्षण कर इसमें सुधार करें ताकि ऐसे हास्यास्पद मामले सामने ना आएं।
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सीईओ को मैदानी जांच के दिए कड़े निर्देश
केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के सीईओ को मैदानी स्तर पर जाकर इन मामलों की गंभीरता से जाँच करने के निर्देश भी दिए। चौहान ने सीईओ से कहा कि वह स्थानीय कलेक्टरों की मदद लें और बीमित किसानों से भी बात करें। ताकि वास्तविकता सामने आ सके और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई संभव हो।
दावा भुगतान में देरी बर्दाश्त नहीं
केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि क्लेम भुगतान में देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। नुकसान सर्वे के समय बीमा कंपनी के प्रतिनिधि भी मौजूद रहें ताकि किसी तरह की गड़बड़ी न हो और किसान को वास्तविक हर्जाना मिल सके।
केंद्रीय मंत्री ने ये निर्देश भी दिए
1.फील्ड ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक कर शीघ्र सुधार।
2.कम क्लेम-राशियों की नीति पर पुनर्विचार।
3.रिमोट-सेंसिंग विधि का तृतीय-पक्ष सत्यापन।
4.किसान-समर्थन हेल्पलाइन और ट्रांसपेरेंसी पोर्टल में तुरंत सुधार करें।
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