/sootr/media/media_files/2025/10/09/shramodaya-vidyalaya-2025-10-09-22-08-42.jpg)
BHOPAL. मजदूर परिवार के बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए खोले गए तीन श्रमोदय विद्यालयों में पांच करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा सामने आया है। भोपाल, इंदौर और जबलपुर स्थित श्रमोदय विद्यालयों में चल रही मैस को होने वाला भुगतान दूसरे खातों में कर दिया गया। इसके लिए मैस चलाने वाली कंपनी के मैनेजर, स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी और श्रमोदय विद्यालय के प्राचार्यों की भूमिका संदेह के दायरे में है।
इसके लिए बड़ी साजिश रची गई और मैस चलाने वाली कंपनियों से मिलते- जुलते नाम से बैंक खाते खोले गए और अधिकारियों की मदद से उनमें करोड़ों का भुगतान किया गया। मामले की शिकायत पहुंचने के बाद आर्थिक अपराध ब्यूरो ने भी जांच शुरू कर दी है। वहीं स्कूल शिक्षा विभाग और भवन एवं संनिर्माण कर्मकार मंडल में खलबली मच गई है।
मजदूर बच्चों की सुविधा में सेंध
श्रम विभाग के तहत काम करने वाले भवन एवं संनिर्माण कर्मकार मंडल द्वारा प्रदेश में चार श्रमोदय विद्यालय शुरू किए गए हैं। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में इन आवासीय विद्यालयों में मजदूर परिवार के बच्चों को पढ़ाई के साथ ही आवासीय सुविधा भी उपलब्ध है। बच्चों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए भवन एवं संनिर्माण कर्मकार मंडल द्वारा साल 2021 में मैस संचालन का टेंडर जारी किया गया था।
टेंडर प्रक्रिया के बाद इंदौर और भोपाल श्रमोदय में मैस संचालन का काम महाराष्ट्र की कनका फूड मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और जबलपुर श्रमोदय की मैस की जिम्मेदारी के-स्टार फूड एंड हॉस्पिटेलिटी सर्विसेज को सौंपा गया था। टेंडर की अवधि एक साल के लिए थी लेकिन अधिकारी टेंडर बुलाए बिना इन्हीं कंपनियों के अनुबंध को आगे बढ़ाते रहे। यही दोस्ती सरकारी खजाने में सेंध और कंपनियों के हिस्से के पांच करोड़ के गबन की वजह बनी।
ये खबर भी पढ़िए :
MPPSC-ESB के 13 फीसदी पद अनहोल्ड होने से खुलेगा 10 हजार नियुक्तियों का रास्ता !
शिक्षा विभाग की चूक या साठगांठ
भवन एवं संनिर्माण कर्मकार मंडल द्वारा शुरू किए गए श्रमोदय विद्यालयों को साल 2022 में स्कूल शिक्षा विभाग को सौंप दी गई थी। साल 2021 में हुआ मैस संचालन अनुबंध 2022 में खत्म होने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने 2023 तक जारी रखा। स्कूल शिक्षा विभाग को अनुबंध खत्म होने के बाद नए सिरे से स्वयं टेंडर बुलाना था या कर्मकार मंडल को इसकी मांग भेजनी थी।
अधिकारियों ने अपने फायदे और कंपनी के प्रतिनिधि से साठगांठ के चलते ऐसा नहीं किया। इसके बाद भी दोबारा टेंडर नहीं बुलाए गए और छह-छह माह के लिए दोनों कंपनियों को मैस संचालन की जिम्मेदारी दी जाती रही।
ये खबर भी पढ़िए :
BRO Recruitment 2025 : 542 पदों पर 10वीं पास को नौकरी, 11 अक्टूबर से करें आवेदन
सामने आई करोड़ों की हेराफेरी
श्रमोदय विद्यालय इंदौर और भोपाल में मैस चलाने वाली कंपनी कनका फूड मैनेजमेंट और जबलपुर में मैस चलाने वाली कंपनी के-स्टार के मालिक एक ही हैं। इनके मैनेजर गौरव शर्मा ने मूल कंपनियों के मिलते- जुलते नाम से बैंक अकाउंट खोले जिनमें श्रमोदय विद्यालयों से अलग- अलग माह में भुगतान किया गया।
महीनों तक मैस का भुगतान न होने पर दोनों कंपनियों ने संपर्क किया तो पता चला कि श्रमोदय विद्यालयों पर राशि बकाया नहीं है। श्रमोदय विद्यालयों से भुगतान की जानकारी जुटाने पर गड़बड़झाला सामने आ गया। जिन खातों में भुगतान किया गया था वे के-स्टार फूड एंड हॉस्पिटेलिटी सर्विसेज और कनका फूड मैनेजमेंट सर्विसेज प्रा.लि. के नहीं थे। ये बैंक खाते फर्जी तरीके से खोले गए थे।
ये खबर भी पढ़िए :
दिल्ली से लंदन जाना असान, एयर इंडिया ने शुरू की नई उड़ानें, हर दिन चलेंगी चार फ्लाइट्स
श्रमोदय में कैसे बदले बैंक खाते
पांच करोड़ रुपए की हेराफेरी के शिकायतकर्ता सौरभ गुप्ता ने बैंक खातों में हुए भुगतान की जानकारी भी ईओडब्ल्यु को दी है। फर्जीवाड़े में मिलते- जुलते नाम से फर्जी बैंक खाते खुलवाने वाले मैनेजर पवन शर्मा पर संदेह जताया है। वहीं कनका फूड मैनेजमेंट सर्विसेज प्रा.लि. और के-स्टार फूड एंड हॉस्पिटेलिटी सर्विसेज से अनुबंध के बावजूद अलग बैंक खातों में भुगतान पर मिलीभगत की आशंका जताई गई है।
गुप्ता का कहना है फर्मों के नाम श्रमोदय विद्यालय के रिकॉर्ड से बदले गए हैं। मूल कंपनियों की जगह दूसरे अकाउंट पर भुगतान करने से पहले कंपनी को सूचना दी जानी चाहिए लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ। इसमें शिक्षा विभाग के इंदौर, भोपाल और जबलपुर के संयुक्त संचालक, तीनों श्रमोदय विद्यालयों के प्राचार्य, अकाउंटेंट की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। उसकी जांच भी जरूरी है।
ये खबर भी पढ़िए :
जीपी मेहरा के 4 ठिकानों से अबतक 3 करोड़ का सोना, करीब 36 लाख कैश और 17 टन शहद जब्त
गबन पर अफसरों की चुप्पी
मैस के भुगतान की राशि फर्जी बैंक खातों में ट्रांसफर करने के मामले पर लोक शिक्षण संचालनालय और श्रमोदय आवासीय विद्यालयों के प्राचार्यों ने चुप्पी साध ली है। भुगतान शाखा में रिकॉर्ड बदलने और नाम अलग होने के बाद भी राशि ट्रांसफर करने के संबंध में बात करने पर लोक शिक्षण आयुक्त शिल्पा गुप्ता ने कोई जवाब ही नहीं दिया। वहीं स्कूल शिक्षा विभाग की संयुक्त संचालक इंदौर अनीता चौहान ने भी मामले जी जानकारी लेकर कार्रवाई करने का कहते हुए टाल दिया। भोपाल श्रमोदय विद्यालय के प्राचार्य वीरेन्द्र प्रताप दुबे ने भी शिकायत मिलने के 10 दिन बाद भी अपने स्तर पर कार्रवाई नहीं की है।