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BHOPAL. श्रमोदय विद्यालयों की मैस के 5 करोड़ का भुगतान दूसरे खातों में करने पर डीपीआई ने प्राचार्यों से जवाब तलब किया है। जिस अवधि में तीनों श्रमोदय विद्यालयों में यह गड़बड़ी हुई है उस दौरान तैनात रहने वाले सभी प्राचार्यों से इस मामले में जवाब मांगा गया है।
साल 2024-25 के अलग-अलग महीनों में हुए इस गबन की शिकायत के बाद आर्थिक अपराध ब्यूरो भी हरकत में आ गया है। लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) ने भोपाल, इंदौर और जबलपुर के विद्यालय प्रबंधन को इस गंभीर चूक के संबंध में नोटिस जारी किया है।
पूर्व और वर्तमान प्राचार्य को दिए नोटिस
विद्यालयों की मैस के पांच करोड़ की हेराफेरी सामने आने पर संयुक्त संचालक लोक शिक्षण ने प्राचार्यों से जवाब तलब किया है। डीपीआई ने भोपाल श्रमोदय में भुगतान अवधि के दौरान पदस्थ रहे तत्कालीन प्राचार्य विजय सिंह महोबिया, एसपी सिसोदिया, राजेश शर्मा, प्रदीप राजावत के अलावा वर्तमान प्राचार्य योगेन्द्र प्रताप दुबे और लेखापाल लीना विश्वकर्मा को नोटिस जारी किया है।
इसमें वास्तविक कंपनी की जगह दूसरे खातों में राशि जमा करने की गड़बड़ी पर जवाब मांगा है। वहीं आर्थिक अपराध ब्यूरो ने भी इस पर पड़ताल शुरू कर दी है। इस आर्थिक गड़बड़ी ने विद्यालयों के संचालन पर सालाना करोड़ों रुपए का बजट उपलब्ध कराने वाली संस्था भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार मंडल में भी हलचल मच गई है।
मिलते-जुलते नामों से खोले गए अकाउंट
कंपनी कनका फूड और के-स्टार हॉस्पिटेलिटी ने भुगतान न होने पर श्रमोदय विद्यालय प्रबंधन से पत्राचार किया। जवाब में जब श्रमोदय विद्यालयों ने कंपनियों को जानकारी भेजी तब 5 करोड़ का गड़बड़झाला सामने आ गया। जिन बैंक खातों में भुगतान किया गया था वे दोनों कंपनियों के थे ही नहीं, बल्कि फर्जी तरीके से मिलते- जुलते नामों से खोले गए थे।
कंपनियों की आपत्ति को शुरूआत में श्रमोदय प्रबंधन नकारता रहा। इस बीच मैस प्रबंधक गौरव शर्मा का एक पत्र सामने आ गया। पवन ने यह पत्र भोपाल, इंदौर और जबलपुर के श्रमोदय विद्यालय प्रबंधन को लिखे थे। इन्हीं पत्रों के आधार पर असली कंपनियों के बैंक अकाउंट बदल पांच करोड़ की हेराफेरी की गई थी।
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कंपनी को बिना बताए बदले बैंक खाते
श्रमोदय विद्यालय प्रबंधन और स्कूल शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत पर सवाल उठ रहे हैं। ईओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज कराने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सौरभ गुप्ता का कहना है श्रमोदय विद्यालयों के अकाउंट शाखा में फर्जीवाड़ा हुआ है।
कंपनियों के बैंक खातों को बदलकर फर्जी अकाउंट में भुगतान कराया गया। मैस संचालन के अनुबंध के दौरान कंपनियों ने जो बैंक खाते रिकॉर्ड में दर्ज कराए थे उन्हें कैसे बदल दिया गया। श्रमोदय विद्यालयों के प्राचार्य, स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक सहित अकाउंट शाखा की भूमिका को भी संदिग्ध बना रहा है।
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मजदूरों के बच्चों की मैस में गड़बड़झाला
श्रम विभाग द्वारा साल 2021 में संनिर्माण एवं कर्मकार मंडल के माध्यम से मध्य प्रदेश में चार श्रमोदय विद्यालय शुरू किए थे। साल 2022 से इनका प्रबंधन स्कूल शिक्षा विभाग के पास है।
भोपाल और इंदौर श्रमोदय की मैस संचालन का अनुबंध कनका फूड मैनेजमेंट सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ हुआ था। वहीं जबलपुर में के-स्टार हॉस्पिटेलिटी सर्विसेज को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। साल 2024 में अचानक तीनों श्रमोदय विद्यालयों के रिकॉर्ड में मिलते- जुलते नामों से बैंक अकाउंट बदल दिए गए।