श्यामला हिल्स झुग्गी मामला: हाईकोर्ट ने लगाई रोक, नोटिस जारी

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने श्यामला हिल्स भोपाल में झुग्गिया हटाने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने एसडीओ के फैसले पर सवाल उठाए हैं। 90 दिन में अपील निपटाने का आदेश दिया।

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Neel Tiwari
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JABALPUR. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने श्यामला हिल्स में झुग्गियों की बेदखली पर रोक लगा दी है। यह आदेश भोपाल के मुख्यमंत्री निवास के पास है। कोर्ट ने अपील लंबित रहने पर गंभीर सवाल उठाए हैं। याचिकाकर्ताओं के मकान गिराने पर रोक बरकरार रखी गई है। मामले में अब प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए गए हैं।

जबलपुर हाईकोर्ट में दायर हुई याचिका

जबलपुर हाईकोर्ट में WP-50542-2025 (मान सिंह एवं अन्य बनाम राज्य शासन) पर 29 दिसंबर 2025 को वेकेशनल बेंच में सुनवाई हुई। इसका आदेश अब सामने आया है।

यह याचिका श्यामला हिल्स, भोपाल की सरकारी भूमि से बेदखली के खिलाफ दायर की गई थी। 25 अगस्त 2025 को नायब तहसीलदार ने आदेश पारित किया था। आदेश में म.प्र. भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 248 के तहत कार्रवाई का निर्देश दिया गया था।

तोड़फोड़ की आशंका

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज शर्मा ने कहा। बेदखली आदेश के खिलाफ म.प्र. भू-राजस्व संहिता की धारा 44(1) के तहत सितंबर 2025 में अपील दायर की गई थी। महीनों तक उस पर कोई आदेश नहीं हुआ। इसके बावजूद प्रशासन आवासीय मकानों को गिराने की तैयारी कर रहा था। यह जानकारी समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थी।

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वन अधिकार का दावा भी लंबित

याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि वे संबंधित भूमि पर पीढ़ियों से निवास कर रहे हैं। उन्होंने वन अधिकार अधिनियम के तहत अधिकार प्राप्त करने के लिए आवेदन किया है। यह तथ्य लंबित अपील का भी हिस्सा है। ऐसे में अपील का निर्णय हुए बिना बेदखली की कार्रवाई कानून और न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है।

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राज्य सरकार की आपत्ति

राज्य शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता सुयश ठाकुर ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता पहले ही वैधानिक अपील कर चुके हैं। इसलिए रिट याचिका समानांतर कार्यवाही है। उन्होंने यह भी कहा कि याचिका में लंबित अपील का उल्लेख नहीं किया गया। वन अधिकार के लिए आवेदन बेदखली आदेश के बाद किया गया है।

90 दिनों में अपील के निराकरण के निर्देश

जस्टिस अमित सेठ ने मामले के गुण-दोष में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ताओं को राहत दी। कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता चार कार्य दिवसों में एसडीओ (नजूल) भोपाल के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करें। एसडीओ को सात दिनों में निर्णय लेने और अपील को 90 दिनों में निपटाने का निर्देश दिया गया।

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तोड़फोड़ पर स्पष्ट रोक

कोर्ट ने आदेश दिया कि एसडीओ के निर्णय तक मकान नहीं गिराए जाएंगे। कोर्ट ने कहा कि यदि तय समय में आवेदन नहीं दिया गया, तो अंतरिम राहत समाप्त हो जाएगी।

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SDO के फैसले पर विवाद

सुनवाई के बाद राज्य के अधिवक्ता ने बताया कि एसडीओ भोपाल ने याचिका का निर्णय किया। याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ अधिवक्ता ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि रिट याचिका दायर करते समय कोई आदेश या सुनवाई की जानकारी नहीं दी गई थी।

अगली सुनवाई तक राहत बरकरार

हाईकोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और अगली सुनवाई तक मकानों को गिराने पर रोक लगा दी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह किसी पक्ष के दावे पर राय नहीं व्यक्त कर रहा है। अंतिम निर्णय कानून के अनुसार होगा।

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