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JABALPUR. सिहोरा को जिला बनाने की घोषणा पर कार्रवाई शून्य रही है। अब जनता सड़कों पर उतर चुकी है। तीन लोगों ने आत्मदाह की तारीख भी घोषित कर दी है। पार्षद भी मांग पूरी न होने पर इस्तीफा दे रहे हैं।
सिहोरा को जिला बनाने की घोषणा वर्षों पहले की गई थी। लेकिन आज तक प्रशासनिक स्तर पर कोई कदम नहीं उठाया गया। न अधिसूचना जारी हुई, न सीमांकन, न प्रस्ताव आगे बढ़ा। लंबे इंतजार और सरकारी चुप्पी ने जनता का धैर्य खत्म कर दिया। सिहोरा और खितौला में दूसरे दिन भी पूरा बंद रहा। लोग सड़कों पर उतरकर अपने हक की मांग कर रहे हैं।
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टायर जलाए, पुतला फूंका, पूरा क्षेत्र बंद
बंद के दौरान हजारों की भीड़ सड़क पर उतरी और जगह–जगह पर टायर जलाकर विरोध दर्ज किया। झंडा बाजार में शासन का पुतला फूंका गया, जिससे तनावपूर्ण माहौल बन गया। बाजार, दुकानें, परिवहन सब कुछ पूरी तरह ठप रहा। जनता का एक ही संदेश था कि जिस जिले का वादा एमपी सरकार कर चुकी है, अब उसकी औपचारिक घोषणा में देरी क्यों?
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प्रमोद साहू का अडिग संकल्प
आमरण सत्याग्रह पर बैठे प्रमोद साहू पूरे आंदोलन का केंद्र बने हुए हैं। मंच पर पहुंचते ही उपस्थित हजारों लोग भावुक हो उठे। साहू ने स्पष्ट घोषणा की कि उनका अन्न-जल त्याग तब तक जारी रहेगा जब तक सिहोरा जिला घोषित नहीं किया जाता। उनके इस संकल्प ने भीड़ में नई ऊर्जा भर दी और आंदोलन की तीव्रता और बढ़ गई।
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आत्मदाह की धमकी दी
भारी तनाव के बीच तीन नागरिकों ने आत्मदाह की सार्वजनिक घोषणा कर दी है। जाकिर खान ने 12 दिसंबर, पल्लू महाराज ने 16 दिसंबर और वरिष्ठ अधिवक्ता राजकुमार तिवारी ने 1 जनवरी को आत्मदाह करने की बात कही है। इन घोषणाओं ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है और प्रशासन की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं। आंदोलनकारियों का कहना है कि वर्षों से की गई अनदेखी का यही परिणाम है।
पार्षद भी मैदान में उतरे
आंदोलन को तब और मजबूती मिली जब भाजपा पार्षद बेबी विनय पाल, कांग्रेस पार्षद राजेश चौबे और अरशद खान समेत छह पार्षदों ने सामूहिक इस्तीफे की घोषणा की। जनता ने इसे अपने संघर्ष का बड़ा समर्थन माना। विरोध और तीव्र हो गया। स्थानीय लोगों ने कहा कि यह अब जनसम्मान का मुद्दा बन चुका है।
नारेबाजी से गूंज उठा सिहोरा-खितौला
दोपहर तीन बजे हजारों लोगों की विशाल रैली सिहोरा खितौला के मुख्य मार्गों से गुजरी। सिहोरा जिला बनाओ, अब और इंतजार नहीं जैसे नारों से पूरा शहर गूंज उठा। रैली में शामिल लोग सरकार से जवाब चाहते थे कि जब घोषणा हो चुकी थी तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? प्रशासन की चुप्पी ने जनता में उपेक्षा की भावना को और ज्यादा बढ़ा दिया है।
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बढ़ते जनाक्रोश से संकेत साफ
सिहोरा जिला बनाने की मांग: स्थानीय नागरिकों का कहना है कि आंदोलन बड़ा और उग्र रूप ले सकता है। जनता का धैर्य जवाब दे चुका है। लोग कह रहे हैं कि जिला निर्माण अब जनआंदोलन का संकल्प बन चुका है। यदि सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो विरोध और व्यापक हो सकता है।
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