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BHOPAL. सिंगरौली के धिरौली ब्लॉक में मप्र कांग्रेस के दिग्गज नेताओं व पुलिस, प्रशासन के बीच जमकर विवाद हुआ। पुलिस ने कांग्रेस नेताओं को प्रभावित इलाके में जाने से रोक दिया। इससे नाराज नेता और उनके समर्थक धरने पर बैठ गए।
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी के नेतृत्व में 11 सदस्यीय जांच दल बुधवार सुबह सिंगरौली पहुंचा। स्थानीय लोगों और प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत के बाद जांच दल ने वन कटाई प्रभावित क्षेत्र की ओर बढ़ने की कोशिश की। मौके पर मौजूद भारी पुलिस ने बेरीकेड्स लगाकर उन्हें रोक दिया।
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पुलिस अफसरों से जमकर नोंकझोंक
प्रभावित इलाके में जाने से रोकने पर कांग्रेस नेताओं की पुलिस अधिकारियों से तीखी नोंकझोंक भी हुई। उन्होंने प्रभावित वन क्षेत्र में जाने देने की मांग भी रखी, लेकिन पुलिस अफसरों ने इससे इंकार कर दिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, विधायक जयवर्धन सिंह और अन्य सदस्य सड़क पर धरने पर बैठ गए। बड़ी संख्या में उनके समर्थक भी मौजूद थे। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस दौरान शासन, प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।
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होना है 6 लाख पेड़ों की कटाई
दरअसल,सिंगरौली के धिरौली ब्लॉक में अडानी समूह की कंपनी स्ट्राटेक मिनरल रिर्सोसेज को कोल ब्लॉक आवंटित हुआ है। इसके लिए कंपनी को 2672 हेक्टेयर जमीन लीज पर दी गई है। इसमें से करीब 1335 हेक्टेयर वन क्षेत्र हैं।
वन विभाग इस जंगल के 6 लाख पेड़ों की कटाई कर कंपनी को समतल जमीन मुहैया कराएगा। इसके लिए पेड़ों की कटाई जारी है। वन क्षेत्र में बसे आधा दर्जन से अधिक गांव के आदिवासी भी विस्थापित किए जाने हैं। इसका विरोध हो रहा है।
सदन में जवाब नहीं दे सके वन राज्य मंत्री
कांग्रेस ने राज्य विधानसभा के पिछले मानसून सत्र में भी यह मामला जोर शोर से उठाया था। वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार सदन में यह नहीं बता सके कि धिरौली, जो 2023 में 5वीं अनुसूची में शामिल था, वह दो साल में कैसे बाहर हुआ। पेसा एक्ट धिरौली से कब हटाया गया, यह भी नहीं बताया गया।
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जांच समिति में ये नेता हैं शामिल
सदन में संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर जीतू पटवारी ने सिंगरौली मामले की जांच के लिए 11 सदस्यीय समिति गठित की है। इसमें पटवारी के अलावा, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार,वरिष्ठ नेता राजेंद्र कुमार सिंह,अजय सिंह, कमलेश्वर पटेल, जयवर्धन सिंह, बाला बच्चन, हेमंत कटारे, विक्रांत भूरिया, ओंकार सिंह मरकाम, पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन, हिना कांवरे शामिल हैं।
इन बिंदुओं पर की जानी है जांच
बड़े-पैमाने पर हो रही कटाई की जांच को लेकर जांच के ये बिंदु तय किए गए। इनमें किस क्षेत्र में पेड़ कटे,पेड़ों की कटाई से हो रहे नुकसान, स्थानीय लोगों की आपत्ति व विभागीय अनुमति आ​दि शामिल है।
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प्रभावित इलाके का मैदानी परीक्षण
समिति को प्रभावित उन सभी क्षेत्रों का निरीक्षण करना है, जहां कटाई की शिकायतें सामने आई हैं। इनमें कोल प्रोजेक्ट और खनन क्षेत्र, ग्राम वन क्षेत्रों की सीमा संरक्षित व राजस्व जंगल शामिल है।
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स्थानीय जनता से बातचीत
समिति को अलग-अलग पक्षों से सीधे जानकारी लेना है। इनमें ग्राम पंचायतें, वन समिति सदस्य, स्थानीय किसान व आदिवासी परिवार, सरपंच, जनपद सदस्य एवं सामाजिक व पर्यावरण कार्यकर्ता शामिल है।
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अधिकारियों से जवाब-तलब,बातचीत
समिति जिला प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों से भी जवाब मांगना है। इनमें किस आदेश के आधार पर कटाई हुई, अनुमति किसने दी, कितने पौधे/पेड़ ‘किल्ड’, ‘फेल’, ‘मार्क्ड’ बताए गए और क्या पर्यावरण अनुपालन रिपोर्ट बनी जैसे सवाल शामिल हैं।
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