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JABALPUR.मध्यप्रदेश में पेड़ों की कटाई पर लगी रोक के बावजूद सिंगरौली में अवैध कटाई जारी है। अब यह मामला सीधे हाईकोर्ट की निगरानी में आ गया है। अदानी ग्रुप की धिरौली कोल माइन परियोजना से जुड़ा हस्तक्षेप आवेदन लिस्ट कर लिया गया है। इससे मामले ने नया मोड़ ले लिया है।
17 दिसंबर की सुनवाई अब बेहद अहम मानी जा रही है। इस दिन हस्तक्षेप आवेदन पर भी सुनवाई होगी। कोर्ट वन कटाई विवाद की अधिकृत जानकारी मांग सकता है।
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हस्तक्षेप आवेदन लिस्ट, अडाणी ग्रुप के लिए झटका
जबलपुर हाईकोर्ट ने धिरौली कोल माइन में पेड़ों की कटाई को लेकर दायर IA नंबर 23468/2025 को लिस्ट कर लिया है। अधिवक्ता मोहित वर्मा ने आवेदन दायर किया है। आवेदन में खबरों, वीडियो और स्थानीय विरोधों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हालांकि हमने इस मामले की लिस्टिंग चेक की।
अडाणी ग्रुप की धिरौली कोल माइन परियोजना से जुड़ा हस्तक्षेप आवेदन लिस्ट कर लिया गया है। हस्तक्षेप लिस्ट होने के साथ ही यह मामला कोर्ट के suo-moto पेड़ कटाई केस से जुड़ गया है। यह अडाणी ग्रुप के लिए बड़ा कानूनी झटका हो सकता है।
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धिरौली कोल ब्लॉक में लाखों पेड़ों पर खतरा
अडानी पेड़ कटाई विवाद: धिरौली क्षेत्र में प्रस्तावित कोल माइन लगभग 1400 हेक्टेयर वन भूमि पर विकसित की जा रही है। पर्यावरणीय रिपोर्टों के अनुसार लगभग 5.7 से 6 लाख पेड़ काटने का प्रस्ताव है। इनमें कई मूल्यवान कठोर लकड़ी वाली प्रजातियां शामिल हैं, जिनका संरक्षण आवश्यक बताया गया है।
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आदिवासी विरोध और पुलिस बंदोबस्त बढ़ा तनाव
स्थानीय आदिवासी समुदाय ने FRA, पेसा कानून और ग्राम सभा की सहमति की अनदेखी का आरोप लगाया है। कटाई शुरू की गई है। क्षेत्र में धारा 144 लागू है। कई नेताओं को हिरासत में लिया गया है। मीडिया पर भी रोक जैसी स्थिति बनी है। विरोध बढ़ने के बाद मामला कोर्ट में पहुंच चुका है।
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NGT और कोर्ट आदेश की अवहेलना के आरोप
हाईकोर्ट पहले ही साफ कर चुका है कि NGT कमेटी की अनुमति के बिना एक भी पेड़ नहीं काटा जा सकता। इसके बाद भी सिंगरौली में कटाई जारी रहने के आरोप अदालत को चिंतित कर रहे हैं। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार कोर्ट 17 दिसंबर को सरकार व अडाणी ग्रुप से कड़े जवाब तलब कर सकता है।
17 दिसंबर की सुनवाई निर्णायक
Adani Coal Mine: हाईकोर्ट यह भी जांचेगा कि वन भूमि हस्तांतरण, स्टेज-II फॉरेस्ट क्लियरेंस, ग्राम सभा अनुमोदन और पुनर्वास नियमों का पालन हुआ या नहीं। इससे पहले सागर कलेक्टर कार्यालय परिसर, रेलवे और अन्य विभागों द्वारा पेड़ कटाई के मामलों पर भी कोर्ट सख्त टिप्पणी कर चुका है। अब सिंगरौली केस संज्ञान में आने से फैसला पर्यावरण संरक्षण के बड़े दिशानिर्देश तय कर सकता है।
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