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Photograph: (THESOOTR)
BHOPAL.
राज्य पुलिस सेवा (एसपीएस) से भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) संवर्ग में पदोन्नति की प्रक्रिया पर जाति प्रमाण पत्र विवाद ने ब्रेक लगा दिया है। 12 सितंबर को हुई विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की कार्रवाई सरकार ने निरस्त कर दी है। ऐसा पहली बार हुआ है जब प्रदेश में किसी डीपीसी को रद्द किया गया हो।
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जाति प्रमाण पत्र ने लगाया पेंच
सूत्रों के मुताबिक,इस डीपीसी में पांच अधिकारियों को पदोन्नत किया जाना था, लेकिन 1997 बैच के अधिकारी अमृत मीणा के जाति प्रमाण पत्र से जुड़े दस्तावेजों में उलझन सामने आने के बाद पूरी प्रक्रिया जांच के घेरे में आ गई। साथ ही एक अन्य दावेदार के खिलाफ विभागीय जांच भी जारी है।
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जिम्मेदार अफसरों ने साधी चुप्पी
सूत्रों के अनुसार, डीपीसी रद्द होने के पीछे इन्हीं दो मामलों को प्रमुख वजह माना जा रहा है। हालांकि, किसी भी वरिष्ठ अधिकारी ने इस पर सार्वजनिक टिप्पणी करने से परहेज किया है।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के सदस्यों की उपस्थिति में भोपाल में हुई बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन, डीजीपी कैलाश मकवाणा और अपर मुख्य सचिव गृह शिव शेखर शुक्ला शामिल हुए थे। सामान्यत: डीपीसी के 15-20 दिन में पदोन्नति की अधिसूचना जारी हो जाती है, पर इस बार डेढ़ माह बाद इसे रद्द कर दिया गया।
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15 अधिकारियों के नामों पर हुआ था विचार
डीपीसी में 1997 और 1998 बैच के कुल 15 अधिकारियों के नामों पर चर्चा हुई थी -इनमें सीताराम सस्त्या, अमृत मीणा, विक्रांत मुराब, सुरेंद्र जैन, आशीष खरे, राजेश रघुवंशी, निमिषा पांडेय, राजेश मिश्रा, मलय जैन, अमित सक्सेना, मनीषा पाठक, सुमन गुर्जर, संदीप मिश्रा, सव्यसाची सर्राफ और समर वर्मा शामिल थे।
अब 21 नवंबर को अगली बैठक के आसार
सूत्रों के मुताबिक,डीपीसी के लिए अगली बैठक अब 21 नवंबर को होने के आसार हैं। यह पहला मौका है ​जब डीपीसी की पहली बैठक को निरस्त कर दूसरी तारीख तय की गई। आगे भी यही हालात रहे तो 2024 की पदोन्नति प्रक्रिया तो टलेगी ही, साथ ही 2025 में होने वाली अगली पदोन्नति भी प्रभावित होने की संभावना है।
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