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INDORE. राज्य सेवा परीक्षा 2025 प्री में आवेदन की लिंक फिर से खुलने का इंतजार हजारों उम्मीदवारों का था लेकिन उन्हें निराशा मिली है। हाईकोर्ट में कुछ उम्मीदवार विविध कारण से गए थे और उन्हें राहत देते हुए हाईकोर्ट ने आयोग को लिंक फिर से खोलने के आदेश दिए। इसके बाद यह लिंक फिर से 3 से 6 फरवरी तक चार दिन के लिए खोली गई। अब सवाल है कि यह कोर्ट आवेदक के लिए खुल सकती है तो फिर बाकी के लिए क्यों नहीं, क्या हाईकोर्ट का आदेश और पीएससी की सुविधा केवल अमीर और सक्षम उम्मीदवारों के लिए है।
गरीब उम्मीदवारों के लिए क्या राहत नहीं
प्री के आवेदन के लिए इस बार सबसे कम समय 3 से 17 जनवरी तक का ही मिला था। इसमें बीच में तहसीलदारों की हड़ताल के चलते कई उम्मीदवार ईडब्ल्यूएस का सर्टिफिकेट नहीं बनवा सके। वहीं अन्य किसी कारण से आवेदन नहीं कर सके। इसके चलते लगातार मांग उठी कि कुछ दिन के लिए और विंडो खोली जाए लेकिन आयोग ने मना कर दिया। उधर कुछ उम्मीदवार हाईकोर्ट गए और उन्हें राहत मिल गई। अब सवाल यह है कि जब विंडो खुली ही है तो फिर सभी को इसके लिए मौका देने में आयोग का क्या बिगड़ता था। इस पर आयोग चुप है। इसी तरह की कार्यशैली के चलते आयोग लगातार विवादों में आ रहा है।
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हाईकोर्ट का आदेश तो सभी पर लागू होते हैं
हाईकोर्ट ने भले ही आवेदन करने वालों को यह राहत दी है लेकिन हाईकोर्ट के इसी आदेश को सभी पर लागू करने की छूट आयोग के पास है और वह अपने स्तर पर यह फैसला कर सकता है। जब पीएससी 2023 के प्री के सवालों को लेकर सवाल उठा था, और हाईकोर्ट ने दो सवालों को गलत बताया था, अंतरिम आदेश में हाईकोर्ट ने पहले कुछ उम्मीदवारों को मेंस में बैठने के लिए पात्र माना और अंतिम आदेश में अपने आदेश को सभी उम्मीदवारों के लिए लागू करने का कहा और साफ शब्दों में कहा कि कोई भी आदेश सभी पर लागू होता है, उन्होंने एक अन्य आदेश का भी हाईकोर्ट के हवाला दिया था।
सभी के लिए खुलना चाहिए विंडो
हाईकोर्ट के कोई भी आदेश यदि किसी परीक्षा को लेकर है तो यह किसी उम्मीदवार विशेष पर लागू नहीं किया जा सकता है, जब तक कारण विशेष नहीं हो, यह तो VIP जैसा ट्रीटमेंट वाली बात हो गई। ऐसे में सवाल हमेशा यही है कि क्या हाईकोर्ट जा सकने वाले सक्षम उम्मीदवारों के लिए ही पीएससी काम करेगा और एक सामान्य मामला से जुड़ा आदेश सभी पर लागू क्यों नहीं किया जा रहा है, और वह आदेश जिससे पीएससी का बिगड़ता कुछ नहीं है, विंडो कुछ के लिए खोले या सभी के लिए क्या फर्क पड़ता है। जो आवेदन से चूक गए उनके भविष्य के साथ आयोग खिलवाड़ कैसे कर सकता है।
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उम्मीदवारों के पास क्या रास्ता
सीधा रास्ता है कि जो चूक गए हैं वह इस कोर्ट केस का हवाला देकर अर्जेंट हियरिंग में जाएं और इसी आधार पर एक कॉमन आदेश की मांग करें कि दो दिन के लिए विंडो खोली जाए। लेकिन मुद्दा वही है कि यह काम वही उम्मीदवार कर सकते हैं जो रुपए से सक्षम हो और हाईकोर्ट जाने के लिए अधिवक्ता कर सकते हो।
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पहले ही कम आवेदन
इस परीक्षा के लिए पहले ही अभी तक के रिकॉर्ड में सबसे कम आवेदन मात्र 1.18 लाख आए हैं, भर्ती के लिए 158 पद ही है। साल 2019 में पौने चार लाख आवेदन आए थे। इस तरह देखें तो आवेदकों की संख्या लगातार गिरती जा रही है और इसकी वजह कम पद, 87-13 फार्मूले के साथ ही आयोग की कार्यशैली भी है।