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भोपाल।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिवस 17 सितंबर को आता है,लेकिन मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग इसे तीन दिन बाद ही मनाता है। विभाग के राहतगढ़ शासकीय महाविद्यालय से जारी आदेश तो यही बताता है। इसमें आगामी 20 सितंबर को प्रधानमंत्री के जन्मदिवस का हवाला देकर कॉलेज परिसर में स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन किया गया है।
मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा किस हद तक बेपटरी है,सागर जिले में राहतगढ़ कॉलेज प्रभारी प्राचार्य के हवाले से जारी उक्त आदेश इसकी बानगी है। हैरत की बात यह कि कॉलेज प्रभारी प्राचार्य का दायित्व महाविद्यालय के ही एक तृतीय श्रेणी बाबू अनिल अहिरवार संभाल रहे हैं।
विभागीय कैलेंडर को किया दरकिनार
उच्च शिक्षा विभाग 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक सेवा पखवाड़ा मना रहा है। पखवाड़े के दौरान होने वाली गतिविधियों को लेकर विभाग की ओर से एक कैलेंडर भी जारी किया गया। इसमें 20 सितंबर को सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम,व्याख्यान आदि आयोजित किए जाने हैं।
जबकि रक्त दान व रक्त परीक्षण शिविर 25 सितंबर को होने हैं,लेकिन बाबू से प्रभारी प्राचार्य बने अनिल अहिरवार ने बुधवार को एक आदेश जारी किया।
इसमें आगामी 20 सितंबर को प्रधानमंत्री का जन्म दिन बताते हुए इसी दिन स्वास्थ्य परीक्षण शिविर आयोजित करने की बात कही गई। यही नहीं,इसके लिए जिले के तीन चिकित्सकों को भी पाबंद किया गया है।
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नियम दरकिनार,भरोसेमंद बाबू बना प्राचार्य
महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ.चंदन सिंह सागर आकस्मिक अवकाश पर हैं। छुट्टी पर जाने से पहले उन्होंने अपने पद का दायित्व अपने भरोसेमंद लेखापाल अनिल को सौंपा था ,हालांकि विभागीय नियम व निर्देश यही हैं कि इस तरह के हालात में प्राचार्य पद का प्रभार महाविद्यालय में किसी वरिष्ठ व्याख्याता के मौजूद नहीं होने पर नजदीक के कॉलेज के प्राचार्य को सौंपा जाए लेकिन यहां नियम से ज्यादा भरोसे को प्राथमिकता मिली।
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अतिथि विद्वान ने भी निभाई प्राचार्य की भूमिका
खास बात यह कि बीते एक सप्ताह के दौरान प्रभारी प्राचार्य बने अहिरवार को भी अपनी बिटिया की तबियत बिगड़ने पर उसके इलाज के लिए भोपाल आना पड़ा । इस दौरान प्रभारी प्राचार्य का दायित्व एक अतिथि विद्वान को निभाना पड़ा।
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ज्यादातर कॉलेज अतिथि विद्वानों के भरोसे
राहतगढ़ कॉलेज के यह हालात मध्य प्रदेश में सरकारी कॉलेजों की स्थिति बयां करने के लिए काफी है। हालांकि सरकार भी राज्य विधानसभा में यह मान चुकी है कि प्रदेश के ज्यादातर कॉलेजों में शिक्षण व्यवस्था अतिथि विद्वानों के भरोसे हैं।
विधानसभा के पिछले मानसून सत्र में ही उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने एक लिखित जवाब में बताया कि प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में प्राचार्य के 557 पद रिकत हैं। जबकि सहायक प्राध्यापकों के कुल 12,895 पदों में से 7,498 पद खाली हैं। इनकी पूर्ति 4015 अतिथि विद्वान नियुक्त कर की गई है। यानी काम चलाऊ व्यवस्था के बाद भी सहायक प्राध्यापकों के 3,483 पद खाली ही हैं।
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2 हजार छात्र, न लाइब्रेरियन न स्पोर्ट्स टीचर
राहतगढ़ शासकीय महाविद्यालय की ही बात करें तो यहां सिर्फ एक सहायक प्राध्यापक डॉ चंदन सिंह सागर स्थायी शिक्षक हैं। इस नाते उन्हें प्राचार्य पद का भी प्रभार सौंपा गया है। बाकी सभी संकायों में शिक्षकों के पद रिक्त हैं। लायब्रेरियन व स्पोर्ट्स टीचर के एक-एक स्वीकृत पद भी खाली हैं। इससे यहां पुस्तकालय व खेल गतिविधियां ठप्प हैं। महाविद्यालय में करीब दो हजार छात्र अध्ययनरत हैं। जो अतिथि विद्वानों के भरोसे हैं।
राहतगढ़ कॉलेज के हालात को लेकर जिले की नोडल प्राचार्य डॉ सरोज गुप्ता ने कहा कि कुछ कॉलेजों में सब कुछ ठीक नहीं है। इनमें राहतगढ़ कॉलेज भी एक हैं। उन्होंने कहा कि वह मामले की जानकारी लेकर ही कुछ कह सकेंगी। वहीं लेखापाल अनिल अहिरवार ने कहा कि उन्हें यह दायित्व प्रभारी प्राचार्य डॉ सागर ही सौंपकर गए हैं।