MP उच्च शिक्षा विभाग ने प्रोफेसर्स की उपस्थिति पर सख्त नियम लागू किए हैं। अब सभी कॉलेजों में शिक्षकों, लाइब्रेरियनों, खेल अधिकारियों और अतिथि विद्वानों को छह घंटे कॉलेज में रहना होगा। यह कदम उपस्थिति की निगरानी और समय की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। डिजिटल अटेंडेंस प्रणाली लागू की गई है। यदि आदेशों का पालन नहीं होता है, तो वेतन में कटौती की जा सकती है।
यूजीसी के नए नियम और कॉलेजों की जिम्मेदारी
यूजीसी (University Grants Commission) ने इस नए आदेश के तहत शिक्षकों की उपस्थिति का समय छह घंटे तय किया है। अब यह आवश्यक हो गया है कि सभी शिक्षक, खेल अधिकारी, लाइब्रेरियन और अतिथि विद्वान कॉलेज में यूजीसी द्वारा निर्धारित छह घंटे तक उपस्थित रहें। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि उपस्थिति केवल डिजिटल माध्यम से ली जाएगी और इससे जुड़ी रिपोर्ट कलेक्टर को भेजी जाएगी।
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मुख्य पॉइंट्स...
- 6 घंटे उपस्थिति: अब कॉलेज में कम से कम 6 घंटे उपस्थिति अनिवार्य है।
- डिजिटल अटेंडेंस: सभी कॉलेजों में डिजिटल अटेंडेंस लागू की गई है।
- वेतन में कटौती: यदि उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज नहीं होती तो वेतन में कटौती हो सकती है।
सार्थक एप और ऑनलाइन उपस्थिति
प्रोफेसर्स की उपस्थिति सार्थक ऐप (Sarthak App) के माध्यम से दर्ज की जाएगी। यह ऐप ऑनलाइन उपस्थिति का एक साधन है, जो प्राचार्यों और कलेक्टर को उपस्थिति की रिपोर्ट भेजेगा। इस ऐप के माध्यम से शिक्षकों का आना और जाना ट्रैक किया जाएगा। हालांकि, कुछ दूरदराज के कॉलेजों में इंटरनेट की कमी के कारण उपस्थिति दर्ज करने में दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन शहरी क्षेत्रों के कॉलेजों में यह प्रणाली सफलतापूर्वक कार्य कर रही है।
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कलेक्टर को भेजी जाएगी रिपोर्ट
प्राचार्य को सार्थक ऐप के माध्यम से एक एनालिटिकल डैशबोर्ड तैयार करना होगा। इस डैशबोर्ड में कॉलेज की आईडी से लॉगिन करके शिक्षकों की उपस्थिति की जानकारी भेजी जाएगी। इसे कलेक्टर और संभागीय आयुक्त को भी भेजा जाएगा। उपस्थिति की सही रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिए ऐप में आने और जाने दोनों समय का सही रिकॉर्ड होना आवश्यक है।
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शिक्षकों की उपस्थिति और वेतन में कटौती
यदि किसी प्रोफेसर की उपस्थिति कम समय के लिए दर्ज की जाती है, तो उनका वेतन कम हो सकता है। विभागीय आदेशों के अनुसार, यदि शिक्षक कॉलेज में छह घंटे से कम समय रहते हैं, तो उनके वेतन में कटौती हो सकती है। हालांकि, प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ के अध्यक्ष आनंद शर्मा ने इस आदेश पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि शिक्षकों के लिए निर्धारित पांच घंटे का समय पहले था, लेकिन अब यह छह घंटे कर दिया गया है।
प्रोफेसर्स की प्रतिक्रिया...
आनंद शर्मा का कहना है कि अगर प्रोफेसर्स ज्यादा घंटे काम करते हैं, तो उन्हें अतिरिक्त वेतन मिलना चाहिए। इससे उन्हें अपनी मेहनत का उचित मूल्य मिलेगा।
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उपस्थिति प्रणाली और इसका असर
इस नए नियम के लागू होने से कॉलेजों में प्रोफेसर्स की उपस्थिति पर पूरी तरह से निगरानी रखी जा सकेगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि प्रोफेसर अपनी ड्यूटी पर सही समय पर उपस्थित रहें। इसके अलावा डिजिटल उपस्थिति से पारदर्शिता भी बढ़ेगी और शिक्षकों की कार्यक्षमता पर निगरानी रखना आसान होगा।
सार्थक एप के लाभ...
- शिक्षकों की उपस्थिति पर पूर्ण निगरानी।
- समय की पारदर्शिता और रिकॉर्डिंग।
- वेतन भुगतान में कोई असमंजस नहीं रहेगा।
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