BHOPAL.मध्यप्रदेश विधानसभा में सोमवार को देश के सात राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था की मजबूती पर मंथन किया। इस दौरान विधानसभा समितियों की कार्यप्रणाली, क्रियान्वयन और पारदर्शिता को लेकर भी विचार-विमर्श हुआ।
मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में विधायी व्यवस्था में पारदर्शिता के साथ ही निगरानी और जवाबदेही तय करने पर जोर दिया गया। सभी ने एक मत से स्वीकार किया की विधानसभा की समितियां लोकतांत्रिक व्यवस्था की रीढ़ हैं और इनकी सिफारिशें केवल कागज तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। उन पर क्रियान्वयन हो इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
विधान मंडलों की व्यवस्था पर मंथन
मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में हुई बैठक में उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना, हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया, राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमल बनर्जी, ओडिशा विधानसभा की अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी और सिक्किम विधान सभा के अध्यक्ष मिंगमा नोरबू शेरपा भी शामिल रहे। देश के सातों प्रमुख राज्यों के विस अध्यक्षों ने विधायी व्यवस्था पर अपने विचार रखे और इसे मजबूत और बेहतर बनाने सुझाव भी साझा किए।
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अब जवाबदेही तय करने की जरूरत
भोपाल में आयोजित विधानसभा समितियों की यह बैठक एक औपचारिकता नहीं बल्कि, भविष्य की विधायी दिशा तय करने वाला कदम रही। बैठक में शामिल विधानसभा अध्यक्षों ने विचार विमर्श के बाद सुझाव भी साझा किए। उन्होंने भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में विधानसभा समितियों की जवाबदेही, पारदर्शिता और समावेशिता पर बल दिया।
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विधानसभा अध्यक्षों के ये सुझाव :
1. नरेंद्र सिंह तोमर, विस अध्यक्ष मप्र
विधानसभा समितियां लोकतंत्र की रीढ़ हैं। इनकी सिफारिशें केवल कागज तक न रहें, इसके लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
2. सतीश महाना, विस अध्यक्ष उत्तरप्रदेश
तकनीकी के दौर में विधानसभा में ई-गवर्नेंस और डिजिटाइजेशन की जरूरत है। डिजिटल प्लेटफॉर्म से कार्यवाही और निगरानी आसान हो जाएगी।
3. कुलदीप सिंह पठानिया, विस अध्यक्ष हिमाचल
हिमाचल जैसे पर्वतीय राज्यों के विधान मंडलों में इन राज्यों की स्थानीय विशिष्ट समस्याओं को विधानसभा के मंच पर लाना जरूरी है।
4. वासुदेव देवनानी, विस अध्यक्ष राजस्थान
शिक्षा और युवाओं से जुड़े विधायी प्रस्तावों को प्राथमिकता होनी चाहिए। विधानसभा समितियों की स्थानीय स्तर तक पहुंच बनाने और बढ़ाना होगा।
5. बिमल बनर्जी, विस अध्यक्ष पश्चिम बंगाल
समिति रिपोर्टों पर क्रियान्वयन की समय सीमा तय करना होगा। इसके साथ ही क्षेत्रीय मुद्दों को राष्ट्रीय एजेंडे में लाने साझा संवाद होना चाहिए।
6.सुरमा पाढ़ी, विस अध्यक्ष ओडिशा
महिला एवं बाल कल्याण को लेकर विशेष समितियां बनें। सशक्त समितियां ही लोकतंत्र की नींव को मजबूत रख सकती हैं।
7. मिंगमा नोरबू शेरपा, विस अध्यक्ष सिक्किम
सिक्किम विधान सभा के अध्यक्ष मिंगमा नोरबू शेरपा ने सीमावर्ती राज्यों की सुरक्षा और बुनियादी जरूरतों के साथ ही बुनियादी सुविधाओं को लेकर समिति बनाए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि छोटे राज्यों की आवाज भी राष्ट्रीय स्तर पर सुनवाई दे, इसके लिए सहयोग जरूरी है।
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