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सुप्रीम कोर्ट ने सागर के मानसिंह मामले में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने एसआईटी (विशेष जांच दल) के गठन और उसकी रिपोर्ट पर किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से मना कर दिया है। यह मामला याचिकाकर्ता विनय मलैया और राजकुमार सिंह द्वारा प्रस्तुत कन्टेम्प्ट पिटीशन के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में गया था, जिसमें वे एसआईटी की रिपोर्ट को रद्द करने की मांग कर रहे थे।
एसआईटी के गठन पर कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी के गठन को पूरी तरह से विधिसम्मत माना और याचिकाकर्ताओं की सीबीआई जांच की मांग को अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि एसआईटी की रिपोर्ट में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। याचिकाकर्ताओं को यह निर्देश दिया गया कि वे अपने मामले को सागर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में लेकर जाएं, जहां पर उनके द्वारा प्रस्तुत की गई आपत्तियों पर सुनवाई की जाएगी।
मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का बयान
मंत्री गोविंद राजपूत ने इस निर्णय के बाद कहा, "सार्वजनिक जीवन में कई बार झूठे आरोपों का सामना करना पड़ता है, लेकिन षड्यंत्र और झूठ लंबे समय तक नहीं टिक सकते। सुप्रीम कोर्ट ने मेरे खिलाफ षड्यंत्र करने वालों को करारा जवाब दिया है।" उनका यह बयान उनके आत्मविश्वास और न्याय की प्रक्रिया में विश्वास को दर्शाता है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले में किए गए निर्णय
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं द्वारा दी गई याचिकाओं पर विचार किया जिसमें SIT के गठन और खात्मा रिपोर्ट को चुनौती दी जा रही थी। कोर्ट ने निर्णय लिया कि एसआईटी ने मामले की ठीक से जांच की है और इसकी रिपोर्ट में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति एसआईटी की रिपोर्ट से असहमत है, तो उसे सागर कोर्ट में अपनी आपत्ति प्रस्तुत करनी चाहिए।
क्या है मामला
दरअसल विवाद ये था कि सागर जिले के तिली वार्ड में रहने वाले मानसिंह पटेल और उनके भाई उत्तम सिंह पटेल के पास लगभग 4 एकड़ ज़मीन थी। जमीन का एक हिस्सा कोर्ट के फैसले के बाद नारायण प्रसाद नाम के शख्स को मिला, नारायण प्रसाद ने ये जमीन कैलाश यादव को बेची। कैलाश यादव ने इसका सौदा गोविंद सिंह राजपूत के साथ कर दिया। इसके बाद एक मई 16 मई 2016 को मानसिंह ने अदालत में याचिका लगाकर ये जानकारी दी, आरोप लगाया कि गोविंद सिंह राजपूत ने राजस्व अभिलेख में अपना नाम दर्ज करा लिया है। ये भी कहा कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उनकी जमीन से उनका नाम काट दिया गया और उसपर राजपूत अनाधिकृत निर्माण करा रहे हैं। मान सिंह ने कहा कि इसकी जानकारी उन्होंने 13 मई को पुलिस, कलेक्टर सबको लिखित में दी है।
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कहां हैं मानसिंह पटेल
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को आदेश देते हुए था - कहा था जांच के लिए राज्य के बाहर के IPS अधिकारियों की टीम बनानी होगी। इसके अलावा गुमशुदगी की रिपोर्ट को बतौर एफआईआर दर्ज किया जाएगा। इसके साथ ही विवादित जमीन से संबंधित राजस्व रिकॉर्ड की भी गहन जांच होगी। ताकि यह पता चल सके कि मानसिंह पटेल की गुमशुदगी के पीछे क्या कारण थे? बता दें कि पुलिस ने ये क्लोजर रिपोर्ट सागर की अदालत में लगाई है, वैसे उसकी तफ्तीश को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के सवालों से भी गुजरना है, जहां उसे ठोस तरीके से बताना होगा कि मानसिंह पटेल हैं कहां?