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मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने आज गुरुवार को रवीन्द्र भवन भोपाल में मध्यप्रदेश जन-अभियान परिषद और स्वदेशी जागरण मंच के साथ मिलकर राज्य स्तरीय स्वदेशी जागरण सप्ताह का शुभारंभ किया। यह महा-अभियान 25 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलेगा, और इसका मकसद पूरे प्रदेश में स्वदेशी वस्तुओं का प्रचार-प्रसार करना और उन्हें सपोर्ट करना है। बता दें कि द सूत्र भी इस ही तरह का अभियान Be इंडियन-Buy इंडियन चला रहा है, जिसका शुभारंभ सीएम मोहन ने ही किया था।
पूरे प्रदेश मनाएगा स्वदेशी सप्ताह
स्वदेशी जागरण सप्ताह का आयोजन मध्यप्रदेश के 313 विकासखण्डों में किया जाएगा। इस दौरान कई कार्यक्रम होंगे, जिनके जरिए लोगों तक स्वदेशी उत्पादों का महत्व पहुंचाने की कोशिश की जाएगी।
स्वदेशी जागरण सप्ताह का उद्देश्य
स्वदेशी जागरण सप्ताह के आयोजन का प्रमुख उद्देश्य स्वदेशी वस्तुओं का प्रचार करना और स्वदेशी उत्पादों के प्रति लोगों का रुझान बढ़ाना है। इस महाअभियान के तहत प्रदेशभर में जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे, ताकि लोग अपनी जीवनशैली में स्वदेशी उत्पादों का अधिक उपयोग कर सकें और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहयोग कर सकें।
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'द सूत्र' क्यों आगे आया?
पत्रकारिता के उच्च मूल्यों को मानने वाला 'द सूत्र' हमेशा समाज के साथ खड़ा रहा है। इस बार यह पहल सिर्फ पत्रकारिता अभियान नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आंदोलन है। हमारा मानना है कि देश की ताकत जनता के रोजमर्रा के फैसले तय करते हैं। अगर हम सब ठान लें कि भारत का पैसा भारत में ही रहेगा तो अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। हमारे बच्चों के लिए रोजगार और आत्मसम्मान दोनों बढ़ेंगे।
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आखिर क्यों द सूत्र को ये अभियान शुरू करने की जरूरत पड़ी?'द सूत्र' ने 'Be इंडियन-Buy इंडियन' अभियान शुरू करने का फैसला इस बात को समझते हुए लिया कि हमारे देश में विदेशी उत्पादों की बढ़ती लोकप्रियता ने स्थानीय उत्पादों को पीछे कर दिया है। इस अभियान का उद्देश्य स्वदेशी उत्पादों को प्रमोट करके भारतीय बाजार में आत्मनिर्भरता की भावना को बढ़ावा देना है। 1. आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्यकेंद्र की मोदी सरकार और मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार लगातर स्वदेशी अपनाने पर जोर दे रही है, और इसके पीछे कुछ बड़े कारण हैं। सबसे पहला कारण है आर्थिक आत्मनिर्भरता, यानी देश को खुद पर भरोसा करना और बाहर से चीजें कम लानी। इसके अलावा, आयात पर निर्भरता कम करना भी इसका अहम हिस्सा है, ताकि हम अपने देश में ही ज़रूरत की चीजें बना सकें। the sootr ने इसे अपनी जिम्मेदारी के रूप में लिया है। अगर हम भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता देंगे, तो इससे न केवल हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि हमें विदेशों पर निर्भरता कम करने का भी अवसर मिलेगा। 2. स्थानीय उत्पादकों को मिलेगा प्रोत्साहनजब हम स्वदेशी उत्पादों को अपनाते हैं, तो इसका सीधा फायदा हमारे स्थानीय उद्योगों और उत्पादकों को होता है। यह अभियान छोटे और मंझले व्यवसायों को प्रोत्साहित करेगा, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और आर्थिक सशक्तिकरण होगा। 3. हम किसी से कम नहींआजकल, भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता और डिजाइन वैश्विक मानकों के बराबर हैं। 'द सूत्र' का यह अभियान उन उत्पादों को प्रमोट करने की दिशा में काम करेगा जो भारतीय हैं, लेकिन जिनकी विश्वसनीयता और उपयोगिता पर सवाल नहीं उठाए जा सकते। 4. देश की अर्थव्यवस्था में योगदानजब हम विदेशों से कम आयात करते हैं और स्वदेशी उत्पादों को अधिक अपनाते हैं, तो यह सीधे तौर पर देश की जीडीपी को भी बढ़ावा देता है। साथ ही, विदेशी मुद्रा का निर्यात भी घटता है, जिससे देश की वित्तीय स्थिति मजबूत होती है। 5. स्वदेशी उत्पादों के प्रति जागरूकतायह अभियान लोगों में स्वदेशी उत्पादों के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए है। इस पहल के द्वारा, द सूत्र का उद्देश्य यह है कि लोग अपने दैनिक जीवन में स्वदेशी सामान को प्राथमिकता दें और इससे देशभर में एक मजबूत आर्थिक और सामाजिक बदलाव आए। 6. जागरूकता का अभावस्वदेशी उत्पादों के बारे में जागरूकता की कमी भी एक बड़ी समस्या रही है। लोगों को यह एहसास नहीं होता कि भारतीय उत्पाद उतने ही अच्छे होते हैं, जितने विदेशी। द सूत्र इस अभियान के माध्यम से यह संदेश देना चाहता है कि "Be इंडियन, Buy इंडियन" का नारा केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि एक जरूरत है। 7. देश के लिए समर्पण'द सूत्र' का यह अभियान देश के प्रति समर्पण और एकजुटता का प्रतीक बनता है। यह अभियान समाज को एकजुट करने के साथ-साथ एक सकारात्मक संदेश देगा कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह देश के लिए कुछ खास करे। इसलिए, 'द सूत्र' ने यह अभियान शुरू किया ताकि हर भारतीय अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए सक्रिय रूप से भाग ले और स्वदेशी उत्पादों को अपनाकर आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाए। | |
इसलिए भी जरूरी है Be इंडियन-Buy इंडियन अभियान
दुनिया आज बड़े संकटों से जूझ रही है। कहीं व्यापारिक युद्ध छिड़ा है तो कहीं गोलाबारी का खौफ पसरा है। वैश्विक अस्थिरता के इस दौर में भारत मजबूती से खड़ा है और इसकी बड़ी वजह हैं हमारे अपने उत्पाद, हमारी आत्मनिर्भरता और स्वदेशी सोच। यही कारण है कि अब स्थानीय से वैश्विक तक भारत की ताकत को लोग मानने लगे हैं।
इसी आत्मनिर्भरता को और मजबूती देने के लिए 'द सूत्र' ने देशहित में बड़ा कदम उठाया है। हम ला रहे हैं जनजागरण का अभियान- Be इंडियन,Buy इंडियन। इसका मकसद बिल्कुल साफ है कि 'हमारी लक्ष्मी, हमारे पास' रहे।
- इस नीति का एक और लक्ष्य है रोजगार सृजन, यानी ज्यादा लोगों को काम मिल सके। इसके अलावा, निर्यात बढ़ाना भी बहुत जरूरी है, ताकि हम दुनिया में और ज्यादा सामान बेच सकें।
- साथ ही, वैश्विक चुनौतियां, जैसे कि व्यापार युद्ध और टैरिफ (टैक्स) जैसी समस्याओं से भी निपटना है। अगर हम खुद आत्मनिर्भर हो जाएंगे, तो हमें इन समस्याओं का सामना करना आसान होगा।
- यह सब कुछ स्वतंत्रता संग्राम की स्वदेशी भावना से प्रेरित है, जब हमारे पूर्वजों ने विदेशी चीजों का बहिष्कार किया था। अब यह भावना आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल जैसे अभियानों के रूप में फिर से ज़िंदा हो रही है।
- असल में, यह कदम देश को सशक्त बनाने के लिए उठाया जा रहा है, ताकि हम ना सिर्फ अपनी ज़रूरतों को पूरा कर सकें, बल्कि दुनिया भर में अपनी उपस्थिति भी मजबूत कर सकें।
भारत में आयात और घरेलू उत्पादन (FY 2024-25)
2024-25 के दौरान भारत में आयात और घरेलू उत्पादन के बारे में जो जानकारी दी गई है, उसे आसान शब्दों में ऐसे समझ सकते हैं:
विदेशी सामान का आयात: भारत ने अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के बीच दूसरे देशों से करीब 3,000 अरब डॉलर का सामान खरीदा। ये वो चीजें हैं जो हम विदेश से मंगवाते हैं।
भारतीय कंपनियों का उत्पादन: इसी दौरान, भारतीय कंपनियों ने अपने देश में जो सामान बनाया, उसकी कीमत करीब 1,000 अरब डॉलर रही।
सीधे शब्दों में कहें तो, इस साल भारत ने जितना सामान खुद बनाया, उससे तीन गुना ज्यादा सामान दूसरे देशों से खरीदा।
1. देश का पैसा, देश में रहेगा
जब हम स्वदेशी सामान खरीदते हैं तो हमारा पैसा विदेशी बाजारों में जाने के बजाय अपने देश में ही घूमता है। यह पैसा किसान, कारीगर, दुकानदार, व्यापारी से लेकर बड़ी कंपनियों तक को मजबूती देता है।
2. हर वर्ग को होता है फायदा
आज जब आप मोहल्ले की दुकान से देशी साबुन, मसाले, कपड़े या बर्तन खरीदते हैं तो सीधा फायदा उस दुकानदार को मिलता है। विदेशी कंपनियों के बजाय स्थानीय उद्योग और व्यापारी मजबूत होते हैं। यही पैसा आगे चलकर रोजगार के नए अवसर भी पैदा करता है।
3. स्थानीय कलाकार होंगे मजबूत
इस अभियान के जरिए हथकरघा, हस्तशिल्प और घरेलू उद्योगों को बड़ा मंच मिलेगा। महिला स्वयं सहायता समूहों से लेकर फैशन-टेक्नोलॉजी कॉलेजों तक सभी को जोड़कर राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग और प्रमोशन होगा। इससे लोकल टैलेंट को पहचान मिलेगी।
4. स्टार्टअप इंडिया को नई दिशा
आज भारत स्टार्टअप हब बन रहा है। Be इंडियन, Buy इंडियन का मकसद भी प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत और स्टार्टअप इंडिया के विजन को आगे बढ़ाना है। देश के युवा उद्यमियों को सपोर्ट मिलेगा और विदेशी कंपनियों पर निर्भरता घटेगी।
वोकल फॉर लोकल का उद्देश्य इकोनॉमी को मजबूत करना
वोकल फॉर लोकल और स्वदेशी खरीदो जैसे आंदोलनों का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना है। स्वदेशी अभियान के तहत, हम अपने देश के उत्पादों को प्राथमिकता देकर आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। स्वदेशी जागरण मंच और हिंदू जागरण मंच (Hindu Jagran Manch) जैसे संगठन भी इस विचार को फैलाने के लिए कार्यरत हैं, ताकि लोग अपने देश के उत्पादों को खरीदने के लिए प्रेरित हों। जन अभियान परिषद जैसे संगठन इस जागरूकता को और बढ़ाने का काम कर रहे हैं, ताकि हर भारतीय नागरिक स्वदेशी उत्पादों का समर्थन करे। यह न केवल आर्थिक विकास में योगदान करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
तो हो जाइए तैयार...आ गया है महाअभियान Be इंडियन-Buy इंडियन...!
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