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Photograph: (THESOOTR)
BHOPAL. प्रदेश के शिक्षकों को अब TET की अनिवार्यता से खड़े हुए संकट से निकलने के लिए सरकार से आस लगी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नौकरी खतरे में पड़ने की स्थिति से तनाव झेल रहे हैं। अब इन स्कूली शिक्षकों में प्रदेश सरकार से रिव्यू पिटीशन लगाने की मांग शुरू कर दी है।
एक लाख शिक्षकों पर होगा असर
सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट को अनिवार्य करने का फैसला दिया गया है। इस निर्णय से प्रदेश के स्कूलों में पढ़ा रहे एक लाख से ज्यादा शिक्षक टेंशन में आ गए हैं। यह शिक्षक साल 2010 से पूर्व की भर्ती से नियुक्त किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इन शिक्षकों को सेवा में बने रहने के लिए टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट पास करने की व्यवस्था दी है। टेस्ट केंद्र सरकार की ओर से लिया जाना है।
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NCTE के नियम से अलग व्यवस्था
मध्य प्रदेश के शिक्षकों का कहना है की राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की अधिसूचना में केवल साल 2010 के बाद भर्ती हुए शिक्षकों के लिए टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट की अनिवार्यता का उल्लेख है इससे पूर्व में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्त किए गए शिक्षकों पर यह व्यवस्था लागू नहीं की गई थी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एनसीटीई के इस प्रावधान को अनदेखा किया गया है।
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परिणामों में सुधार फिर भी योग्यता पर संशय
शिक्षक सगठनों ने प्रदेश सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर पुनर्विचार के लिए रिव्यू पिटीशन लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि जब प्रदेश मैं परीक्षा परिणाम लगातार बेहतर आ रहे हैं। इसके बावजूद शिक्षकों की योग्यता पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में शिक्षक भर्ती के दौरान पात्रता चयन परीक्षा जैसे टेस्ट देने पड़ते हैं। उनके लिए बीएड, डीएड, जैसे पाठयक्रम की योग्यता भी तय है।