शिक्षकों की लिस्ट बदलकर सिंगापुर घूमने वालों पर न कार्रवाई हुई न वसूली

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्टार्स प्रोजेक्ट में सिंगापुर यात्रा पर राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारी गए। विभाग की लिस्ट में 19 नाम बदले गए। अधिकारियों को अनधिकृत यात्रा पर भेजा गया। इस यात्रा से कोई लाभ नहीं हुआ। फिर भी विभाग ने कार्रवाई नहीं की।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL.केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्टार्स प्रोजेक्ट पर सिंगापुर की अनाधिकृत यात्रा करने वालों को विभाग ही बचाने में जुटा है। राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारी और कर्मचारी स्टडी टूर में शामिल हुए। ये लोग विभाग द्वारा चुने गए प्राचार्य और वरिष्ठ शिक्षकों की जगह गए थे। राज्य शिक्षा केंद्र में विभाग की लिस्ट से 19 लोगों के नाम और पद बदले गए।

डेटा मैनेजर और प्रोग्रामर को शिक्षक और प्राचार्य दर्शाया गया। अधिकारियों ने इस बदली गई लिस्ट को स्वीकृत किया। इस कारण जो पात्र थे, वे सिंगापुर नहीं जा पाए। राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारियों के स्टडी टूर पर जाने से विभाग को कोई लाभ नहीं हुआ। न ही उन्होंने इस यात्रा की कोई रिपोर्ट तैयार की। अधिकारियों की कारगुजारी के बावजूद विभाग में कार्रवाई नहीं हुई।

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स्टार्स प्रोजेक्ट के मानदंडों की अनदेखी 

दरअसल स्टार्स प्रोजेक्ट के तहत शैक्षणिक अध्ययन दल के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा मानदंड तय किए गए हैं। यात्रा के लिए उन स्कूलों के प्राचार्य और शिक्षक चुने जाएंगे जिनका बोर्ड परीक्षा परिणाम 90 प्रतिशत से अधिक रहा हो। उनकी उम्र 58 साल से अधिक हो जबकि उनकी सेवानिवृत्ति 2029 के बाद होना निर्धारित हो। 

इसी आधार पर स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों के रिकॉर्ड के आधार पर सूची तैयार कराई गई थी। इस सूची में 68 लोगों के नाम थे। विभाग से यह सूची राज्य शिक्षा केंद्र पहुंची तो 19 लोगों के नाम बदल दिए गए। जिन प्राचार्य और वरिष्ठ शिक्षकों का विभागीय स्तर पर चयन किया गया था उनमें से 19 को बाहर कर दिया गया। 

इनकी जगह राज्य शिक्षा केंद्र और विभाग के अधिकारी, प्रोग्रामर, डेटा मैनेजर और लिपिकीय कार्य करने वाले कर्मचारियों के नाम जोड़ दिए गए। लिस्ट में अनाधिकृत लोगों के पदनाम बदले गए और उन्हें प्राचार्य, वरिष्ठ शिक्षक बताया गया।

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जिम्मेदारों ने भी अनाधिकृत को स्वीकृति

राज्य शिक्षा केंद्र के कर्मचारियों की इस कारगुजारी को अधिकारियों ने भी अनदेखा कर दिया। इसी बदली हुई लिस्ट को स्वीकृति दे दी गई। सूची बनाने की जिम्मेदारी जिनको दी गई, उन्होंने पहले अपना नाम जोड़ा। फिर सिंगापुर में मौज-मस्ती के चक्कर में राज्य शिक्षा केंद्र और विभाग के प्रोग्रामर, डेटा मैनेजर और लिपिकीय कर्मचारियों के नाम भी जुड़ते चले गए। लिस्ट बनाने वाले ही इस यात्रा पर जाने के पात्र नहीं थे। इसलिए वे दूसरे नामों पर आपत्ति नहीं उठा सके। अपात्रों का एक- एक नाम बढ़ता गया और इसी तरह 19 पात्र प्राचार्य और वरिष्ठ शिक्षक सूची से बाहर होते चले गए।  

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विदेश यात्रा के लिए प्रोग्रामर बने शिक्षक

इन 19 अधिकारियों में राज्य शिक्षा केंद्र के प्रोग्रामर महेश मूलचंदानी, शेखर सराठे जैसे अधिकारी भी शामिल थे। दोनों ने सिंगापुर के स्टडी टूर में खुद को शामिल करने के लिए पद नाम प्रोग्रामर की जगह प्राचार्य और वरिष्ठ शिक्षक दर्शाया था। इसी के आधार पर उनका पंजीयन हुआ और सरकारी खर्च पर हवाई यात्रा और सिंगापुर टूर का आनंद उठाया। 

उनके अलावा, स्टार्स प्रोजेक्ट के अध्ययन दल के लिए तय मानदंडों की अनदेखी की गई। उम्र 60 साल से अधिक होने के बावजूद शितांशु शुक्ला, ओमकार मंडलोई और पंकज मोहन जैसे अधिकारियों के नाम लिस्ट में जोड़े गए। स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदयप्रताप सिंह निजी कारणों से शैक्षणिक दल में शामिल नहीं थे, फिर भी उनके विशेष सहायक आलोक खरे सिंगापुर गए। ऐसे कुछ और अधिकारी और कर्मचारी भी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्टार्स प्रोजेक्ट की आड़ में विदेश में सैर करने में सफल रहे।

शिक्षा में सुधार के लिए थी विदेश यात्रा

स्टार्स परियोजना केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य देश की शिक्षा प्रणाली में सुधार करना है। इस परियोजना के तहत 2024 में 6 राज्यों के प्राचार्य और वरिष्ठ शिक्षकों के अध्ययन दलों का चयन किया गया था। इसमें मध्य प्रदेश से 68 लोगों को सिंगापुर की प्रिंसिपल्स अकेडमी में प्रशिक्षण का अवसर मिला था। प्रिंसिपल्स अकेडमी आधुनिक स्कूली शिक्षा के प्रशिक्षण के लिए दुनिया भर में चर्चित है। 

इस वजह से इस सिंगापुर में स्टडी टूर की प्लानिंग की गई थी। इससे पहले साल 2018- 19 में मध्य प्रदेश के शिक्षकों को शैक्षणिक भ्रमण पर कोरिया भेजा जा चुका है। कोरिया से लौटने के बाद दल द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट की सिफारिशें अब तक स्कूल शिक्षा में लागू नहीं की गई हैं। वहीं सिंगापुर से लौटे अध्ययन दल की रिपोर्ट ही उजागर नहीं हुई है। ऐसे में केंद्रीय परियोजना पर स्कूल शिक्षा विभाग की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। 

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साल बीता लेकिन जांच हुई न वसूली

राज्य शिक्षा केंद्र के प्रोग्रामर और डेटा मैनेजर जैसे अधिकारियों का सिंगापुर स्टडी टूर पर जाने का मामला फरवरी 2024 में उजागर हुआ था। इसके बाद कई दिनों तक स्कूल शिक्षा विभाग और राज्य शिक्षा केंद्र में हलचल मची रही। स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव संजय गोयल ने जांच कराने का भरोसा दिलाया था।

 स्टडी टूर में अनाधिकृत शामिल होने वालों से वसूली का आश्वासन भी दिया गया था। हालांकि, विभागीय जांच अब तक फाइलों में दबकर रह गई और किसी से वसूली नहीं हो सकी। राज्य शिक्षा केंद्र के इन अधिकारियों पर विभाग की मेहरबानी बनी हुई है। इस वजह से केंद्र के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को भटकाने और सरकार के लाखों रुपए बर्बाद करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

ये हैं जिम्मेदार

संजय गोयल,  सचिव स्कूल शिक्षा विभाग :  द सूत्र ने विभाग के सचिव को कई बार कॉल किया और मैसेज भी भेजा लेकिन उनकी ओर से कार्रवाई न होने के संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। 
हरजिंदर सिंह,  संचालक, राज्य शिक्षा केंद्र :  राज्य शिक्षा केंद्र के कर्मचारियों द्वारा लिस्ट में नाम जोड़कर सिंगापुर में सैर सपाटे के मामले पर संचालक हरजिंदर सिंह ने भी मैसेज और कॉल का जवाब नहीं दिया।

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