द सूत्र खास…पटवारी के करीब दो हजार पद रहेंगे खाली, अब काउंसलिंग नहीं करेगी सरकार

मध्य प्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा के चयनितों की दो बार चली काउंसलिंग के बाद भी करीब दो हजार पद रिक्त रह गए थे, जो अब रिक्त ही रहेंगे। भू अभिलेख आयुक्त विवेक पोरवाल ने द सूत्र से बात करते हुए साफ कहा कि विज्ञापन में ही था कि दो बार काउंसलिंग होगी...

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Sandeep Kumar
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मध्य प्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा की काउंसलिंग अब नहीं होगी

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संजय गुप्ता @ INDORE. पटवारी भर्ती परीक्षा के चयनितों की दो बार चली काउंसलिंग ( Counselling ) के बाद भी करीब दो हजार पद रिक्त रह गए थे, जो अब रिक्त ही रहेंगे। भू अभिलेख आयुक्त ( सीएलआर ) विवेक पोरवाल ( Vivek Porwal ) ने द सूत्र ( The Shootr ) से बात करते हुए साफ कहा कि विज्ञापन में ही था कि दो बार काउंसलिंग होगी, इसके बाद अब तीसरी काउंसलिंग नहीं की जाएगी। अब यह पद अगली परीक्षा से ही भरे जाएंगे।

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पोरवाल बोले- नियम से ही बनी थी वेटिंग लिस्ट

द सूत्र ने पोरवाल से यह भी पूछा कि खबर है कि 1600 से दो हजार करीब पद खाली रह गए हैं? इस पर उन्होंने कहा कि एकदम से याद नहीं है लेकिन जो भी खाली रहे अब वह अगली परीक्षा से ही होंगे। क्या खाली पदों की वजह वेटिंग लिस्ट छोटी होना रही? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वेटिंग लिस्ट भर्ती नियमों के तहत ही जारी होती है, उसी के अनुसार ही यह जारी हुई और भर्ती प्रक्रिया की गई। 

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फिर पांच साल का करना होगा इंतजार?

साल 2023 के पहले पटवारी भर्ती परीक्षा 2017 में आई थी। ईएसबी की अहम सभी परीक्षाएं पांच से छह साल में ही आती है, सामान्य तौर पर यह चुनावी सीजन में ही होता है। चाहे एसआई की भर्ती हो, उच्च शिक्षक वर्ग की बात हो या फिर पटवारी की। यानि अब माना यह जा रहा है कि यह खाली पद अब अगली परीक्षा में ही भरे जाएंगे जिसके लिए लंबा समय लगेगा।

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9.78 लाख युवाओं ने दी तो पद खाली रखने की क्या तुक?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि परीक्षा 9.78 लाख युवाओं ने दी है, प्रदेश में बेरोजगारी चरम पर है। जब युवाओं ने परीक्षा दी है तो फिर पद खाली क्यों रहने चाहिए? यदि चयनित मेरिट वाले युवा नहीं आए हैं, जिसका कारण बताया जा रहा है कि अन्य जगह नौकरी में लग गए हैं, तो फिर उनसे पीछे वाले युवा को नौकरी क्यों नहीं दी जाना चाहिए। 

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वेटिंग लिस्ट लंबी होती तो भर चुके होते पद

परीक्षा देने वाले युवाओं का आरोप है कि कई जिलों बैतूल खरगोन आदि में यह हुआ है कि यहां पहली काउंसलिंग में खाली रहे पद के लिए जब दूसरी काउंसलिंग हुई तो इसमें फिर उन्हीं उम्मीदवारों को वेटिंग लिस्ट में जोड़ लिया तो पहली काउंसलिंग में नहीं आए थे, जबकि रूल बुक के हिसाब से पहली काउंसलिंग में शामिल नहीं हुए उम्मदीवारों की जगह अन्य उम्मीदवारों को मेरिट के हिसाब से दूसरी में बुलाना था, यदि ऐसा करते तो यह पद भरे जाते। पहली काउंसलिंग में अनुपस्थित को बुलाया इसलिए दूसरी काउंसलिंग में कोई पहुंचा ही नहीं और पद खाली रह गए। यदि वेटिंग लिस्ट रिक्त पदों से करीब पांच गुना की होती तो सभी पद भर जाते और युवाओं को नौकरी मिल जाती। 

इंदौर में ही 27 पद खाली रह गए

इंदौर जिले की बात करें तो यहां 58 पटवारी पद थे। पहली काउंसलिगं में 30 उम्मीदवार आए और नियुक्ति मिली। लेकिन दूसरी काउंसलिंग के लिए 28 रिक्त पदों के लिए केवल 25 की ही वेटिंग लिस्ट जारी हुई और इसमें से भी नौ मार्च को मात्र एक उम्मीदवार पहुंचा। यानि यहां पर 27 पद खाली रह जाएंगे यानि करीब-करीब आधे 50 फीसदी पद खाली रह जाएंगे।

पटवारी भर्ती परीक्षा में इस तरह हुआ घटनाक्रम

  1. मार्च-अप्रैल 2023 में पटवारी भर्ती परीक्षा ऑनलाइन हुई। इसमें 12 लाख करीब ने फार्म भरे और 9.78 लाख परीक्षा में बैठे।
  2. रिजल्ट 30 जून को आया। ग्वालियर के एक कॉलेज एनआरआई से मेरिट में 10 में से सात के आने से विवाद खड़ा हो गया।
  3. इसके बाद आंदोलन तेज हुआ, आरोपों के बीच सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 19 जुलाई को हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस राजेंद्र वर्मा की जांच कमेटी बना दी। 
  4. कमेटी ने 30 जनवरी 2024 में रिपोर्ट दी और परीक्षा को क्लीन चिट दी। इसके बाद नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई।
  5. 24 फरवरी को पहली काउंसिंग हुई।
  6. पांच मार्च को सीएम ने नियुक्ति पत्र दिए और कहा कि जांच के कारण नियुक्ति नहीं रोक सकते है, किसी के पेट में मरोड़ उठे  तो उठे, सरकार किसी धमकी से नहीं डरने वाली है। इसके बाद फिर नौ मार्च को दूसरी काउंसलिंग की गई।
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