संजय गुप्ता @ INDORE
पटवारी भर्ती परीक्षा ( Patwari recruitment exam ) के चयनितों की दो बार चली काउंसलिंग के बाद भी करीब दो हजार पद रिक्त रह जाने की आशंका तेज हो गई है। रिक्त रहे पदों पर नियुक्ति के लिए हुई दूसरी काउंसलिंग तो मजाकर बनकर रह गई। करीब 2200 पदों के लिए हुई काउंसलिंग के लिए हर जिले में इक्का-दुक्का चयनित ही नियुक्ति के लिए पहुंचे। भू अभिलेख आयुक्त के पत्र के हिसाब से यह अंतिम काउंसलिंग थी यानि, करीब दो हजार पद खाली रह जाएंगे।
ये खबर भी पढ़िए...4 साल से MP में अटका फायर सेफ्टी एक्ट, जानें कब बना था एक्ट का ड्राफ्ट
इंदौर में इस तरह रहा हाल
इंदौर जिले में पटवारियों के लिए कुल 58 पद भरे जाने थे। इसमें 24 फरवरी को पहली काउंसलिंग में केवल 30 ही पद भरे गए। इसके बाद 28 पदों के लिए वेटिंग लिस्ट वालों को चुना गया। इनके लिए कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) ने लिस्ट भेजी, वह केवल 25 चयनितों की ही थी। शनिवार (नौ मार्च) को जब काउंसलिंग हुई तो अधिकारी दस्तावेज सत्यापन की राह ही देखते रहे, 25 में से मात्र एक उम्मीदवार ही पहुंचा। वह भी अधूरे दस्तावेज के साथ। यानि अभी भी 28 पद जिले में पटवारियों के रिक्त हैं।
ये खबर भी पढ़िए..ग्वालियर और जबलपुर समेत 16 एयरपोर्ट टर्मिनल के लोकार्पण- शिलान्यास आज
दो हजार पद रह जाएंगे रिक्त
जानकारी के मुताबिक इंदौर जैसा ही हाल हर जिले में रहा। अधिकांश जगह इसी तरह एक-दो उम्मीदवार ही काउंसलिंग में पहुंचे और पद रिक्त रह गए हैं। इससे आशंका है कि अब करीब दो हजार से ज्याद पटवारी पद रिक्त रह जाएंगे।
ये खबर भी पढ़िए...पटेल का कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पटवारी पर हमला, उनके पास ना विजन ना समझ
ईएसबी ने वेटिंग लिस्ट पोर्टल पर जारी ही नहीं की
इस पूरे मामले में ईएसबी ( ESB) की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। ईएसबी ने पहले रिजल्ट को पोर्टल पर अपलोड करने के बाद हुई किरकिरी के बाद अब पूरे रिजल्ट को गोपनीय कर दिया है। पूरी सूची कहीं पर भी नहीं है। इसके चलते किसी को नहीं पता कि वेटिंग लिस्ट कहां पर है और किसे किस तरह से बुलाया जा रहा है। जब दूसरी काउंसलिंग के लिए भी पद रिक्त रहे तो बहुत ही छोटी वेटिंग लिस्ट जिले के कलेक्टरों के पास भेजी गई, जैसे कि इंदौर के 28 पद रिक्त होने पर केवल 25 चयनितों की ही वेटिंग लिस्ट भेजी गई। सवाल उठता है कि यह लिस्ट 50 या सौ चयनितों की क्यों नहीं भेजी गई, ताकि जो योग्य हो उन्हें खाली पद पर नौकरी मिल जाए। किसी उम्मीदवार को पता ही नहीं है कि वह वेटिंग लिस्ट में कहां पर है और उसे बुलाया जाएगा या नहीं।
ये खबर भी पढ़िए...वल्लभ भवन अग्निकांड: कौन सी फाइलें थीं इस कक्ष में, जो हो गईं राख ?
क्यों नहीं आए चयनित नौकरी लेने
साढ़े हजार से अधिक पदों के लिए हुई इस परीक्षा में 9.78 लाख उम्मीदवार बैठे थे, यानी युवा यह नौकरी चाहते थे फिर सवाल उठता है कि चयनित होने के बाद युवा नौकरी क्यों नहीं कर रहे हैं। इसका वैसे अधिकारी स्तर पर कारण यह बताया जा रहा है कि चयनितों ने अन्य नौकरी कर ली है, इसके चलते वह अब इस पद नहीं आना चाहते हैं। यह जवाब सही है लेकिन जब 9.78 लाख उम्मीदवार बैठे तो सभी तो नौकरी में नहीं लग गए। पद कैसे रिक्त रह सकते हैं, वेटिंग लिस्ट में मेरिट में नीचे आने वालों को बुलाया जाना चाहिए, दस हजार नंबर पर आया चयनित नहीं आ रहा है तो 12 हजार की रेंक पर आए को भी मौका मिलन चाहिए। लेकिन ईएसबी ने इस मामले में वेटिंग लिस्ट ही छोटी बनाई कि अब इतनी बड़ी परीक्षा होने के बाद भी पद रिक्त रह जाएंगे और युवा नौकरी का इंतजार करते रह जाएंगे।
यह भी आशंका फर्जी दस्तावेज के कारण तो नहीं गए
वहीं इस बात की भी आशंका इस परीक्षा का शुरू से विरोध करने वालों को है कि इनके सर्टिफिकेट व दस्तावेज फर्जी होंगे, यह योग्य नहीं होंगे, इसके चलते यह नियुक्ति लेने नहीं आए। क्योंकि विवाद को देखते हुए इन्हें आशंका होगी कि आगे कभी भी जांच हो सकती है। इसलिए अब वह नियुक्ति से बच रहे हैं।
अभी तक क्या हुआ पटवारी भर्ती में
* मार्च-अप्रैल 2023 में पटवारी भर्ती परीक्षा ऑनलाइन हुई। इसमें 12 लाख करीब ने फार्म भरे और 9.78 लाख परीक्षा में बैठे।
* रिजल्ट 30 जून को आया। ग्वालियर के एक कॉलेज एनआरआई से मेरिट में 10 में से सात के आने से विवाद खड़ा हो गया।
* इसके बाद आंदोलन तेज हुआ, आरोपों के बीच सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 19 जुलाई को हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस राजेंद्र वर्मा की जांच कमेटी बना दी।
* कमेटी ने 30 जनवरी 2024 में रिपोर्ट दी और परीक्षा को क्लीन चिट दी। इसके बाद नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई।
* 24 फरवरी को पहली काउंसिंग हुई।
* पांच मार्च को सीएम ने नियुक्ति पत्र दिए और कहा कि जांच के कारण नियुक्ति नहीं रोक सकते है, किसी के पेट में मरोड़ उठे तो उठे, सरकार किसी धमकी से नहीं डरने वाली है। इसके बाद फिर नौ मार्च को दूसरी काउंसलिंग की गई।