मप्र के 235 बार काउंसिल के हजारों वकीलों को मिली हाईकोर्ट से राहत

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्यपीठ में चीफ जस्टिस ने एक ऐसे मामले में फैसला सुनाया है। जिसमें पूरे प्रदेश की लगभग 235 बार काउंसिल के हजारों वकीलों पर कोर्ट की अवमानना का मामला चल रहा था।

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Neel Tiwari
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आपको याद होगा कि हर तिमाही में 25 मामलों के निपटारे का आदेश जारी होने के बाद 23 मार्च 2023 को मध्य प्रदेश के लगभग 80% अधिवक्ता हड़ताल पर चले गए थे। तहसील और जिला स्तर पर हड़ताल पहले ही शुरू हो चुकी थी और इसके बाद स्टेट बार काउंसिल ने भी हड़ताल के लिए समर्थन दिया था। इसी दौरान तत्कालीन चीफ जस्टिस रवि मालिमठ ने 24 मार्च 2023 को आदेश जारी किया था, कि कोई भी अधिवक्ता अपनी विधिक सेवाओं से विरक्त न रहे और साथ ही किसी अन्य अधिवक्ता को भी रोकने की कोशिश ना करें।

यदि ऐसा किया जाता है तो उन पर कोर्ट की अवमानना का मामला दायर होगा। इसके बाद भी हड़ताल हुई और पूरे मध्य प्रदेश के बार काउंसिल पर अवमनाना का मामला दर्ज कर नोटिस भेजे गए थे। मामले में हाईकोर्ट ने स्टेट बर काउंसिल के अध्यक्ष से पूछा था कि किस अथॉरिटी के तहत उन्होंने इस स्ट्राइक का आव्हान किया है और क्या इस स्ट्राइक के आव्हान के दौरान सुप्रीम कोर्ट के 2003 के एक्स कैप्टन हरीश उप्पल वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया कि फैसले का पालन किया गया है? इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी जानकारी मांगी थी कि 24 मार्च 2023 को हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए आदेश के पालन के लिए बार कॉउंसिल अध्यक्ष ने क्या कदम उठाए हैं।

पूर्व बार काउंसिल अध्यक्ष के सर फूटा था ठीकरा

इस मामले की सुनवाई के दौरान 24 अप्रैल 2024 को हरदा जिला बार एसोसिएशन की ओर से अदालत में जवाब पेश किया गया था। इस जवाब में हरदा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कोर्ट से माफी भी मांगी थी पर यह बताया था कि इस हड़ताल के लिए उन्हें बार काउंसिल से दबाव था खासकर बार काउंसिल के चेयरमैन प्रेम सिंह भदोरिया के दबाव के चलते बार काउंसिल के सदस्य कोर्ट में कार्य नहीं कर पाए थे। इसके साथ ही इस जवाब में यह भी लिखा गया था कि कोर्ट के निर्देशों और जिम्मेदारी की अवहेलना के जिम्मेदार प्रेम सिंह भदोरिया ही है।

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SC में दायर याचिका ली गई वापस

स्टेट बार काउंसिल इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था। जहां से उन्हें स्टे आर्डर भी मिल चुका था। अवमानना के मामले की सुनवाई के दौरान ही स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष भी बदल चुके थे। 12 नवंबर को बार काउंसिल के अध्यक्ष राधेलाल गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि वह सुप्रीम कोर्ट में दायर स्पेशल लीव पिटिशन को विड्रॉ कर रहे हैं, ताकि हाईकोर्ट में इस मामले की सत्तत सुनवाई हो सके। 

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बार काउंसिल ने मांगी बिना शर्त माफी

21 नवंबर को इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगल पीठ में हुई। स्टेट बार काउंसिल अध्यक्ष ने हलफनामा देते हुए सभी बार काउंसिल और अधिवक्ताओं की ओर से बिना शर्त के अदालत से माफी मांगी। कोर्ट को यह भी आश्वस्त कराया गया कि बार काउंसिल के द्वारा हाईकोर्ट के दिशा निर्देशों एवं नियमों का पालन किया जाएगा। इस हलफनामें से संतुष्ट होते हुए चीफ जस्टिस की युगल पीठ ने लगभग 235 बार काउंसिल के हजारों वकीलों के ऊपर चल रहे अवमानना के मामले को खारिज कर दिया है।

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अधिवक्ताओं के लिए राहत भरा है फैसला

इस मामले में बार काउंसिल के अध्यक्ष राधेलाल गुप्ता ने बताया कि माननीय चीफ जस्टिस के द्वारा लिए गए फैसले से न्यायपालिका और संघों के बीच चल रहा गतिरोध समाप्त हुआ है। इस फैसले का स्वागत करते हुए उन्होंने बताया कि इसका असर राज्यव्यापी होगा और वकीलों में इस फैसले को लेकर बहुत ही प्रसन्नता है।

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