संजय गुप्ता, INDORE. कैंसर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले गैर मान्यता प्राप्त डिग्री से खुद को डॉक्टर बताने वाले अजय हार्डिया ( Ajay Hardia ) के खिलाफ कलेक्टर आशीष सिंह के आदेश पर एफआईआर हो गई है। इसके लिए कलेक्टर के आदेश पर भी भवंरकुंआ टीआई राजकुमार यादव ने एफआईआर दर्ज करने में सात घंटे लगाए। रिपोर्ट दर्ज कराने के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शाम चार बजे थाने पहुंच गए, लेकिन एफआईआर रात 11 बजे दर्ज की गई। वहीं अभी धारा 420 लगाई ही नहीं, जबकि सीधे धोखाधड़ी का केस था।
ये खबर भी पढ़िए...हरियाणा में BJP-JJP गठबंधन में टूट, सीएम खट्टर ने दिया इस्तीफा
इस एक्ट में कराया केस
जिला प्रशासन की ओर से स्वास्थ्य विभाग के जोनल अधिकारी अजय गुप्ता द्वारा अजय हार्डिया ( FIR against Ajay Hardia
) पर यह केस कराया गया है। इसमें भंवरकुआं थाने में अजय हार्डिया द्वारा मप्र चिकित्सा शिक्षा संस्था नियंत्रण एक्ट की धारा 8(2) के तहत केस दर्ज किया गया है। यह धारा फर्जी तरीके से डॉक्टर की उपाधि का उपयोग करने के लिए होती है। इसके तहत 3 साल की सजा और 50 हजार अर्थदंड का प्रावधान है। जबकि मामला मरीजों के साथ धोखाधड़ी का भी है, इसके लिए 420 धारा नहीं लगाई गई। इसमें सात साल तक की सजा का प्रावधान है, वहीं इसके लिए मरीजों के बयान भी लिए जा सकते हैं। हालांकि कहा जा रहा है कि विवेचना के बाद यह धारा बढ़ा सकेंगे।
ये खबर भी पढ़िए...उज्जैन व्यापार मेला से खरीदी कार तो होगा ढाई लाख का फायदा, इस तारीख तक है मौका!
अस्पताल हो चुका सील
उधर, दो दिन पहले ही जांच रिपोर्ट के बाद कलेक्टर के आदेश पर उनके अस्पताल देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर को पहले ही सील कर दिया था। भवन मंजूरी की भी जांच नगर निगम द्वारा की जाएगी। आरोपी डॉक्टर अजय हार्डिया ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय स्वास्थय मंत्री मनसुख मांडविया से भी अवार्ड लिया है। वहीं अस्पताल का उद्घाटन साल 2003 में दिग्विजय सिंह, अंबिका सोनी सहित कई नेताओं से कराया गया था।
अजय हार्डिया के अस्पताल में यह मिली थी खामियां
- अस्पताल के पास पंजीयन ही नहीं है, हार्डिया ने जांच कमेटी को बताया कि रिन्यू होना है हाईकोर्ट से स्टे है
- अस्पताल भवन मंजूरी निगम के दस्तावेज नहीं दिखा सका
- अस्पताल में किसी तरह के सर्टिफिकेट, फायर सेफ्टी, पाल्यूशन सर्टिफिकेट व अन्य दस्तावेज नहीं थे।
- अस्पताल पंजीयन के सभी मानकों को दरकिनार कर अस्पताल चल रहा था
- अजय हार्डिया खुद इलेक्ट्रो होम्योपैथिक है लेकिन वह खुद को डॉक्टर लिखते हैं और अंत में कैंसर स्पेशलिस्ट भी, जो उन्हें लिखने की मान्यता ही नहीं है और मरीजों को भ्रमित कर रहे हैं।
- अस्पताल में एमडीएस (डेंटल सर्जन) राजनंदिनी हार्डिया कैंसर मरीजों का उपचार कर रही थी।
- अस्पताल होम्योपैथी का बताय गया है लेकिन यहां दवाएं व अन्य संसाधन, मेडिकल स्टोर्स भी एलोपैथी का संचालित है
- अस्पताल में कैंसर मरीजों से 20 हजार से लेकर 65 हजार रुपए उपचार के नाम पर लिए जा रहे हैं।
- अस्पताल में अजय हार्डिया प्रमुख है तो डॉ. मनीष शर्मा सीईओ है, वहीं डॉक्टर आशीष हार्डिया, मोनिका हार्डिया व रागनंदिनी हार्डिया भी काम करते हैं। आशीष यहां डिप्टी डायरेक्टर है।
ये खबर भी पढ़िए...NEWS STRIKE : दलबदलुओं से Congress से ज्यादा BJP को नुकसान! कब तक चलेगा ये सिलसिला?
यूट्यूब वीडियो और प्रचार देखकर, कैंसर मरीज आ रहे
हार्डिया के कैंसर मरीजों के इलाज के दावों के कई यूट्यूब वीडियो है। इन्हीं को देखकर मरीज भ्रमित हो रहे हैं। वहीं इसने अपने प्रचार के कई अवार्ड के फोटो प्रचारित किए हुए है, जिसके चलते कई मरीज इसमें उलझ जाते हें। जांच कमेटी में नोडल अधिकारी डॉ अमित मालाकार, अपर तहसीलदार कमलेश कुशवाह, डिप्टी कलेक्टर प्रियंका चौरसिया, डॉ. मनीष रघुवंशी व डॉ. राकेश गुप्ता, शिवेंद्र अवस्थी, सारिका अग्रवाल, योगेश गुप्ता, डॉ. कमलेश पाटिल शामिल थे। इन्होंने अनियमितता देखते हुए अस्पताल को बंद करने की सिफारिश की थी।