INDORE. बीजेपी के जिलाध्यक्ष और नगराध्यक्ष की घोषणा अटकने में इंदौर का बड़ा हाथ है। भोपाल से लेकर दिल्ली तक पहले सब कुछ ठीक चल रहा था और दीपक टीनू जैन के नगराध्यक्ष बनाने पर सहमति हो चुकी थी लेकिन जब ग्रामीण जिलाध्यक्ष इंदौर की बात आई और इसमें अंतर दयाल पर सहमति बनने लगी तो मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की असहमति ने पेंच फंसा दिया। पहले इंदौर नगराध्यक्ष के लिए टीनू जैन की और जिलाध्यक्ष के लिए अंतर दयाल का नाम पर मुहर लग गई थी। यानी ग्रामीण से चिंटू वर्मा की विदाई हो रही थी।
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यह बात हुई और फंस गया पेंच
ग्रामीण जिलाध्यक्ष के पद पर चिंटू वर्मा को अभी नौ माह का ही समय हुआ है। वह मंत्री विजयवर्गीय के एकदम नजदीकी है। लेकिन जब ग्रामीण जिलाध्यक्ष की बात आई तो मंत्री तुलसी सिलावट ने अपने समर्थक अंतर दयाल का नाम आगे कर दिया। चूंकि ग्रामीण विधानसभा देपालपुर के विधायक मनोज पटेल और महू विधायक उषा ठाकुर से मंत्री विजयवर्गीय गुट की पटरी सही नहीं बैठ रही है। ऐसे में अन्य विधायकों ने भी चिंटू को लेकर आपत्ति ले ली। इसके चलते चिंटू की कुर्सी खतरे में पड़ गई। इस दौरान चिंटू की कुर्सी बचाने के लिए मंत्री विजयवर्गीय ने यह कहकर आपत्ति ले ली कि क्या कांग्रेस से आए सिलावट की पसंद से अब जिलाध्यक्ष बनेगा और क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया की बात ग्वालियर के साथ मालवा में भी मानी जाएगी।
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इसी पेंच में नगराध्यक्ष के लिए उठा सुमित का नाम
ग्रामीण जिलाध्यक्ष पद पर पेंच फंसने के बाद बात उठी है कि यदि ऐसा है तो फिर नगराध्यक्ष के लिए फिर सुमित मिश्रा को लीजिए। विधानसभा एक, दो और तीन सभी जगह से रायशुमारी में सुमित का नाम आया है। उधर बीजेपी में अन्य नेताओं का यह कहना है कि ग्रामीण हो या नगर क्या दोनों जगह ही मंत्री विजयवर्गीय के ही समर्थक संगठन में पद पर आएंगे। इसी बात पर पेंच फंस गया।
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