40 साल बाद यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे से आजाद हुई राजधानी

भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से 40 साल बाद, वहां फैले खतरनाक कचरे को साफ किया गया है। इस जहरीले कचरे की वजह से हजारों मौतें हो चुकी हैं और अब इसे आठ घंटे में 250 किलोमीटर की यात्रा कर पीथमपुर तक पहुंचाया गया।

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Raj Singh
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भोपाल की यूनियन कार्बाइड ( यूका ) फैक्टरी से 40 साल बाद, वहां फैले खतरनाक कचरे को साफ किया गया है। इस जहरीले कचरे की वजह से हजारों मौतें हो चुकी हैं और अब इसे आठ घंटे में 250 किलोमीटर की यात्रा कर पीथमपुर तक पहुंचाया गया। इस सफर को कोहरे ने और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया था।

पुलिस की कड़ी सुरक्षा में कचरा कंटेनरों का सफर

वाहनों की गति 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटा की तय की गई थी ताकि कचरा सुरक्षित रूप से पीथमपुर पहुंचे। रात 2:40 बजे 12 कंटेनर इंदौर बायपास से गुजरते हुए सुबह 5 बजे तक पीथमपुर स्थित आशापुरा गांव की फैक्टरी में पहुंचे। इस पूरी यात्रा के दौरान पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था मुस्तैद रही। कंटेनरों के आगे पुलिस के वाहन रास्ता साफ करते हुए चल रहे थे और पूरे सड़क पर पुलिस जवान तैनात थे।

कचरा जलाने का परीक्षण पीथमपुर में, VIP मूवमेंट से भेजे जाएंगे कंटेनर

कंटेनरों की सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रोटोकॉल

कचरे से भरे कंटेनरों में कर्मचारी पीपीई किट पहनकर बैठें थे, और इन कंटेनरों में खतरनाक अपशिष्ट का संकेत दिया गया था। तीन दिन की मेहनत के बाद 337 टन कचरे को विशेष बैगों में भरकर इन कंटेनरों में लोड किया गया था। यह कचरा चार किलोमीटर तक के हिस्से में पूरी सुरक्षा के साथ परिवहन किया गया।

यूका कचरा: 337 टन जहरीला कचरा लेकर 12 कंटेनर पीथमपुर के लिए रवाना

कोहरे का असर और कंटेनर यात्रा में देरी

बुधवार को देवास से इंदौर तक घना कोहरा छाया, जिससे कंटेनरों की गति 40 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई। कचरे से भरे कंटेनर देर रात एक बजे तक इंदौर पहुंचे। कोहरे के कारण यात्रा में डेढ़ घंटे की देरी हुई, जबकि कंटेनर भोपाल से रात 9 बजे रवाना हुए थे।

FAQ

भोपाल से कचरा पीथमपुर तक कैसे भेजा गया?
कचरे को 12 कंटेनरों में लोड कर इंदौर बायपास से पीथमपुर भेजा गया। इस प्रक्रिया में पुलिस सुरक्षा और कोहरे के कारण गति कम रखी गई।
इस सफर में कितनी दूरी तय की गई?
कचरे ने कुल 250 किलोमीटर की यात्रा की, जो आठ घंटे में पूरी हुई।
कचरे की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की गई?
कर्मचारियों ने पीपीई किट पहनकर कंटेनरों में काम किया, और रास्ते पर पुलिस सुरक्षा व्यवस्था थी।
कचरे के कंटेनरों में क्या लिखा था?
कंटेनरों पर "खतरनाक अपशिष्ट" (Hazardous Waste) का संकेत दिया गया था।
कोहरे का इस सफर पर क्या असर पड़ा?
घने कोहरे के कारण कंटेनरों की गति 40 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई, जिससे यात्रा में देरी

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