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मध्य प्रदेश में 10 साल से अधिक समय तक नौकरी करने के बाद 14 परिवहन आरक्षकों को सेवा से हटा दिया गया है। यह फैसला मप्र हाई कोर्ट के आदेश पर लिया गया। आरक्षकों ने जबलपुर बेंच में याचिका दायर की थी, जिसमें उनका आरोप था कि उन्हें नियमित नहीं किया गया था।
हाई कोर्ट का कड़ा आदेश
हाई कोर्ट के जस्टिस विशाल मिश्रा ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि जनवरी 2014 में इन आरक्षकों को नौकरी से हटाने का आदेश दिया गया था। इसके बावजूद, इनसे 10 साल तक काम लिया गया और वेतन भी दिया गया, जो जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग है।
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किस अधिकारी ने दी थी अनुमति?
कोर्ट ने मप्र के मुख्य सचिव को आदेश दिया कि वे एक समिति बनाकर यह जांच करें कि किस अधिकारी ने इन आरक्षकों को बिना नियमित किए काम करने की अनुमति दी थी। इसके साथ ही, इन आरक्षकों को 10 साल से अधिक समय तक दिए गए वेतन की वसूली भी उस अधिकारी से की जाएगी। यह जांच प्रक्रिया 90 दिनों के अंदर पूरी करनी होगी।
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2012 में हुई थी भर्ती, 2013 में नियुक्ति
परिवहन विभाग ने 2012 में आरक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था और 2013 में भर्ती प्रक्रिया पूरी की गई थी। इस भर्ती में महिला अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित 45 पदों पर भर्ती की गई थी। हालांकि, 14 आरक्षकों ने 17 अक्टूबर 2023 को कोर्ट में याचिका दायर की और नियमित न किए जाने का आरोप लगाया था।
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