मध्यप्रदेश में उज्जैन से जावरा के बीच बनने वाले उज्जैन ग्रीनफील्ड हाइवे परियोजना का टेंडर रद्द कर दिया गया है। मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (MPRDC) ने 5017 करोड़ रुपए की इस परियोजना पर ब्रेक लगाया है। यह हाइवे 102 किमी लंबा होगा और यात्रियों को दिल्ली और मुंबई तक का सफर 10 घंटे में पूरा करने की सुविधा प्रदान करेगा। परियोजना में तकनीकी और भूमि अधिग्रहण संबंधित समस्याओं के कारण काम रुक गया है।
14 जनवरी 2024 को सीएम मोहन यादव ने नागदा के मुक्तेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित एक कार्यक्रम में इस ग्रीनफील्ड हाइवे के निर्माण की घोषणा की थी। इसके लिए मार्च 2024 में 5017 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई थी। इसमें से 557 करोड़ रुपये सड़क विकास निगम द्वारा खर्च किए जाने थे, और बाकी राशि राज्य सरकार के बजट से खर्च करने का निर्णय लिया गया था।
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टेंडर प्रक्रिया रद्द होने का कारण
एमपीआरडीसी ने इस परियोजना के लिए 8 अप्रैल तक निविदाएं आमंत्रित की थीं। 13 कंपनियों ने टेंडर डाले थे, और बंसल कंस्ट्रक्शन वर्क प्रॉ.लि. के नाम पर टेंडर खोला गया था। टेंडर में कई शर्तें थीं, जिनमें संबंधित निर्माण एजेंसी को दो साल में काम पूरा करने का दायित्व था। हालांकि, बिना किसी स्पष्ट कारण के सरकार ने टेंडर को रद्द कर दिया है। एमपीआरडीसी के अधिकारियों के पास भी इस टेंडर को रद्द करने की आधिकारिक जानकारी नहीं है।
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हाइवे से यात्रा की संभावनाएं
इस हाइवे के बनने के बाद उज्जैन से दिल्ली और मुंबई तक का सफर 10 घंटे में पूरा किया जा सकता था। यह हाइवे उज्जैन से जावरा तक बनेगा और इस परियोजना का उद्देश्य मध्यप्रदेश में परिवहन को बेहतर बनाना था। सितंबर 2024 में इस हाइवे के लिए जमीन अधिग्रहण शुरू हुआ था, और मार्च 2025 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य था। लेकिन किसानों द्वारा मुआवजे या रोड के डिजाइन पर आपत्ति के कारण काम रुक गया था।
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49 गांवों से गुजरेगा हाइवे
इस हाइवे का मार्ग 49 से अधिक गांवों से होकर गुजरेगा। इनमें नागदा, खाचरौद, उन्हेल तहसील के 30 गांव शामिल हैं। इन गांवों में निंबोदिया खुर्द, पांसलोद, भाटीसुडा, आक्यानजीक, झिरनिया, पिपलिया डाबी, लसुडिया चुवंड, पिपलियाशीष, नवादा, कुंडला, नागझिरी, भाटखेडी, बंजारी, टुमनी, मीण, घिनौदा जैसे गांव शामिल हैं। इन गांवों में हाइवे के निर्माण को लेकर कई स्थानीय लोग आशंकित हैं।
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टेंडर रद्द होने की स्थिति
इस परियोजना के टेंडर रद्द करने के बाद, एमपीआरडीसी ने यह पुष्टि की है कि इस मामले में वरिष्ठ कार्यालय से आदेश आए थे। हालांकि, रद्द करने के कारण फिलहाल स्पष्ट नहीं हो सके हैं।
परियोजना पर उठ रहे सवाल
इस परियोजना के रुकने से कई सवाल उठ रहे हैं, खासकर भूमि अधिग्रहण और स्थानीय लोगों द्वारा आपत्तियों को लेकर। इसे लेकर स्थानीय नेताओं और किसानों ने कई बार चिंता जताई थी, और अब इस परियोजना के भविष्य पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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