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उज्जैन के महाकाल लोक जाने का रास्ता अब पहले से कहीं ज्यादा सुविधाजनक होने वाला है। इसके लिए 710 मीटर लंबा और 22.18 मीटर चौड़ा नया रास्ता तैयार किया जा रहा है। इससे श्रद्धालुओं को महाकाल लोक तक पहुंचने में आसानी होगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस परियोजना को लेकर रेलवे ने भी अपनी सहमति दे दी है। इससे यह तय हो गया है कि नए रास्ते के निर्माण के दौरान रेलवे यातायात पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा।
नया रास्ता क्यों जरूरी है?
नए रास्ते की सबसे बड़ी खासियत यह है कि श्रद्धालुओं के लिए यात्रा को और भी आसान बना दिया जाएगा। इस रास्ते के बन जाने से महाकाल लोक (Mahakal Lok) तक पहुंचने के लिए पहले जैसी लंबी यात्रा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे समय की भी बचत होगी और यात्रा करना भी आसान हो जाएगा।
भीड़ नियंत्रण में मदद:
यह नया रास्ता खासतौर पर भीड़ नियंत्रण के लिए अहम साबित होगा। महाशिवरात्रि, नागपंचमी, और नववर्ष जैसे अहम अवसरों पर जब अधिक संख्या में श्रद्धालु आते हैं, ऐसे में इस मार्ग के कारण श्रद्धालुओं की आवाजाही सुगम होगी। इंदौर और देवास से आने वाले यात्री हरिफाटक के पास वाहन पार्क कर सीधे महाकाल लोक तक पहुंच सकेंगे।यातायात दबाव कम होगा:
यह मार्ग पैदल यात्रियों के लिए अलग से तैयार किया जाएगा। इससे हरिफाटक ब्रिज, महाकाल घाटी, नीलगंगा, इंदौर रोड और जयसिंहपुरा जैसे प्रमुख स्थानों पर यातायात का दबाव कम होगा। खासतौर पर तीर्थयात्रियों के लिए अलग मार्ग होने से इन इलाकों में ट्रैफिक जाम की समस्या घटेगी।
परियोजना की समय सीमा और लागत
इस परियोजना का कार्य 63 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है। इसका निर्माण जून 2027 तक पूरा होने की संभावना है। यह नया रास्ता महाकाल लोक तक श्रद्धालुओं की पहुंच को और आसान और सुविधाजनक बनाएगा।
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