महाकाल लोक की तर्ज पर बनेगा भोरमदेव मंदिर, 38 करोड़ से बदलेगा परिसर का रूप, स्वदेश दर्शन में शामिल

छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक भोरमदेव मंदिर में अब महाकाल कॉरिडोर जैसी सुविधाएं मिलेंगी। 38 करोड़ रुपए की लागत से यहां धार्मिक और पर्यटन सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। केंद्र सरकार ने इसे स्वदेश दर्शन प्रोजेक्ट में शामिल करने की मंजूरी दी है।

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Arun Tiwari
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Photograph: (the sootr)

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RAIPUR.छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में स्थित ऐतिहासिक भोरमदेव मंदिर परिसर अब जल्द ही नए रूप में नजर आएगा। 11वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर अपनी प्राचीन स्थापत्य कला और धार्मिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने इसे स्वदेश दर्शन योजना 2.0 में शामिल किया है। अब यहां 38 करोड़ रुपए की लागत से भोरमदेव मंदिर कॉरिडोर विकसित किया जाएगा। यह पूरी तरह से उज्जैन का महाकाल कॉरिडोर की तर्ज पर होगा। जल्द ही भोरमदेव मंदिर महाकाल लोक में तब्दील होता हुआ नजर आएगा। 

भोरमदेव मंदिर: भारतीय वास्तुकला का एक प्राचीन चमत्कार - ट्रिपएक्सएल

परियोजना का टेंडर जारी

राज्य सरकार ने परियोजना के निर्माण के लिए टेंडर जारी कर दिया है। इसके तहत मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण, यज्ञ मंडप, प्रसाद भवन, चिल्ड्रन पार्क, कैफेटेरिया और सभा हाल जैसे कई निर्माण कार्य किए जाएंगे। इससे न सिर्फ श्रद्धालुओं की सुविधाएं बढ़ेंगी बल्कि यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या भी कई गुना बढ़ने की उम्मीद है। 

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छत्तीसगढ़ के भोरमदेव मंदिर काॅरिडोर परियोजना को ऐसे समझें

छत्तीसगढ़ का खजुराहो भोरमदेव | Khajuraho Bhoramdev of Chhattisgarh

भोरमदेव मंदिर कॉरिडोर परियोजना:छत्तीसगढ़ कबीरधाम जिला स्थित ऐतिहासिक भोरमदेव मंदिर को अब महाकाल कॉरिडोर की तर्ज पर 38 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किया जाएगा।

प्रमुख निर्माण कार्य: परियोजना में मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण, यज्ञ मंडप, प्रसाद भवन, चिल्ड्रन पार्क, कैफेटेरिया, और सभा हाल का निर्माण किया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।

चार प्रवेश द्वार: मंदिर परिसर में चार प्रमुख प्रवेश द्वार बनाए जाएंगे, जिनकी कुल लागत 1 करोड़ 17 लाख रुपए होगी, और इन्हें आकर्षक रूप से सजाया जाएगा।

परियोजना की शुरुआत: राज्य पर्यटन विभाग के अनुसार, कॉरिडोर निर्माण कार्य 28 नवंबर से शुरू होगा और मंदिर को एक प्रमुख धार्मिक-पर्यटन स्थल बनाया जाएगा।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: भोरमदेव मंदिर को छत्तीसगढ़ का ‘खजुराहो’ कहा जाता है और इसे अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।

छत्तीसगढ़ का ‘खजुराहो’ है भोरमदेव मंदिर

भोरमदेव मंदिर को छत्तीसगढ़ का ‘खजुराहो’ कहा जाता है, क्योंकि इसकी मूर्तिकला और वास्तुकला मध्यप्रदेश के खजुराहो मंदिरों की झलक देती है। अब कॉरिडोर बनने के बाद यह स्थल प्रदेश के प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थलों में शामिल हो जाएगा।

यह मंदिर रायपुर से लगभग 118 किलोमीटर दूर स्थित है और अपनी ऐतिहासिक तथा आध्यात्मिक पहचान के कारण पहले से ही श्रद्धालुओं का प्रिय स्थल है। अब यहां विकसित हो रही आधुनिक सुविधाएं इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख धार्मिक-पर्यटन केंद्र के रूप में पहचान दिलाएंगी।

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चार प्रवेश द्वार बनेंगे

कॉरिडोर परियोजना के अंतर्गत चार प्रवेश द्वारों का निर्माण और सौंदर्यीकरण किया जाएगा, जिस पर लगभग 1 करोड़ 17 लाख रुपए खर्च होंगे। इसमें  प्रवेश द्वार के लिए 13 लाख 90 हजार, गोल चक्कर के पास प्रवेश द्वार के लिए 80 लाख, नागा प्रवेश द्वार पर 14 लाख और चौथे द्वार के लिए 10 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे।

इसके अलावा 12 अन्य विकास कार्य भी शामिल हैं - जिनमें मिनी हॉल, पाथवे और लैंडस्केपिंग का कार्य प्रमुख है। मिनी हॉल पर 5 लाख 89 हजार और पाथवे पर करीब 23 लाख रुपए खर्च होंगे। राज्य पर्यटन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, कॉरिडोर निर्माण कार्य 28 नवंबर से शुरू होने की संभावना है।

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