नासिर बेलीम@ujjain
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में शिव और शक्ति का साक्षात वास माना जाता है, इसलिए यहां के पर्व और उत्सव भी अद्भुत होते हैं। महाकाल वन में हर साल होली का त्योहार भक्ति और उल्लास के संगम के साथ मनाया जाता है। इस आयोजन में भक्त शिव-पार्वती, भूत-पिशाच और नंदी का रूप धारण कर श्रद्धा से झूमते हैं। गुलाल, फूलों और भांग के साथ यह होली एक अलौकिक अनुभव देती है। इस साल भी महाकालेश्वर मंदिर और माता हरसिद्धि मंदिर के समीप शिप्रा नदी के किनारे यह अनोखा आयोजन हुआ, जिसमें महाकाल के पुजारी, भक्त और श्रद्धालु शामिल हुए।
शिप्रा के किनारे महाकाल वन में होली का आयोजन
उज्जैन में हर साल महाकाल वन में होली का उत्सव विशेष अंदाज में मनाया जाता है। गुरुवार को पूर्णिमा तिथि पर महाकालेश्वर मंदिर और माता हरसिद्धि मंदिर के पास, शिप्रा नदी के तट पर यह आयोजन हुआ। इस उत्सव में शिव और पार्वती प्रतीकात्मक रूप में शामिल हुए। मानो ऐसा लग रहा था कि भोलेनाथ स्वयं अपनी अर्धांगिनी के साथ धरती पर अवतरित हुए हों। जब शिव-पार्वती नृत्य करने लगे तो भक्तगण भी उनके साथ झूमने लगे।
भूत-पिशाच और नंदी भी हुए शामिल
होली के इस इस भव्य आयोजन की खास बात यह थी कि शिव के गण यानी भूत-पिशाच और नंदी भी विशेष रूप से तैयार होकर इस उत्सव का हिस्सा बने। शिव भक्तों ने जुलूस के रूप में नाचते-गाते हुए आयोजन स्थल तक पहुंचकर होली का पर्व मनाया। यह उत्सव शिव की भक्ति और रंगों के मिलन का अनोखा संगम था।
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गुलाल, फूलों और भक्ति के रंगों में रंगी होली
- महाकाल वन की इस होली में अबीर-गुलाल और फूलों की होली खेली गई।
- महिलाओं ने शिव-पार्वती के साथ भजन गाए और एक-दूसरे को गुलाल लगाया।
- भक्तों ने शिव का जयकारा लगाते हुए होली खेली और पूरे वातावरण को शिवमय बना दिया।
- यह आयोजन पूरी तरह भक्ति, उल्लास और श्रद्धा से भरा हुआ था।
भांग घोटने और चौसर खेलने की परंपरा
- महाकाल की होली में सिर्फ रंग ही नहीं, बल्कि शिव की प्रिय परंपराओं को भी निभाया जाता है।
- भक्त भांग घोटते नजर आए, जो भगवान शिव को प्रिय मानी जाती है।
- वहीं, कई श्रद्धालु चौसर (प्राचीन खेल) खेलते दिखाई दिए, जिससे यह आयोजन और भी खास बन गया।
- यह आयोजन महाकाल मंदिर शयन आरती भक्ति मंडल द्वारा आयोजित किया जाता है, जिसमें महाकाल मंदिर के पुजारी, भक्त और श्रद्धालु शामिल होते हैं। इसमें भक्त झूमते गाते नजर आते हैं।
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