उज्जैन में सिंहस्थ मेला 2028 की तैयारियों को लेकर कई विकास कार्यों पर जोर दिया जा रहा है। मेला क्षेत्र में पेयजल, सीवरेज, स्वास्थ्य सेवाओं और साफ-सफाई को लेकर व्यापक योजनाएं बनाई जा रही हैं। 200 एमएलडी पेयजल क्षमता, 100 एमएलडी स्थायी एसटीपी और 60 एमएलडी अस्थायी सीवरेज प्रबंधन का निर्माण होगा। इसके साथ ही 550 बिस्तरों की क्षमता वाली मेडिसिटी का निर्माण किया जा रहा है।
सिंहस्थ क्षेत्र को 6 जोन में बांटकर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाएंगी। जिसके लिए 16,220 सफाईकर्मियों की जरूरत होगी। तकनीकी विकास के अंतर्गत फेस रिकग्निशन और अलर्ट सिस्टम के सॉफ्टवेयर विकसित किए जा रहे हैं।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए महाकाल महालोक और अन्य प्राचीन स्थलों पर भी काम चल रहा है। जल जीवन मिशन के तहत रोड रेस्टोरेशन की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है।
ये खबर भी पढ़ें-
सिंहस्थ 2028 के लिए CM ने दिए निर्देश, हर 15 दिन में होगी मॉनिटरिंग
सिंहस्थ 2028: उज्जैन प्रशासन की तैयारी जोरों पर
जल संसाधन विभाग की योजनाओं पर नजर
सिंहस्थ क्षेत्र में 919.94 करोड़ रुपये की लागत वाली कान्ह क्लोज डक्ट परियोजना का 15.50 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। इसके अलावा 778.91 करोड़ रुपये की लागत से 29 घाटों का निर्माण होगा। क्षिप्रा नदी को प्रवाहमान बनाए रखने के लिए उज्जैन, देवास और इंदौर में बैराजों की श्रृंखला बनाई जा रही है। नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना समेत अन्य परियोजनाओं की भी समीक्षा की गई।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और विस्तार
सिंहस्थ क्षेत्र में 550 बिस्तरों की मेडिसिटी का निर्माण हो रहा है। यहां जनसंख्या के पीक लोड के समय अतिरिक्त सुविधाएं जोड़ी जाएंगी। मेला क्षेत्र में 500 अस्थायी अस्पतालों का निर्माण और स्वास्थ्य कर्मियों की ट्रेनिंग आयोजित होगी। स्वास्थ्य प्लान में आयुष विभाग को भी शामिल किया गया है। आपदा प्रबंधन के तहत बर्न यूनिट, ब्लड बैंक, और ट्रॉमा सेंटर की तैयारी पर जोर दिया जा रहा है।
ये खबर भी पढ़ें-
नमामि क्षिप्रा: सिंहस्थ 2028 से पहले प्रदूषण मुक्त होगी क्षिप्रा, स्पेशल पीआईयू गठित
सिंहस्थ 2028 को लेकर एक्शन में CS जैन, कहा- इस साल तक हो काम पूरा
स्वच्छता और तकनीकी विकास पर जोर
सिंहस्थ क्षेत्र में 16,220 सफाई कर्मियों की आवश्यकता होगी। कचरा प्रबंधन के लिए विशेष आउटसोर्स एजेंसी का फॉलोअप होगा। तकनीकी विकास के तहत फेस रिकग्निशन और अलर्ट सिस्टम के सॉफ्टवेयर विकसित किए जा रहे हैं। आईटीएमएस पुलिस विभाग को सौंपा जाएगा और ड्रोन सर्विस व वर्चुअल टूर के लिए ऑल-इन-वन ऐप बनाया जाएगा।
पर्यटन और महाकाल महालोक परियोजनाएं
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए महाकाल महालोक में पौराणिक कथाओं का वर्णन मूर्तियों के नीचे होगा। श्रीकृष्ण सुदामा मंदिर और अन्य प्राचीन स्थलों का विकास भी किया जा रहा है। पंचकोशी यात्रा मार्ग का उन्नयन 10 करोड़ रुपये की लागत से होगा। होटल, बोट क्लब, जलक्रीड़ा सुविधाओं समेत अन्य पर्यटन परियोजनाओं पर भी काम हो रहा है।