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INDORE. उज्जैन सिंहस्थ 2028के एक अहम प्रोजेक्ट को हाईकोर्ट इंदौर से झटका लगा है। यह वाटर रिसोर्सेज डिपार्टमेंट का 614 करोड़ का सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी रिजर्वायर (लेक) प्रोजेक्ट है। इसके तहत सिलारखेड़ी लेक की क्षमता को बढ़ाना है।
यहां पर बारिश के पानी को जमा किया जाएगा और इससे शिप्रा में पानी जाएगा। इससे सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालुओं के स्नान की व्यवस्था होगी।
हाईकोर्ट में गए हैं 25 किसान
इंदौर हाईकोर्ट में इसके लिए हो रही 35 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण के खिलाफ सिलारखेड़ी गांव के किसान गए हैं। किसानों की आपत्ति भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया व दावों को लेकर है।
याचिका पर फिलहाल हाईकोर्ट ने यह राहत तो दी है कि प्रशासन भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई को जारी रख सकती है। इसके साथ ही इसमें प्रभावितों को किसी भी तरह से बेदखल करने पर रोक लगा दी है। इसमें सभी पक्षों से जवाब मांगा गया है।
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सामाजिक अध्ययन रिपोर्ट पर उठे हैं सवाल
इसमें किसानों ने अधिग्रहण की प्रक्रिया, इसके लिए बनी सामाजिक प्रभाव को लेकर विशेषज्ञों की रिपोर्ट आदि पर सवाल खड़े किए हैं। इसमें कहा गया है कि इससे किसी का स्थायी विस्थापन नहीं हो रहा है। क्षेत्र में विकास होगा, आवागमन बेहतर होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
इस पर किसानों ने सवाल खड़ा किया है कि मौजूद लेक की क्षमता बढ़ाने से किस तरह से आवागमन बेहतर हो जाएगा, कोई रोड नहीं बन रही है। किसानों का कहना है कि कई लोगों की पूरी जमीन जा रही है और स्थायी विस्थापित हो रहे हैं। सामाजिक अध्ययन व्यवस्थित नहीं किया गया है और न ही अधिग्रहण की प्रक्रिया व्यवस्थित तरीके से की गई है।
उज्जैन सिंहस्थ की खबर पर एक नजर...
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हाईकोर्ट ने भी की टिप्पणी- क्या स्पीड बोट चलाएंगे?
इस रिपोर्ट पर बहस के दौरान हाईकोर्ट ने भी अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि लेक क्षमता बढ़ाने से आवागमन कैसे बेहतर होगा? क्या स्पीड बोट चलेगी? सभी तर्कों के सुनने के बाद हाईकोर्ट ने बेदखली पर रोक लगा दी।
सिंहस्थ मेला जमीन का मामला पहले ही फंसा है
इसके पहले उज्जैन सिंहस्थ मेला क्षेत्र के जमीन अधिग्रहण का पेंच पहले ही फंस चुका है। हालांकि विरोध के बाद मध्य प्रदेश शासन ने स्थायी जमीन अधिग्रहण को रोक दिया है। वहीं, संशोधित आदेश से भी किसान संघ खुश नहीं है। इस पूरे मामले में अभी भी किसान वर्ग नाराज चल रहा है।
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