उज्जैन सिंहस्थ के अहम सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी प्रोजेक्ट को झटका, हाईकोर्ट ने बेदखली पर लगाई रोक

उज्जैन सिंहस्थ के लिए महत्वपूर्ण सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी रिजर्वायर प्रोजेक्ट को हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। किसानों की याचिका पर हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

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Sanjay Gupta
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INDORE. उज्जैन सिंहस्थ 2028के एक अहम प्रोजेक्ट को हाईकोर्ट इंदौर से झटका लगा है। यह वाटर रिसोर्सेज डिपार्टमेंट का 614 करोड़ का सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी रिजर्वायर (लेक) प्रोजेक्ट है। इसके तहत सिलारखेड़ी लेक की क्षमता को बढ़ाना है।

यहां पर बारिश के पानी को जमा किया जाएगा और इससे शिप्रा में पानी जाएगा। इससे सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालुओं के स्नान की व्यवस्था होगी।

हाईकोर्ट में गए हैं 25 किसान

इंदौर हाईकोर्ट में इसके लिए हो रही 35 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण के खिलाफ सिलारखेड़ी गांव के किसान गए हैं। किसानों की आपत्ति भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया व दावों को लेकर है।

याचिका पर फिलहाल हाईकोर्ट ने यह राहत तो दी है कि प्रशासन भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई को जारी रख सकती है। इसके साथ ही इसमें प्रभावितों को किसी भी तरह से बेदखल करने पर रोक लगा दी है। इसमें सभी पक्षों से जवाब मांगा गया है।

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सामाजिक अध्ययन रिपोर्ट पर उठे हैं सवाल

इसमें किसानों ने अधिग्रहण की प्रक्रिया, इसके लिए बनी सामाजिक प्रभाव को लेकर विशेषज्ञों की रिपोर्ट आदि पर सवाल खड़े किए हैं। इसमें कहा गया है कि इससे किसी का स्थायी विस्थापन नहीं हो रहा है। क्षेत्र में विकास होगा, आवागमन बेहतर होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

इस पर किसानों ने सवाल खड़ा किया है कि मौजूद लेक की क्षमता बढ़ाने से किस तरह से आवागमन बेहतर हो जाएगा, कोई रोड नहीं बन रही है। किसानों का कहना है कि कई लोगों की पूरी जमीन जा रही है और स्थायी विस्थापित हो रहे हैं। सामाजिक अध्ययन व्यवस्थित नहीं किया गया है और न ही अधिग्रहण की प्रक्रिया व्यवस्थित तरीके से की गई है।

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उज्जैन सिंहस्थ की खबर पर एक नजर...

  • उज्जैन के 614 करोड़ के सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी रिजर्वायर प्रोजेक्ट को इंदौर हाईकोर्ट से झटका लगा है, जिसमें सिलारखेड़ी लेक की क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य है।

  • सिलारखेड़ी गांव के 25 किसानों ने भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया और दावों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।

  • कोर्ट ने प्रशासन को भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दी, लेकिन बेदखली पर रोक लगा दी और सभी पक्षों से जवाब मांगा।

  • किसानों ने सामाजिक प्रभाव अध्ययन और अधिग्रहण प्रक्रिया पर सवाल उठाए, यह आरोप लगाते हुए कि किसी का स्थायी विस्थापन नहीं हो रहा है और प्रक्रिया अव्यवस्थित है।

  • बहस के दौरान, हाईकोर्ट ने पूछा कि लेक क्षमता बढ़ाने से आवागमन कैसे बेहतर होगा और क्या स्पीड बोट चलाए जाएंगे?

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हाईकोर्ट ने भी की टिप्पणी- क्या स्पीड बोट चलाएंगे?

इस रिपोर्ट पर बहस के दौरान हाईकोर्ट ने भी अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि लेक क्षमता बढ़ाने से आवागमन कैसे बेहतर होगा? क्या स्पीड बोट चलेगी? सभी तर्कों के सुनने के बाद हाईकोर्ट ने बेदखली पर रोक लगा दी।

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सिंहस्थ मेला जमीन का मामला पहले ही फंसा है

इसके पहले उज्जैन सिंहस्थ मेला क्षेत्र के जमीन अधिग्रहण का पेंच पहले ही फंस चुका है। हालांकि विरोध के बाद मध्य प्रदेश शासन ने स्थायी जमीन अधिग्रहण को रोक दिया है। वहीं, संशोधित आदेश से भी किसान संघ खुश नहीं है। इस पूरे मामले में अभी भी किसान वर्ग नाराज चल रहा है।

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