महाकाल लोक में तीसरी बार बदली जाएंगी सप्तऋषियों की मूर्तियां , 11 महीने पहले आंधी में गिरी थीं, तब भी बदली गईं

महाकाल लोक में सप्तऋषियों की मूर्तियों को 11 महीने में तीसरी बार बदलने की तैयारी की जा रही है। इस बार ढाई करोड़ की लागत से पत्थरों की मूर्तियां लगाई जा रही हैं। पिछले 11 महीने में तीसरी बार सप्तऋषियों की मूर्तियां बदलने जा रही हैं...

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Sandeep Kumar
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महाकाल लोक में सप्तऋषियों की मूर्तियों को तीसरी बार बदला जाएगा

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BHOPAL. उज्जैन के महाकाल लोक (  Mahakaal Lok ) में सप्तऋषियों (  Saptarishis ) की मूर्तियों को 11 महीने में तीसरी बार बदलने की तैयारी है। इस बार 2.50 करोड़ की लागत से पत्थरों की मूर्तियां लगाई जा रही हैं। ओडिशा के कलाकारों ने मूर्तियों को तराशने का काम भी शुरू कर दिया है। पहले फेज में सप्तऋषि की मूर्तियां बनाई जाएंगी इसके बाद बाकी मूर्तियों को भी बदला जाएगा। इसके लिए प्रशासन ने नया एस्टीमेट तैयार कर रहा है। दरअसल, पिछले साल 29 मई को सप्तऋषि की सात में से 6 मूर्तियां आंधी-तूफान की वजह से धराशाई हो गई थीं। 66 लाख रुपए में फाइबर रीइन्फोर्स प्लास्टिक यानी  FRP से बनी ये मूर्तियां भीतर से खोखली थीं। मूर्तियों के गिरने के बाद तत्कालीन सीएम शिवराज ने इन्हें नए सिरे से बनाने के निर्देश दिए थे। अगस्त में एक बार फिर नई मूर्तियां लगाई गईं। शिवराज सरकार बदलते ही नए सीएम डॉ. मोहन यादव ने यहां पत्थर की मूर्तियां लगाने का आदेश दिया था।

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सप्तऋषियों की मूर्तियों के स्केच सुनील विश्वकर्मा ने बनाए

अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्रतिमा का स्केच बनाने वाले बनारस के कलाकार सुनील विश्वकर्मा ने ही सप्तऋषियों की मूर्तियों के स्केच बनाए हैं। सुनील का कहना है कि हर मूर्ति का स्केच प्रतिमा विज्ञान के आधार पर तैयार किया है। इसके लिए विभिन्न पौराणिक ग्रंथों का अध्ययन किया। इससे पता चला कि सप्तऋषियों में कौन से ऋषि किस विद्या के जानकार थे। उनका स्वभाव कैसा था, ग्रंथ में दी गई डिटेल के आधार पर उनके शारीरिक सौष्ठव की कल्पना की गई है। 

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लाल पत्थर से बनाई जा रही हैं मूर्तियां

महाराज विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी के मुताबिक शिव और सप्तऋषि की मूर्तियों का निर्माण 6 महीने में होगा। ओडिशा के कोणार्क से 10 कलाकार इन मूर्तियों को तैयार करेंगे। ये पत्थर की शुरुआती कटिंग का काम करेंगे। इसके बाद मूर्तियों को तराशने बाकी कलाकार भी आएंगे। उज्जैन के हरि फाटक के पास स्थित हाट बाजार में इन प्रतिमाओं का निर्माण किया जा रहा है। त्रिवेणी संग्रहालय के क्यूरेटर अशोक मिश्रा कहते हैं कि ऋषि अत्रि, कश्यप, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ, भारद्वाज और विश्वामित्र की मूर्ति को तैयार करने के लिए 8 से 10 कलाकारों की टीम काम करेगी। हर मूर्ति 15 फीट ऊंची, 10 फीट चौड़ी और 4.5 फीट के सर्किल में होगी।

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आंधी- तूफान में गिरी थीं मूर्तियां

पिछले साल 29 मई को जब आंधी-तूफान की वजह से सप्त ऋषि की मूर्तियां धराशाई हो गई थीं। तब इस मामले में लोकायुक्त ने खुद संज्ञान लेते हुए प्राथमिक केस दर्ज किया था। लोकायुक्त की टेक्निकल टीम ने इसकी प्रारंभिक जांच भी की थी। इसमें पता चला कि मूर्तियों की न तो ड्राइंग बनी थी, न ही डिजाइन। टेंडर एग्रीमेंट में जिम्मेदार अफसरों के दस्तखत भी नहीं थे न ही मूर्तियों का स्पेसिफिकेशन तय किया था। लोकायुक्त ने उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड को जो नोटिस भेजा था, उसमें लिखा था कि ऐसा लगता है कि मूर्तियों का निर्माण ठेकेदार की मर्जी से हुआ है। जब अनुबंध में प्रावधान ही नहीं था तो फिर काम किस आधार पर और कैसे करवाया गया ?

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मूर्तियों के टूटने पर कांग्रेस ने उठाए थे सवाल

मूर्तियों के हवा में गिरने पर कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो गई थी। कांग्रेस ने महाकाल लोक प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। लगातार विरोध के बीच सप्तऋषि की 6 मूर्तियों को रिपेअर करने की योजना बनाई गई, लेकिन विरोध ज्यादा बढ़ने पर तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इन्हें नए सिरे से बनवाने की बात कही थी। सप्तऋषि की मूर्तियों को मुंबई में तैयार कराकर अगस्त 2023 में इन्हें महाकाल लोक में स्थापित किया गया था।

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