Congress कार्यकर्ताओं ने Shobha Ojha को बताया था मठाधीश, विरोध के बाद Wankhede हुए इंदौर लोकसभा चुनाव प्रभारी

मध्यप्रदेश के इंदौर में किसी बड़े नेता का प्रभारी नहीं बनना दिखाता है कि कांग्रेस मान चुकी है कि यह बीजेपी का गढ़ है और यहां अधिक जोर लगाने से कोई मतलब नहीं है। इसलिए यहां से जीतू पटवारी सहित अन्य बड़े नेताओं ने भी चुनाव में उतरने से कन्नी काट ली। 

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Jitendra Shrivastava
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संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ( Congress ) पार्टी ने मप्र महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष शोभा ओझा ( Shobha Ojha ) और सत्यनारायण पटेल को चुनाव प्रभारी बनाया था। लेकिन कार्यकर्ताओं ने ओझा को मठाधीश बताते हुए विरोध शूरू कर दिया। इसके बाद अब प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने ओझा की जगह पर आगर-मालवा के पूर्व विधायक विपिन वानखेड़े ( Wankhede ) को प्रभार देने के आदेश जारी कर दिए हैं। सत्तू पटेल तो वैसे ही यूपी में अधिक सक्रिय रहेंगे। 

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कांग्रेस का इंदौर पर नहीं है ज्यादा जोर

कांग्रेस ने पहले इंदौर सीट के लिए विधायक बाला बच्चन को प्रभारी बनाया था। लेकिन बाद में उन्हें खरगोन सीट पर अधिक ध्यान देने के लिए कहा गया और प्रभारी हटा दिया गया। उनके बाद शोभा ओझा और सत्तू पटेल दोनों को बनाया गया। ओझा कोई चुनाव नहीं जीती तो वहीं सत्तू पटेल विधानसभा चुनाव हार गए। इसके बाद अब आगर मालवा से एक बार विधायक रह चुके और हाल ही में 2023 का चुनाव हारे विपिन वानखेड़े को इंदौर का प्रभार दिया गया है। यहां किसी बड़े नेता का प्रभारी नहीं बनना दिखाता है कि कांग्रेस मान चुकी है कि यह बीजेपी का गढ़ है और यहां अधिक जोर लगाने से कोई मतलब नहीं है। इसलिए यहां से जीतू पटवारी सहित अन्य बड़े नेताओं ने भी चुनाव में उतरने से कन्नी काट ली और कई नेता बीजेपी में निकल लिए। 

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कार्यकर्ताओं ने खुलकर जताया था ओझा का विरोध

सोशल मीडिया पर इंदौर एक से कांग्रेस नेता अनूप शुक्ला व अन्य ने लिखा था कि- 'कांग्रेस ने इंदौर से लोकसभा प्रभारी शोभा ओझा को बनाया है, जो कि स्वयं कभी चुनाव नहीं जीतीं, न ही कार्यकर्ताओं में पकड़ है, ऐसे मठाधीश को प्रभारी बनाया गया है।' यही भी लिखा गया है कि- 'ऐसी ही स्थिति रही तो कांग्रेस प्रत्याशी 8 लाख से अधिक वोट से हारेगा।'

शोभा ओझा के साथ महिलाएं ही नहीं, यह भी लिखा गया

कार्यकर्ताओं ने यहां तक लिखा कि - 'शोभा ओझा महिला कांग्रेस की अध्यक्ष थी। कितनी महिलाएं इनके साथ है? इन्होंने कितने आयोजन महिलाओं को लेकर किए? कितने धरने-प्रदर्शन किए है? महिलाओं की आवाज कब उठाई? इनके बूथ और वार्ड की स्थिति उठाकर देखी जाए? हर बार कांग्रेस हारी है।'

दो बार विधासनभा और एक महापौर चुनाव हारी

शोभा ओझा तीन चुनावों में उतरी थी लेकिन तीनों में हार मिली। वह साल 2003 व 2008 में इंदौर पांच से चुनाव ल़ड़ने उतरी थी लेकिन बीजेपी के महेंद्र हार्डिया से हार गई। साल 2005 में महापौर चनाव में उतरी थी लेकिन डॉ. उमाशशि शर्मा से हार गई।

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