मध्य प्रदेश के उज्जैन में करीब एक पखवाड़े पहले खाचरौद उपजेल का एक विचाराधीन कैदी रोहित शर्मा दो प्रहरियों को चकमा देकर फरार हो गया। इसे लेकर विभाग की किरकिरी हुई तो लापरवाही के आरोप में प्रहरियों को निलंबित कर दिया गया। अब कुछ इसी तरह के हालात जिले की मौलाना उपजेल में भी बन रहे हैं। यहां न्यायिक हिरासत के कैदियों को निजी कामों के लिए जेल से नियम विरुद्ध बाहर निकाला जाता है। अब इस मामले में कलेक्टर और एडीएम से शिकायत की गई हैं।
उपजेल से जुड़ी गंभीर शिकायत
दरअसल, उज्जैन जिले में मौलाना उपजेल से जुड़ी एक गंभीर शिकायत सामने आई है, जिसमें कैदियों को नियम विरुद्ध जेल से बाहर भेजने और अवैध वसूली की बात कही गई है। मामले का खुलासा, एक भुक्तभोगी गौरव जैन ने किया। उन्होंने जिला कलेक्टर व एडीएम को की गई दो अलग-अलग शिकायतों में उपजेल में व्याप्त भर्राशाही को उजागर किया है। गौरव ने अपनी शिकायत में कहा कि जेल के प्रहरी अखिलेश सिंह व एक अन्य सहयोगी प्रहरी कैदियों के परिजनों से अवैध वसूली में मध्यस्थ की भूमिका निर्वहन कर रहे हैं।
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कैदियों को तफरीह की छूट
गौरव ने अपनी शिकायत में कहा कि उप जेल के विचाराधीन कैदियों को जेल से बाहर जाने की छूट है। उन्हें प्रभारी जेलर के निजी कामों के लिए जेल से बाहर भेजा जाता है। उप जेल में कैदियों से अवैध वसूली भी जमकर की जाती है। यह राशि मुलाकात व कैदियों को सुविधा और रियायत दिए जाने के नाम पर उनके परिजनों से ली जाती है। गौरव ने अपनी शिकायत के साथ उपजेल में जारी भर्राशाही के कुछ वीडियो भी जिले के जिम्मेदार अधिकारियों को दिए हैं।
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जेल में रहते पाई सरपंची
बता दें कि यह वही उपजेल है जहां दो साल पहले एक कैदी अनवर कप्तान ने जेल में रहते हुए अपने गांव झलारिया में सरपंच का चुनाव जीता। कैदी अनवर ने जेल से ही चुनाव जीता था और झलारिया ग्राम पंचायत में भारी बहुमतों से जीत दर्ज की थी।
गांव का नाम बदला, जेल का नहीं
यही नहीं, मध्य प्रदेश सरकार ने मौलाना गांव का नाम बदलकर विक्रम नगर कर चुकी है। स्वयं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नए नाम का ऐलान किया था। हालांकि, जेल विभाग के अभिलेखों में यहां की उप जेल का नाम अब भी मौलाना ही दर्ज है। जेल के नाम में बदलाव नहीं हुआ है।
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