उम्मेद भवन में होगी शिवराज के बेटे की शाही शादी, क्या है इस महल की खासियत

शिवराज सिंह के बेटे की शाही शादी उम्मेद भवन में होगी, लेकिन इस भव्य महल के पीछे छिपे रहस्यों का खुलासा क्या होगा? जोधपुर का यह महल राजनीति और उद्योग की हस्तियों के लिए एक अद्वितीय स्थल बन चुका है।

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Kaushiki
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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय की शादी 6 मार्च को जोधपुर में होने वाली है। उनकी शादी बिजनेसमैन अनुपम बंसल की बेटी अमानत से होने जा रहा है। इन दोनों की शादी जोधपुर के उम्मेद भवन पैलेस में होगी। शादी की शुरुआत भोपाल में होगी। इस समारोह में राजनीति और उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियों के भी शामिल होने की संभावना है।

बता दें कि राजस्थान, जिसे अपने शाही माहौल, भव्य महलों, किलों और हवेलियों के लिए जाना जाता है, जोधपुर का उम्मेद भवन पैलेस इस राज्य का सबसे महंगा और सुंदर महल है। यह महल न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि शाही शादी और कार्यक्रमों के आयोजन के लिए एक प्रमुख स्थल भी बन चुका है। आइए जानते हैं इस महल के बारे में सबकुछ:

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जोधपुर का उम्मेद भवन पैलेस विश्व प्रसिद्ध है इसका निर्माण का इतिहास एक संत के श्राप से जुड़ा हुआ है जिस ने क्रोध में आकर यहां के राठौड़ वंश को अकाल और महामारी का श्राप दे दिया था उसके बाद 1920 के दशक में जोधपुर को लगातार 3 वर्षों तक अकाल का सामना करना पड़ा था अकाल के कारण इस रियासत के स्थानीय लोगों ने तत्कालीन राजा उम्मेद सिंह के रोजगार की मांग की थी स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए तत्कालीन राजा ने एक भव्य महल के निर्माण करने का फैसला किया

पैलेस का निर्माण और इतिहास

उम्मेद भवन पैलेस का निर्माण जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह ने 1929 में शुरू किया था और इसे 1944 में पूरा किया गया। इस महल की नींव 18 नवंबर 1929 को रखी गई थी और इसे बनने में 15 साल का समय लगा। उस समय इसके निर्माण पर 1 करोड़ 09 लाख11 हजार 228 रुपए खर्च हुए थे, जो उस वक्त की एक बड़ी राशि थी।

योजना तैयार करने के लिए उन्हें प्रसिद्ध वास्तुकार हेनरी वॉनलैंकेस्टर को बुलाया और इसका कार्यभार सौंप दिया जिसके बाद इस महल का निर्माण वर्ष 1929 ईस्वी में शुरू किया और इससे बहुत धीमी गति से बनाया जाने लगा क्योंकि इससे स्थानीय लोगों को अवकाश से निपटने का अवसर मिल रहा था वर्ष 1943 में अकाल के समाप्त होने के बाद यह महल 1944 में बनकर तैयार हो गया इस महल को बनने में लगभग 15 साल लगे.

महल का निर्माण

इस महल के निर्माण की कहानी एक पुराने श्राप से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि एक संत ने राठौड़ वंश को अकाल और महामारी का श्राप दिया था, जिसके बाद जोधपुर में तीन वर्षों तक अकाल पड़ा। स्थानीय लोगों ने रोजगार की मांग की, और तब राजा उम्मेद सिंह ने इस महल के निर्माण का फैसला लिया ताकि लोगों को रोजगार मिल सके। इस महल के निर्माण से स्थानीय लोगों को काफी सहायता मिली।

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इस महल के आंतरिक गुंबद का रंग हल्का है जिसका व्यास लगभग 31 मीटर है, जिसे एकबाहरी गुंबद से ढका गया है जिसकी ऊंचाई लगभग 13  मीटर है.

वास्तुकला और महल की संरचना

महल का डिजाइन प्रसिद्ध वास्तुकार हेनरी वॉनलैंकेस्टर ने तैयार किया। इसमें 347 बड़े कमरे, विशाल आंगन और एक दावतखाना (भोजनालय) है, जिसमें 3 सौ से अधिक लोग एक साथ बैठ सकते हैं। इसके आंतरिक गुंबद का व्यास लगभग 31 मीटर है और इसकी ऊंचाई 13 मीटर है। इस महल के निर्माण में स्थानीय बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है, जो इसकी खूबसूरती को और बढ़ाता है।

इस महल के निर्माण के लिए स्थानीय लोगो का उपयोग किया गया था, जिनकी संख्या लगभग 2,500 से 3,000 के लगभग थी.

महल के तीन प्रमुख भाग

उम्मेद भवन पैलेस को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है:

  • शाही परिवार का निवास: यहां महाराजा और उनका परिवार रहते थे।
  • ताज पैलेस होटल: वर्तमान में यह महल एक लग्जरी होटल के रूप में कार्य करता है।
  • संग्रहालय: यह संग्रहालय 20वीं शताब्दी के शासकों की वस्तुओं को प्रदर्शित करता है।

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इस महल को मुख्यतः 3 कार्यात्मक भागो में बांटा गया है जिसमे पहला शाही परिवार का निवास, दूसरा ताज पैलेस होटल और तीसरा संग्रहालय है, जिसे 20वीं शताब्दी के शासको की वस्तुओ को प्रदर्शित करने के लिए उपयोग में लाया जाता है.

उम्मेद भवन का विशाल क्षेत्रफल

उम्मेद भवन पैलेस लगभग 26 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है, जिसमें 15 एकड़ बागान शामिल हैं। यह महल अपनी विशालता के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें एक सिंहासन कक्ष, मीटिंग हॉल, दरबार हॉल, बॉल रूम, निजी डाइनिंग हॉल, लाइब्रेरी और इनडोर स्विमिंग पूल जैसी कई सुविधाएं हैं।

यह महल भारत के सबसे विशाल महलो में से एक  है, यह लगभग 26 एकड़ भूमि के क्षेत्र में 15 एकड़ बागानों सहित बनाया गया है. इसमें एक सिंहासन  कक्ष, निजी मीटिंग हॉल, दरबार हॉल, दावतखाना,  निजी डाइनिंग हॉल, बॉल रूम, लाइब्रेरी, इनडोर  स्विमिंग पूल और इत्यादि चीजे सम्मिलित है. इस महल को “ताज ग्रुप ऑफ होटल्स” द्वारा चलाया जाता है जिस कारण इसे “ताज उम्मैद भवन पैलेस  जोधपुर” भी कहा जाता है.

महल का निर्माण धीमी गति से हुआ था

महल के निर्माण को जानबूझकर धीमी गति से किया गया ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके। महल के निर्माण में लगभग 2 हजार 5 सौ से 3 हजार लोग शामिल थे। इस महल का उद्देश्य सिर्फ शाही निवास नहीं था, बल्कि यह स्थानीय समुदाय को रोजगार देने का एक बड़ा साधन भी था।

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इस महल के 2 वाजो (विंग्स) को “हल्के फीके रंग” (सुनहरा पीला) के बलुआ छीतर के पत्थर के साथ  निर्मित किया गया था जो इसकी खूबसूरती को ओर भी बढ़ा देता है.

ताज ग्रुप ऑफ होटल्स द्वारा संचालित

उम्मेद भवन पैलेस को वर्तमान में "ताज ग्रुप ऑफ होटल्स" के तहत चलाया जाता है, इसलिए इसे "ताज उम्मेद भवन पैलेस जोधपुर" भी कहा जाता है। यह महल अब एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण और शादी के आयोजन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। उम्मेद भवन पैलेस न केवल जोधपुर का एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय शाही वास्तुकला और संस्कृति का बेहतरीन उदाहरण भी है। यह महल आज भी अपनी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के कारण लोगों को आकर्षित करता है।

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