5 साल में 22 % बढ़े बेरोजगार, कार्यालय से एक को भी नहीं मिली नौकरी

एमपी में इस समय रोजगार एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है। प्रदेश में लगातार बेरोजगार युवाओं की संख्या में इजाफा हो रहा है। पिछले पांच सालों में बेरोजगारों की संख्या में 22 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। बेरोजगार युवाओं में लड़कियों की संख्या ज्यादा है।

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BP shrivastava
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मध्यप्रदेश में लगातार बेरोजगारों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

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अरुण तिवारी, BHOPAL. मध्यप्रदेश में इस समय रोजगार एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है। प्रदेश में लगातार बेरोजगार युवाओं की संख्या में इजाफा हो रहा है। प्रदेश सरकार की रिपोर्ट कुछ इसी तरह का इशारा कर रही है। सरकार बेरोजगारों को नौकरी मुहैया कराने में नाकाम साबित हो रही है। पिछले पांच सालों में बेरोजगारों की संख्या में 22 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। बेरोजगार युवाओं में लड़कियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। 

एमपी में 32 लाख पढ़े-लिखे बेरोजगार  

सरकार की ताजा रिपोर्ट बताती है कि मध्यप्रदेश में बेरोजगारी की कितनी भयावह स्थिति होती जा रही है। प्रदेश सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2019 से जनवरी 2024 तक यानी पांच सालों में बेरोजगारों की संख्या में 22.25 फीसदी का इजाफा हुआ है। 32 लाख 31 हजार 562 बेरोजगार युवा हैं जो शिक्षित हैं। इनमें 21 लाख 8 हजार 416 पुरुष और 11 लाख 70 हजार 297 महिला बेरोजगार हैं। जबकि बिना पढ़े लिखे बेरोजगारों की संख्या 47 हजार 157 हैं। यह प्रदेश की ताजा स्थिति है जो एमपी के रोजगार पोर्टल पर दर्ज है।  अब आपको बताते हैं 2019 की स्थिति। साल 2019 में रोजगार पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों के अनुसार शिक्षित बेरोजगारों की संख्या 26 लाख 15 हजार 314 थी। इनमें पुरषों की संख्या 16 लाख 1 हजार 279 और महिलाओं की संख्या 10 लाख 79 हजार 889 थी। वहीं बिना पढ़े लिखे बेरोजगारों की संख्या 66 हजार 554 थी। 

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रोजगार कार्यालयों ने नहीं दिलाई एक भी नौकरी 

प्रदेश सरकार के रोजगार कार्यालय महज रस्म अदायगी का केंद्र बनकर रह गए हैं। सरकार मानती है कि रोजगार कार्यालयों ने रजिस्टर्ड बेरोजगारों में से एक को भी नौकरी नहीं दिलाई। हालांकि सरकार का ये दावा भी है कि उसने प्रायवेट क्षेत्र में दो लाख से ज्यादा युवाओं को रोजगार दिलाया। सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 2019-20 में 4219, 2020-21 में 80717, 2021-22 में 1 लाख 21 हजार 178, 2022-23 में 68098 और साल 2023-24 में 43048 युवाओं को प्रायवेट कंपनियों में नौकरी दिलाई। हालांकि ये आंकड़ा उंट के मुंह में जीरे के समान है। 

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सालों से रिजल्ट के इंतजार में अटकी नौकरियां

एक तरफ तो सरकार नौकरी उपलब्ध नहीं करा पा रही है वहीं दूसरी तरफ कई भर्ती परीक्षाओं के रिजल्ट ही अटके पड़े हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनावी साल में एक लाख सरकारी नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन उसकी भी हवा निकल गई। प्रदेश में इस समय कर्मचारी चयन मंडल द्वारा ली गई  36985 पदों में से 87 फीसदी पदों के रूके हुए रिजल्ट जारी होना है। इन परीक्षाओं में 15 लाख से ज्यादा उम्मीदवार शामिल हुए थे। पहला रिजल्ट 31 जनवरी को निकला और अब दूसरा रिजल्ट 12 फरवरी को जारी हुआ। लेकिन अभी भी कई परीक्षाओं के रिजल्ट अटके हुए हैं। अभी भी इन परीक्षाओं के रिजल्ट आना बाकी है जिनमें ग्रुप 4 के 3047 पद, जुलाई में परीक्षा- रिजल्ट नहीं आया। एचएसटीएसटी (वर्ग1 )- 8720 पद- अगस्त में परीक्षा- रिजल्ट अब तक नहीं और पुलिस कांस्टेबल- 7090 पद- रिजल्ट नहीं आया। इसके अलावा 8 हजार से ज्यादा पटवारी अपनी नियुक्ति का इंताजर कर रहे हैं। सीएम डॉ. मोहन यादव ने गणतंत्र दिवस पर ऐलान किया था कि जल्द 28 हजार पदों के रिजल्ट जारी कर भर्ती की जाएगी। लेकिन फिलहाल तो बेरोजगारों का इंतजार लगातार बढ़ता जा रहा है।

 

एमपी बढ़ रही बेरोजगारी