विश्वनाथ सिंह, INDORE. राष्ट्र निर्माण के लिए काम करने के लिए पहचान रखने वाले राष्ट्रीय सेवक संघ (आऱएसएस) के इंदौर स्थित दफ्तर में बीजेपी नगराध्यक्ष सुमित मिश्रा और बीजेपी व्यापारिक प्रकोष्ठ के धीरज खंडेलावल ने जमकर दादागिरी दिखाई। इंदौर लोहा व्यापारियों यानी इल्वा के लंबे समय बाद हो रहे चुनाव के पहले चली इस खुल्लमखुल्ला दादागिरी का असर यह रहा कि दूसरी पैनल ने नाम वापस ले लिए, यानी चुनाव निर्विरोध हो गए।
यह हुआ पूरा घटनाक्रम
लोहा व्यापारियों की संस्था इल्वा में एसोसिएशन के चुनाव शुरू होते ही राजनीतिक सरगर्मी भी शुरू हो गई थी। इस हाईप्रोफाइल चुनाव में बीजेपी के नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा और व्यापारिक प्रकोष्ठ के धीरज खंडेलवाल द्वारा इशाक चौधरी की सहयोग पैनल के उम्मीदवारों को चुनाव नहीं लड़ने के लिए लगातार दबाव डाला गया। खंडेलवाल ने लोहा व्यापारियों को पहले सोमवार को बुलाया और देर रात तक अपने पास बैठाकर समझाइश (चेतावनी) दी। बात नहीं बनी। इसके बाद मंगलवार को सहयोग पैनल के उम्मीदवारों को मंगलवार को रामबाग स्थित संघ के अर्चना कार्यालय पर बुलाया गया। यहां नगराध्यक्ष सुमित मिश्रा भी दोपहर में पहुंचे। ऐसा बताया जाता है कि नगर अध्यक्ष ने दबाव बनाकर व्यापारियों से चुनाव नहीं लड़ने को लेकर कागज पर लिखवा भी लिया। इसके बाद पूरी पैनल ने ही चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लेते हुए नाम वापसी कर ली है।
यह है पूरा मामला
इल्वा के चुनाव आखिरी बार 2019 में हुए थे। उसमें सहयोग पैनल की तरफ से इसहाक चौधरी और जय हिंद पैनल की तरफ से अमीर इंजीनियरवाला लड़े थे। तब दोनों ही पैनल ने एसोसिएशन और ट्रस्ट दोनों को लेकर आपसी समन्वय के साथ बंटवारा कर लिया था। इसके बाद 2021 में कोरोना के कारण चुनाव नहीं हुए और 2023 में चुनाव करवाए ही नहीं गए। अब चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई है तो इसमें बीजेपी नेता कूद गए।
स्कूल, कॉलेज और मंडी की दुकानों से होती है मोटी कमाई
इल्वा के पास अपना स्कूल और कॉलेज के अलावा तौलकांटे भी है। साथ ही लोहामंडी में इनकी कई दुकानें भी हैं, जिनसे कि बड़ी कमाई होती है। इस पूरी संपत्ति पर कब्जे को लेकर दोनों गुटों में चुनाव के चलते झगड़ा खड़ा हो गया है और मामला बीजेपी नेताओं तक पहुंच गया।
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संघ कार्यालय में लिखवाया, नहीं लड़ेंगे चुनाव
व्यापारियों ने नाम ना छापने के आग्रह पर बताया कि मंगलवार की दोपहर में जब वे संघ कार्यालय पहुंचे तो वहां बीजेपी नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा, बीजेपी व्यापारिक प्रकोष्ठ के धीरज खंडेलवाल और आदित्य दीक्षित भी पहुंच गए। यहां पर सुमित मिश्रा ने व्यापारियों पर दबाव बनाया और उनसे चुनाव नहीं लड़ने को लेकर पत्र भी लिखवा लिया। उन्होंने बताया कि इसके बाद सहयोग पैनल के पदाधिकारियों ने चुनाव में नाम वापसी करने का निर्णय ले लिया है।
डर इतना कि द सूत्र ले वीडियो डिलीट का बोला
लोहा व्यापारी और बीजीप नेता जब संघ कार्यालय से बाहर निकले तो गेट पर भी नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा उनपर नाम वापसी करने को लेकर दबाव बना रहे थे। इस घटनाक्रम का वीडियो द सूत्र ने बना लिया था। इसी दौरान सुमित की नजर पड़ी तो उन्होंने मामला संघ का होते हुए इस वीडियो और फोटो को डिलीट करने का बोला।
स्कूल परिसर में मटन बनाने का आरोप
व्यापारियों को धमकाने वाले धीरज खंडेलवाल ने बताया कि शिक्षा के परिसर में व्यापारियों के द्वारा मटन बनाया जाता है। जो कि हमारी भारतीय संस्कृति के विपरीत है। मैंने तो इसको लेकर वरिष्ठजनों के मार्गदर्शन के बाद व्यापारियों को समझाइश दी थी।
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कोठारी बोले, पैनल के हित में लिया निर्णय
इल्वा के चुनाव में सहयोग पैनल से अध्यक्ष पद के लिए लड़ रहे देवेन्द्र कोठारी का कहना है कि मैंने सोमवार को ही अपना निर्णय बदल लिया था। पार्टी के अन्य सदस्यों से आज हुई चर्चा के बाद उन्होंने भी पार्टी के हित में चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है और चुनाव अधिकारी को अपना मत बता भी दिया है। नाम वापस लेने पर नेताओं के दबाव बनाने की बात पर वे बोले कि ऐसा कुछ भी नहीं है। संघ कार्यालय पर भाजपा नेताओं ने हमें समझाया और अब वे दूसरी पैनल को भी समझाएंगे। बीजेपी नेताओं का कहना था कि चुनाव के कारण हो रहे विवाद से शहर व समाज में अच्छी छवि नहीं बन रही है।
नाम वापस के पहले ही जश्न शुरू
बीजेपी नेताओं के साथ व्यापारी जब संघ कार्यालय से निकले तो जय हिंद पैनल के कार्यालय पर इसकी सूचना पहुंच गई। इसके बाद पैनल के अन्य पदाधिकारियों ने जश्न मनाना शुरू करते हुए एकतरफा जीत की खुशी में मिठाईयां भी बांट डाली।