मोहन यादव का अनोखा सपना: सांपों की गिनती कराकर जंगल में किंग कोबरा बसाना चाहती है सरकार

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव प्रदेश में सांपों की गिनती कराना चाहते हैं। उनकी मंशा है कि मध्यप्रदेश में किंग कोबरा को जंगलों में बसाया जाए।

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Ravi Kant Dixit
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Photograph: (The Sootr)

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BHOPAL. मध्यप्रदेश के जंगल अब सिर्फ बाघ, चीता और तेंदुआ के घर नहीं रहेंगे। अब यहां एक और किंग यानी 'राजा' लाने की तैयारी है। जी हां, सही पढ़ा है आपने। हम यहां बात किंग कोबरा की कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव प्रदेश में सांपों की गिनती कराना चाहते हैं। उनकी मंशा है कि मध्यप्रदेश में किंग कोबरा को जंगलों में बसाया जाए। उनका मानना है कि यह कदम सर्पदंश (स्नेक बाइट) से हो रही हजारों मौतों को रोकने की दिशा में कारगर सिद्ध होगा, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह वास्तव में समाधान है या सिर्फ प्रयोग?

पिछले कुछ सालों में मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट बना। फिर चीता लाए गए। अब सांपों की गणना और किंग कोबरा का पुनर्वास क्या यह राज्य वन्यजीवों की लाइव लैब बनता जा रहा है? हाल ही में मुख्यमंत्री गुजरात के जामनगर में रिलायंस के वनतारा रेस्क्यू सेंटर का दौरा कर लौटे हैं। इसके बाद उज्जैन और जबलपुर में ऐसे ही आधुनिक जू एंड रेस्क्यू सेंटर खोलने की घोषणा की गई है। इसके लिए CSR फंड और केंद्र से मदद ली जाएगी।  

सांपों की गिनती का कोई वैज्ञानिक तरीका नहीं

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीएम डॉ.मोहन यादव की योजना का पहला हिस्सा है प्रदेश के जंगलों में सांपों की गिनती। इस पर अब सवाल खड़ा हो गया है। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के सीईओ जो लुईस कहते हैं, सांपों की गिनती करना वैज्ञानिक रूप से संभव ही नहीं है। न उनके पैरों के निशान होते हैं, न आवाज होती है और न ही वे एक जगह टिकते हैं। सांप बेहद निजी, छिपे रहने वाले जीव हैं। बाघों और तेंदुओं के जैसे कैमरा ट्रैप, मूवमेंट ट्रैकिंग या डीएनए पहचान की तकनीकें यहां बेअसर हैं।

'किंग' को लाने की कोशिश हुई नाकाम

मुख्यमंत्री का कहना है कि किंग कोबरा जहरीले सांपों का शिकारी है और इसे जंगल में लाने से दूसरे जहरीले सांप भाग जाएंगे। लेकिन पहली ही कोशिश में एक बुरी खबर आ गई। कर्नाटक से भोपाल के वन बिहार लाया गया एकमात्र किंग कोबरा 18 जून को मर गया है।

जानकार कहते हैं, यह पश्चिमी घाट प्रजाति का था, जिसे मध्यप्रदेश के शुष्क और गर्म मौसम से कोई मेल नहीं। जबलपुर के सर्प विशेषज्ञ विवेक शर्मा का कहना है, यह पूरी तरह गलत प्रयोग था। यदि लाना ही था तो पूर्वोत्तर भारत की अनुकूलित प्रजाति लाई जाती। 

प्रजातियों में अंतर और पारिस्थितिक खतरे

2021 में वन्यजीव विशेषज्ञ गौरीशंकर की टीम ने यह खोज की थी कि किंग कोबरा की चार अलग-अलग प्रजातियां हैं। पश्चिमी घाट की प्रजाति (Ophiophagus kalinga) को अब संकटग्रस्त माना जा रहा है। इसे गलत जगह बसाने से संकर प्रजनन (Hybridization) का खतरा पैदा हो सकता है, जिससे मूल पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा होगा।

यूरोपियन जर्नल ऑफ टैक्सोनॉमी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, प्राकृतिक रूप से अनुकूल प्रजातियों का गलत स्थानांतरण न केवल नई आबादी को मार सकता है, बल्कि मौजूदा जैव विविधता के लिए संकट बन सकता है। 

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क्या वाकई किंग कोबरा से सर्पदंश की घटनाएं रुकेंगी?

मुख्यमंत्री का दावा है कि किंग कोबरा के आने से अन्य जहरीले सांप भागते हैं और इससे हर साल सैकड़ों मौतें रुक सकती हैं, विशेषकर डिंडोरी जैसे इलाकों में। लेकिन वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया, किंग कोबरा इंसानों के इलाकों से दूर रहता है। यह शिकार भी दूसरे सांपों पर करता है, लेकिन यह मान लेना कि इससे इंसानी सर्पदंश खत्म हो जाएगा, वैज्ञानिक रूप से साबित नहीं है। साथ ही, यह कैद में प्रजनन भी नहीं करता। 

सरकार ने बांटा 400 करोड़ मुआवजा

अब यदि हम सर्पदंश की बात करें तो मध्यप्रदेश में हर साल औसत रूप से करीब ढाई हजार मौतें होती हैं। जून, जुलाई और अगस्त में स्नेक बाइट की सबसे ज्यादा घटनाएं होती हैं। बीते चार साल में सर्पदंश से होने वाली घटनाओं के बाद सरकार ने मुआवजे के तौर पर 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि पीड़ितों को दी है। यहां खास यह है कि मध्यप्रदेश में सर्पदंश को स्थानीय आपदा के रूप में नोटिफाई किया गया है। सूबे में ब्लैक कोबरा यानी नाग, करैत, रसैल वाइपर और अजगर बहुतायत में पाया जाता है। यही चारों प्रजातियां बेहद जहरीली होती हैं। यूं प्रदेश में रैट स्नेक यानी धामन भी मिलता है, लेकिन वह जहरीला नहीं होता। 

क्यों डंसते हैं सांप?

जाने-अनजाने किसी इंसान के पैरों के नीचे कोई सांप आ जाए तो सांप तुरंत ही डंस लेता है। यदि कोई सांप भूखा हो तो वह किसी भी जीव को डंस सकता है। यदि कोई व्यक्ति किसी सांप को नुकसान पहुंचाता है, मारने की कोशिश करता है तो खुद की जान बचाने के लिए सांप डंस सकता है।

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क्या होता है जब सांप डंस लेता है?

विशेषज्ञों के अनुसार यदि सांप ने डंस लिया हो और कोई इसे देख नहीं पाया हो तो शरीर के इन लक्षणों से समझा जा सकता है कि जहरीले सांप ने डंसा है। सांप का जहर शरीर में जाने के बाद खून के थक्के जमने लगते हैं। साथ ही गला सूखने लगता है और खूब प्यास लगती है। इसके साथ ही नींद भी आती है। जहां सांप डंसता है, वहां सुई के चुभने जैसा दर्द होता है और थोड़ा-सा खून आता है।

अंधविश्वास v/s विज्ञान...सांपों को लेकर कितने ही मिथक

हमारे समाज में सांपों को लेकर तमाम तरह के अंधविश्वास लोगों के मन में पैठ जमाए बैठे हैं। इसमें कोई कहता है कि सांप अपने साथी की मौत का बदला लेते हैं तो कोई सांपों को मणिधारी बताता है, लेकिन विज्ञान इन सब अंधविश्वासों को नकारता है। न तो कोई सांप दूध पीते हैं और न ही सांप इच्छाधारी होते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल...

1. सांप दूध पीते है?

सांपों से जुड़ी हमारी पहली मान्यता यह है कि सांप दूध पीते हैं। जीव विज्ञान के अनुसार सांप पूरी तरह से मांसाहारी जीव है, ये मेंढक, चूहा, पक्षियों के अंडे व अन्य छोटे-छोटे जीवों को खाकर अपना पेट भरते हैं।

2. सांप साथी की मौत का बदला लेते हैं?

लोग कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति किसी सांप को मार दे तो मरे हुए सांप की आंखों में मारने वाले की तस्वीर उभर आती है, जिसे पहचान कर सांप का साथी उसका पीछा करता है और उसे डंसकर वह अपने साथी की का बदला लेता है। यह सांपों से जुड़ा ऐसा अंधविश्वास है, जिसका कहनियों और फिल्मों में जमकर इस्तेमाल हुआ है। यदि हम वात वैज्ञानिक दृष्टिकोण से करे तो इसमें बिलकुल सच्चाई नहीं है। सांप अल्पबुद्धि वाले होते हैं। इनका मस्तिष्क इतना विकसित नहीं होता कि ये किसी घटनाक्रम को याद रख सकें और बदला लें।

3. सांप बीन की धुन सुनकर नाचते हैं?

खेल-तमाशा दिखाने वाले कुछ लोग सांप को बीन की धुन पर नचाने का दावा करते हैं, जबकि ये पूरी तरह से अंधविश्वास है, क्योंकि सांप के तो कान ही नहीं होते। दरअसल ये मामला सांपों की देखने और सुनने की शक्तियों और क्षमताओं से जुड़ा है।

4. सांप मणिधारी होते हैं?

मान्यता है कि कई सांप मणिधारी होते हैं, यानी इनके सिर के ऊपर चमत्कारी मणि होती है। विज्ञान के अनुसार यह अंधविश्वास है, क्योंकि दुनिया में अभी तक 3000 से भी ज्यादा प्रजातियों के करोड़ों सांप पकड़े जा चुके हैं, लेकिन किसी के पास भी इस तरह की कोई मणि नहीं मिली है।

5. कुछ सांपों के दोनों सिरों पर मुंह होते हैं?

कभी-कभी जेनेटिक चेंज के कारण ऐसे सांप पैदा हो जाते हैं, जिनके दो सिर होते हैं। ऐसा इंसान सहित इस धरती के किसी भी प्राणी के साथ हो सकता है। लेकिन ऐसा कोई भी सांप नहीं होता है, जिसके दोनों सिरों पर मुंह होते हैं। होता यह है कि कुछ सांपों की पूंछ नुकीली न होकर मोटी और ठूंठ जैसी दिखाई देती है। चालाक सपेरे ऐसे सांपों की पूंछ पर चमकीले पत्थर लगा देते हैं, जो आंखों की तरह दिखाई देते हैं। सेंडबोआ सांप इसका उदाहरण है।

6. उड़ने वाले सांप होते हैं?

वैसे तो सांपों की किसी भी प्रजाति में उड़ने का गुण नहीं होता है। भारत और दक्षिण पूर्वी एशिया के वर्षा वनों (रेन फॉरेस्ट) में एक सांप पाया जाता है, जिसका नाम ही फ्लाइंग स्नेक है। हालांकि इनमें भी इनके नाम के अनुसार उड़ने का गुण नहीं होता है। वे एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांक भर लगाते हैं। 

7. कुछ सांप इच्छाधारी होते हैं?

समाज में जो एक और बहुप्रचलित मान्यता है, वह यह है कि कुछ सांप इच्छाधारी होते हैं यानी कि वे अपनी इच्छा के अनुसार रूप बदल लेते हैं। जीव विज्ञान के अनुसार इच्छाधारी सांप सिर्फ मनुष्यों का अंधविश्वास और कोरी कल्पना है।

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