अनसूटेबल कॉलेज के छात्रों ने हाईकोर्ट को गलत जानकारी देकर ली राहत, प्राइवेट नर्सिंग कॉलेजों ने दायर की PIL

प्राइवेट नर्सिंग कॉलेजों के छात्रों ने गलत जानकारी देकर हाईकोर्ट से राहत प्राप्त की थी। एक जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि छात्रों ने कोर्ट में गलत तथ्य पेश किए। इन छात्रों को GNM विशेष परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी गई थी...

author-image
Neel Tiwari
New Update
unsuitable college

Photograph: (THESOOTR)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

JABALPUR. निजी नर्सिंग कॉलेजों से जुड़े विवादास्पद मामले में सोमवार को  बेहद चौंकाने वाला आरोप सामने आया है। एक जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि छात्रों ने राहत लेने के लिए कोर्ट में गलत जानकारी दी थी। साथ ही स्टेट नर्सिंग काउंसिल पर भी आरोप लगे हैं।

जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस प्रदीप मित्तल की युगलपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लगा यह मामला टल गया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि अब इस याचिका पर सुनवाई नियमित बेंच के समक्ष इसी सप्ताह होगी।

गलत तथ्य पेश करने का गंभीर आरोप

प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि राहत पाने के लिए छात्रों ने कोर्ट में गलत तथ्य रखकर अपने पक्ष में फैसला ले लिया। स्टेट नर्सिंग काउंसिल ने भी इसका विरोध नहीं किया। एसोसिएशन का कहना है कि जिन छात्रों को जीएनएम की विशेष परीक्षा में बैठने की अनुमति मिली है, उनमें वे छात्र भी शामिल हैं जो सीबीआई जांच में अनसूटेबल पाए गए थे।

याचिका के अनुसार, पूर्व में कुछ छात्रों ने कोर्ट में आवेदन देकर कहा था कि उनके कॉलेजों का निरीक्षण हो चुका है और उन्हें क्लीन चिट भी मिल चुकी है। इसके बावजूद उन्हें GNM विशेष परीक्षा से वंचित रखा जा रहा है। इस पर कोर्ट ने छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी थी, लेकिन इस दौरान कोर्ट को यह नहीं बताया गया कि यह छात्र उन्हीं कॉलेज से हैं जो सीबीआई की जांच में अनसूटेबल पाए गए थे।

ये खबरें भी पढ़ें...

यशवंत क्लब को संपत्ति कर केस में राहत, मल्टी का नक्शा पास होगा, निगम को झटका

वीआईटी यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट का रवैया तानाशाह जैसा, आयोग की रिपोर्ट में खुलासा, सरकार ने थमाया नोटिस

स्टेट नर्सिंग काउंसिल पर उठे सवाल

याचिकाकर्ता का तर्क है कि राज्य नर्सिंग काउंसिल की ओर से उस समय कोई आपत्ति नहीं जताई गई। न ही यह बताया गया कि GNM की विशेष परीक्षा में शामिल किए गए छात्रों में वे भी हैं जिनके कॉलेज सीबीआई जांच में अनसूटेबल पाए गए थे।

इससे उस परीक्षा में ऐसे छात्रों की एंट्री हो गई जिनकी ट्रेनिंग, शिक्षा और प्रैक्टिकल अनुभव पर गंभीर सवाल उठते हैं। एसोसिएशन ने कोर्ट से आग्रह किया है कि पूर्व आदेश को वापस लिया जाए, क्योंकि इससे नर्सिंग प्रोफेशन की गुणवत्ता और मरीजों की सुरक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

एमपी सरकार के दो साल पूरे होने पर सर्वे में शामिल होने के लिए फोटो पर क्लिक करें...

MP GOVERNMENT

ये खबरें भी पढ़ें...

मौसम पूर्वानुमान (2 दिसंबर): एमपी समेत देश के अधिकांश भागों में शीतलहर, बारिश का अलर्ट

जियो, एयरटेल और Vi के रिचार्ज हो सकते हैं महंगे, ग्राहकों को लग सकता है झटका

जनहित याचिका में बड़ा दावा

यह जनहित याचिका प्राइवेट नर्सिंग एसोसिएशन ऑल इंडिया के चेयरमैन राममिलन सिंह द्वारा दायर की गई है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सही जानकारी छिपाकर राहत हासिल की गई, जिससे अप्रशिक्षित छात्र नर्सिंग प्रोफेशन में प्रवेश पा सकते हैं।

5 दिसंबर पर टिंकी सबकी नजरें

अब मामला रेगुलर बेंच के सामने जाएगा और 5 दिसंबर को सुनवाई होगी। अगर कोर्ट में यह सिद्ध होता है कि जानकारी सही तरीके से प्रस्तुत नहीं की गई थी, तो यह न केवल छात्रों बल्कि, राज्य नर्सिंग काउंसिल की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े करेगा।

प्रदेशभर में नर्सिंग शिक्षा के हजारों छात्रों का भविष्य और कॉलेजों की मान्यता जैसे मुद्दे भी इस सुनवाई से प्रभावित हो सकते हैं। अब सबकी नजरें 5 दिसंबर की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां कोर्ट यह तय करेगा कि क्या पूर्व आदेश वापस लिया जाए या नहीं।

हाईकोर्ट नर्सिंग कॉलेज जनहित याचिका प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज GNM जस्टिस विवेक रूसिया नर्सिंग काउंसिल प्राइवेट नर्सिंग एसोसिएशन
Advertisment