यूपीएससी में सिलेक्ट एएसआई की बेटी की कैटेगरी पर सवाल, सोशल मीडिया पर हो रहे कमेंट

सोशल मीडिया पर यूपीएससी स्कैम लगातार हैशटैग के साथ ट्रैंडिंग में है। ऐसे में मध्यप्रदेश की छात्रा दिव्या यादव को लेकर भी सोशल मीडिया पर कमेंट किए जा रहे हैं।

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Sanjay Sharma
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Divya Yadav
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BHOPAL : सोशल मीडिया पर यूपीएससी स्कैम लगातार हैशटैग के साथ ट्रैंडिंग में है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों के चयन की इस सबसे बड़ी परीक्षा को लेकर लगातार कमेंट्स भी आ रहे हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश की छात्रा दिव्या यादव को लेकर भी सोशल मीडिया पर कमेंट किए जा रहे हैं। रायसेन जिले के सांची थाने में तैनात एएसआई राजू यादव की पुत्री दिव्या की कैटेगरी को लेकर असमंजस इन कमेंट्स की वजह बताए जा रहे हैं।

ईडब्लूएस सर्टिफिकेट पर प्रश्नचिन्ह

यूपीएससी की परीक्षा पर ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर मामले के बाद सवाल उठाए जा रहे हैं। अब यूपीएससी के चयनित उम्मीदवारों की सूची भी लोग सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। कोई इस इस सूची में शामिल चयनित उम्मीदवारों की कैटेगरी को लेकर कमेंट्स कर रहा है तो कोई ईडब्लूएस सर्टिफिकेट पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है। दिव्या यादव को लेकर भी सोशल मीडिया पर कमेंट किए जा रहे हैं। द सूत्र ने इसकी पड़ताल की है। एएसआई राजू यादव की पुत्री दिव्या के नाम सहित यूपीएससी की सिलेक्शन लिस्ट पर सवाल उनकी कैटेगरी को लेकर उठाए जा रहे हैं। सूची में दिव्या का सरनेम यादव लिखा है जबकि कैटेगरी एससी दर्ज है। मध्यप्रदेश सहित देशभर में यादव अन्य पिछड़ा वर्ग कैटेगरी में शामिल है। ऐसे में दिव्या यादव की एससी कैटेगरी लोगों को असमंजस में डाल देती है।

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सरनेम बदलकर लिखने पर कोई पाबंदी तो नहीं है

द सूत्र ने इसके संबंध में दिव्या के पिता और सांची पुलिस थाने में तैनात एएसआई राजू यादव से बात की। राजू यादव ने बताया वे मूलरूप से होशंगाबाद यानी नर्मदापुरम के रहने वाले हैं। साल 1970 में आई बाढ़ के बाद उनके पुरखों को प्रशासन ने वहीं जलालाबाद बस्ती में ठिकाना दे दिया था। अब यह बस्ती आदर्शनगर के नाम से जानी जाती है। साल 1993 में वे मध्यप्रदेश पुलिस में भर्ती हुए थे। कुछ साल बाद वे भोपाल के अयोध्यानगर क्षेत्र में आकर  बस गए। उनकी मूल जाति जाटव है, लेकिन अब वे उपजाति के रूप में यादव लिखते हैं। राजू यादव का कहना था सरनेम बदलकर लिखने पर कोई पाबंदी तो नहीं है।

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भ्रम फैलाकर सफल लोगों को निराश न करें

अपनी मूल जाति का प्रमाण पत्र भी उनके पास है। उन्होंने दिव्या की पढ़ाई और यूपीएससी की तैयारी के बारे में भी बताया। उनका कहना था दिव्या को यह सफलता आसानी से नहीं मिली। वह दिन-रात पढ़ाई में डूबी रहती थी। एक-दो नहीं बल्कि तीन बार उसे सफलता नहीं मिली लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और सभी ने हौंसला बढ़ाया तो इस बार कामयाबी हासिल हो गई। कुछ लोग सोशल मीडिया पर भ्रम फैला रहे हैं लेकिन दिव्या की कैटेगरी एससी ही है और इसके प्रमाण भी उसके पास हैं। लोगों को बेवजह ऐसा भ्रम फैलाकर सफल लोगों को निराश नहीं करना चाहिए।

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कैटेगरी और सरनेम बढ़ा रहे संशय

दिव्या यादव के सरनेम और कैटेगरी में मेल न होने की वजह से लोग असमंजस का शिकार हैं। मध्यप्रदेश में विदिशा जिले की सिरोंज तहसील में मीना जाति एसटी में आती है लेकिन प्रदेश के अन्य जिलों में इसे ओबीसी में रखा गया है।  इसी सूची में चयनित अभ्यर्थियों के चौहान, राठौर, गुप्ता, गोयल, व्यास सरनेम और उनकी कैटेगरी एससी अथवा एसटी होने को लेकर भी लोग सवाल उठा रहे हैं। वहीं ईडब्लूएस कैटेगरी में चयनित उम्मीदवारों की योग्यता भी सवालों के घेरे में है।

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