उप राष्ट्रपति राधाकृष्णन बोले- पूर्व पीएम अपने नाम के अनुसार अटल थे, कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर शून्य से शतक कार्यक्रम हुआ। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने उन्हें याद किया। उन्होंने अटलजी के सिद्धांतों और योगदान को सराहा। समारोह में राज्यपाल और मुख्यमंत्री थे।

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Sanjay Gupta
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Indore. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर शून्य से शतक कार्यक्रम हुआ। इंदौर में आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने उन्हें याद किया। उन्होंने कहा कि वह एक विचार और मिशन थे। उनके कर्म और आदर्श आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक हैं। समारोह में राज्यपाल मंगुभाई पटेल और सीएम डॉ. मोहन यादव ने भी संबोधित किया। आयोजन डेली कॉलेज आडिटोरियम में हुआ।

कभी सिद्धातों से समझौता नहीं किया

उपराष्ट्रपति ने कहा कि अटलजी का जैसा नाम था वैसे ही उनके सिद्धांत थे। कभी भी उन्होंने इनसे समझतौ नहीं किया। उन्होंने अटल फाउंडेशन के मंच से स्वर्गीय अटल के जीवन, व्यक्तित्व और राष्ट्र निर्माण में योगदान को स्मरण किया। उन्होंने अटल सरकार की प्रमुख उपलब्धियों का उल्लेख किया। इसमें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना, दिल्ली मेट्रो, नए राज्यों का गठन (झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड) और पोखरण परमाणु परीक्षण शामिल हैं। आगे कहा कि अटलजी की विरासत को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे बढ़ा रहे हैं। देश को विकसित भारत–2047 के लक्ष्य की ओर दृढ़ता से अग्रसर कर रहे हैं। 

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राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने भी किया याद

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि अटल जी की जन्म शताब्दी पुण्य स्मरण का अवसर नहीं है। यह उनके विराट व्यक्तित्व, उच्च आदर्शों और दूरदर्शी नेतृत्व से प्रेरणा प्राप्त करने का क्षण है। वह एक विराट व्यक्तित्व और चलता-फिरता महाकाव्य थे।

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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यह कहा

सीएम मोहन यादव ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्र नीति के शिखर पुरुष थे। वह राजनीति के अजातशत्रु और भारतीय लोकतंत्र की मर्यादा के प्रतीक थे। सीएम ने अनोखे अंदाज में कहा कि उन्होंने 24 दलों की सरकार को संभाला जिसमें ममता, जयललिता, मायावती जैसी जगदंबे थी। पता नहीं उन्होंने कैसे पार पाया होगा, लेकिन यह वह केवल वही कर सकते थे और मजबूती से सरकार चलाई। 

मोहन ने नेता प्रतिपक्ष के रूप में भी लोकतंत्र की गरिमा को ऊंचाई दी। संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में दिया गया उनका भाषण देश की सांस्कृतिक अस्मिता का ऐतिहासिक क्षण रहा। कारगिल संघर्ष के समय उनके नेतृत्व ने देश की सीमाओं और स्वाभिमान की रक्षा का संकल्प दृढ़ किया। उन्होंने अटल जी की कविताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका साहित्य जीवन, समाज और लोकतंत्र को समभाव से आगे बढ़ने की सीख देता है। यह हम सबके लिए मार्गदर्शक है।

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ग्वालियर में दो होगा बड़ा आयोजन

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि 25 दिसंबर को जन्म शताब्दी वर्ष का समापन होगा। ग्वालियर से 2 लाख करोड़ रुपए के औद्योगिक निवेशों का भूमिपूजन और लोकार्पण होगा। उन्होंने कहा कि अटल जी का योगदान विश्व लोकतंत्र को गौरव प्रदान करता है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु द्वारा प्रेषित शुभकामना संदेश का वाचन किया गया।

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इन्हें मिला ‘अटल अलंकरण’

इस अवसर पर सत्यनारायण सत्तन (प्रसिद्ध कवि), सत्यनारायण जटिया (पूर्व केंद्रीय मंत्री), संजय जगदाले (भारतीय क्रिकेट टीम चयन समिति के पूर्व चयनकर्ता) तथा पारंग शुक्ला (सागर) को ‘अटल अलंकरण’ से सम्मानित किया गया। अटल फाउंडेशन की माला तिवारी वाजपेई ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी उपस्थित रहे।

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