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कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए गए बयान के बाद मंत्री विजय शाह की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। एमपी सरकार ने मंत्री से दूरी बना ली है। इसके साथ ही उनके विभागीय कार्यों को भी सीमित कर दिया है। जिससे तबादलों की फाइलें रुक गई हैं।
कर्मचारी हो रहे परेशान
विजय शाह के प्रभार वाले जिलों रतलाम और झाबुआ से भेजी गई तबादला अनुशंसा फाइलों को रोका गया है। यह फाइलें सरकारी कर्मचारियों के तबादले से जुड़ी हैं, जिन पर मंत्री की अनुशंसा आवश्यक है। सूत्रों के मुताबिक, कई फाइलें तैयार होकर भेजी जा चुकी थीं, लेकिन मंत्री के हस्ताक्षर के अभाव में वे अटक गईं। जिससे कर्मचारी परेशान हो रहे हैं।
जनजातीय कार्य विभाग का मूवमेंट भी ठप
सिर्फ फाइलों पर ही नहीं, बल्कि जनजातीय कार्य विभाग से जुड़ी फाइलों का घर से कार्यालय तक होने वाला मूवमेंट भी रोक दिया गया है। अब मंत्री के घर से कोई फाइल उनके कार्यालय तक नहीं भेजी जा रही। इससे स्पष्ट है कि सरकार ने फिलहाल मंत्री के हर प्रशासनिक कदम पर ब्रेक लगा दिया है।
नैतिकता को बताया वजह, कानूनी बाधा नहीं
हालांकि सरकार ने इस रोक का कोई लिखित आदेश नहीं दिया है, लेकिन यह कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को होने वाली सुनवाई तक फाइलों को रोकने के अलिखित निर्देश दिए गए हैं। कानूनी रूप से मंत्री को हस्ताक्षर करने से कोई रोक नहीं है, लेकिन नैतिक आधार पर उनके कार्यों को गलत ठहराया जा रहा है।
कर्मचारियों में असंतोष
जिन सरकारी कर्मचारियों के तबादलों की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी थी, अब वे भी संशय में हैं। अधिकांश कर्मचारी जो अपने ट्रांसफर का इंतजार कर रहे थे, वे अब अनिश्चितता की स्थिति में हैं। मंत्री की अनुशंसा के बिना प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है और कर्मचारियों में असंतोष फैल रहा है।
तबादला प्रक्रिया अटकी, 1000 आवेदन अधर में
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रतलाम और झाबुआ जिलों को मिलाकर करीब 1000 तबादला आवेदन प्रक्रिया में हैं। इन पर मंत्री की सिफारिश जरूरी है। चूंकि तबादला प्रक्रिया 30 मई तक पूरी की जानी है, ऐसे में यह रोक बड़ी परेशानी बन सकती है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि अब अगला कदम सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर निर्भर करेगा।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी सरकार की नजर
सरकार की पूरी नजर अब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर है। अगर वहां से मंत्री विजय शाह को राहत नहीं मिलती, तो तबादला फाइलों पर निर्णय लेने से पहले सामान्य प्रशासन विभाग से राय ली जाएगी। इस प्रक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि सरकार किसी तरह की आलोचना या विवाद को आगे बढ़ाना नहीं चाहती।
विरोध की आग एमपी से निकलकर बिहार तक पहुंची
विजय शाह की मुश्किलें सिर्फ एमपी तक सीमित नहीं रहीं। उनके बयान को लेकर प्रदेश में प्रदर्शन लगातार जारी हैं। इसी बीच अब बिहार के मुजफ्फरपुर कोर्ट में उनके खिलाफ परिवाद भी दर्ज किया गया है। इस मामले में 26 मई को सुनवाई तय की गई है।
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