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MP News: एमपी की पहली महिला पर्वतारोही मेघा परमार को विक्रम अवॉर्ड न मिलने का मामला तूल पकड़ लिया है। मेघा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उनका कहना है कि समान योग्यता के बावजूद उन्हें अवॉर्ड से वंचित किया गया। मेघा के साथ एवरेस्ट पर चढ़ी भावना डेहरिया को यह सम्मान मिला।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। मेघा को सरकार के सामने शिकायत पेश करने की छूट दी गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने मेघा का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि मेघा भावना से पहले एवरेस्ट समेत अन्य शिखरों पर पहुंची। तन्खा ने सीएम को पत्र लिखकर फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है। अब इस मामले में सरकार का अगला कदम महत्वपूर्ण होगा।
हाईकोर्ट में मेघा परमार की याचिका
जस्टिस अमित सेठ ने मामले की सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश सरकार को दो सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सरकार के समक्ष अभ्यावेदन देने की छूट भी दी है। अदालत ने चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और समान अवसर की अहमियत पर जोर दिया है।
मेघा का दावा
मेघा परमार की ओर से कोर्ट में यह तर्क दिया गया कि 22 मई 2019 को सबसे पहले उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया था। भावना डेहरिया उनके लगभग 5 घंटे बाद वहां पहुंचीं। इसके प्रमाण स्वरूप मेघा ने टाइमिंग डाटा कोर्ट में पेश किया है। उनका कहना है कि भावना को सम्मान देने का विरोध नहीं, बल्कि खुद को भी उतना ही मान्यता देने की मांग है।
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विवेक तन्खा ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र
राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने सीएम मोहन यादव को पत्र लिखकर कहा है कि मेघा परमार के साथ अन्याय हुआ है। उन्होंने इसे बेटी और प्रतिभा का अपमान बताते हुए सीएम से मेघा को अवॉर्ड दिलवाने की मांग की। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि यह अवसर मेघा के लिए अंतिम हो सकता है।
सरकार के निर्णय पर टिकी निगाहें
सरकार ने कोर्ट को बताया कि विक्रम अवॉर्ड के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और इसमें परिवर्तन संभव नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने मेघा परमार को सरकार के सामने पुन: अभ्यावेदन देने की छूट दी है। इससे यह स्पष्ट है कि मामला अभी भी खुला है। अब यह देखना होगा कि सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करती है या नहीं।
विक्रम अवॉर्ड के नियम
2019 में विक्रम अवॉर्ड के नियमों में संशोधन कर साहसिक खेलों को भी शामिल किया गया था। इससे पहले, 2022 में एवरेस्ट फतह करने वाले दो पुरुष खिलाड़ियों को एक साथ अवॉर्ड दिया गया था। इससे यह स्पष्ट होता है कि जरूरत पड़ने पर एक से अधिक खिलाड़ियों को यह सम्मान दिया जा सकता है। मेघा का कहना है कि यही नियम अब भी लागू हो सकता है।
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