मप्र के खेल विभाग ने विक्रम अवॉर्ड में कर दिया भ्रष्टाचार, खिलाड़ी कोर्ट पहुंची तो हुआ खुलासा
विक्रम अवॉर्ड के लिए इंदौर की योग खिलाड़ी मानसी बागोरा ने आवेदन किया था। उसमें उसे 2018 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिर्फ पार्टीसिपेट करने के लिए उसे 300 अंक मिलने थे। इसे खेल विभाग ने मनमानी करते हुए अस्वीकार कर दिया
मध्यप्रदेश के खेल विभाग का एक नए तरीके का बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है। इसमें जिस खिलाड़ी अपूर्व दुबे को कुछ दिन पहले ही पावर लिफ्टिंग के खेल के जरिए पाए मात्र 180 नंबर के आधार पर विक्रम अवॉर्ड का हकदार मानते हुए अवॉर्ड देने की घोषणा की थी। वह असल में किसी और खेल का खिलाड़ी निकला। यह खुलासा खुद अपूर्व ने इंदौर हाईकोर्ट को दी जानकारी में किया है। खेल विभाग के अधिकारिक दस्तावेजों और अपूर्व के कोर्ट में दिए गए दस्तावेजों के आधार पर ही द सूत्र इसका खुलासा अपनी इस रिपोर्ट में कर करा है। प्रदेश के खेल विभाग के अफसरों ने भी अपूर्व को विक्रम अवॉर्ड देने में इतनी जल्दबाजी की कि उन्होंने अपूर्व के सर्टीफिकेट तक चेक नहीं किए। विक्रम अवॉर्ड की एक और दावेदार जब कोर्ट पहुंची तो खेल विभाग के बड़े घोटाले से पर्दा उठ गया। अब विक्रम अवॉर्डी अपूर्व और मप्र खेल विभाग को हाईकोर्ट के सामने सच बात बताने में गला सूख रहा है।
खेल विभाग ने ऐसे किया भ्रष्टाचार
विक्रम अवॉर्ड के लिए इंदौर की योग खिलाड़ी मानसी बागोरा ने आवेदन किया था। उसमें उसे 2018 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिर्फ पार्टीसिपेट करने के लिए उसे 300 अंक मिलने थे। इसे खेल विभाग ने मनमानी करते हुए अस्वीकार कर दिया कि वे केवल उन्हीं वर्ल्ड चैंपियनशिप में पार्टीसिपेशन के 300 अंक देंगे जो कि हर चार साल में आयोजित की जाएंगी। ऐसे में खेल विभाग ने बिना किसी पड़ताल के बेतुके तर्क देते हुए यह मान लिया कि चूंकि वर्ल्ड चैंपियनशिप 4 साल के अंतराल से आयोजित नहीं की गई। ऐसी स्थिति में 300 अंक के बजाए मानसी को 20 ही अंक दिए गए। जबकि असल बात तो यह है कि अगर खेल विभाग केवल वर्ल्ड चैंपियनशिप को लेकर गूगल ही कर लेता तो उसे पता चला जाता कि उक्त वर्ल्ड चैंपियनशिप हर 4 साल के अंतराल से ही आयोजित की जाती है।
यह नियम लिखा है गजट नोटिफिकेशन में
चार साल पहले इसी चैंपियनशिप के आधार पर विक्रम अवॉर्ड दिया था
खेल विभाग ने विक्रम अवॉर्ड देने को लेकर मानसी के साथ जो खेल खेला उसकी पुष्टि एक और बात से हो गई। असल में 2018 में इंदौर के योग के खिलाड़ी रोहित बाजपेई ने मध्यप्रदेश सरकार के खेल एवं युवा कल्याण विभाग में विक्रम अवॉर्ड के लिए आवेदन किया था। उसमें रोहित को वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मैडल मिलने के आधार पर 300 अंक मिले थे। उसी के आधार पर उसे विक्रम अवॉर्ड के लिए भी पात्र माना गया और उसे बकायदा विक्रम अवॉर्ड 2021 में दिया भी गया।
2021 में मप्र खेल विभाग ने उसी खेल के लिए दिया था विक्रम अवॉर्ड
उसी खेल के लिए मानसी को दिए 20 अंक
मप्र के खेल विभाग ने जादूगरी करते हुए जहां रोहित को 300 अंक दिए थे तो उसी वर्ल्ड चैंपियनशिप में पार्टीसिपेशन के लिए मानसी को भी नियमानुसार 300 अंक ही मिलना थे। इसका उल्लेख मप्र सरकार के गजट नोटिफिकेशन में भी है। उसमें स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि अगर कोई खिलाड़ी वर्ल्ड चैंपियनशिप में चाहें मैडल लेकर आए या फिर कोई सिर्फ पार्टीसिपेशन ही कर ले तो भी उसे 300 अंक मिलेंगे। इसी को आधार मानते हुए मानसी ने खेल विभाग से विक्रम अवाॅर्ड के लिए अपनी दावेदारी पेश की थी।
चार साल में हो रही वर्ल्ड चैंपियनशिप, इसका प्रमाण प्रधानमंत्री की बधाई
वर्ल्ड चैंपियनशिप को लेकर मप्र के खेल विभाग का तर्क है कि वह दो साल में आयोजित की जा रही है, जबकि 2018 के 4 साल बाद इसका आयोजन 3 से 4 दिसंबर 2022 में भी किया गया। इसका प्रमाण यह है कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 में बंगलुरू में आयोजित योग की वर्ल्ड चैंपियनशिप को लेकर बधाई संदेश भी दिया था। इससे साफ पता चलता है कि मप्र के खेल विभाग ने विक्रम अवॉर्ड अपूर्व दुबे को देने को लेकर ना केवल जल्दबाजी की, बल्कि नियमों का भी पालन नहीं किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी थी बधाई
विक्रम अवॉर्डी अपूर्व ने डिस्क थ्रो से ली नौकरी और पावर लिफ्टिंग से अवॉर्ड
इंदौर के रेलवे कर्मचारी अपूर्व दुबे को मप्र के खेल विभाग द्वारा दिए गए विक्रम अवॉर्ड को लेकर एक और बड़ी जानकारी सामने आ रही है। उसने 2013 में डिस्क थ्रो के आधार पर रेलवे में राजकोट में ग्रुप डी में नौकरी हासिल की। अपूर्व ने बताया कि उसके बाद लगातार रेलवे की तरफ से खेला, लेकिन ना तो मैडल मिला। बल्कि उसका गेम भी बिगड़ने लगा। इसके बाद 2017 में अपूर्व का इंदौर तबादला हो गया। उसके बाद अपूर्व ने अपना गेम बदला और पावर लिफ्टिंग में खेलने लगा। इसमें वह मैडल लाने लगा तो इसी खेल के साथ आगे बड़ा और फिर विक्रम अवॉर्ड के लिए आवेदन कर प्राप्त भी किया।
विक्रम अवॉर्ड में मप्र खेल विभाग की जागूदरी से अपूर्व के मैडल को लेकर भी अब सवाल खड़े हो गए हैं, क्योंकि उसने कोर्ट में अभी तक अपने सर्टीफिकेट ही नहीं दिखाए हैं। अपूर्व ने बताया कि रेलवे के सभी कर्मचारी पावर लिफ्टिंग इंडिया की तरफ से ही खेलते हैं। इसलिए उसने भी इसी फेडरेशन की तरफ से अपने खेल को जारी रखा। खेल विशेषज्ञों के अनुसार इसमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर मप्र के खेल विभाग ने विक्रम अवॉर्ड के लिए अपूर्व को पात्र माना है तो यह बात स्पष्ट है कि पावर लिफ्टिंग में अपूर्व ने मप्र का प्रतिनिधित्व किया होगा और उसमें मैडल भी लिया होगा। अब बात यह आती है कि अगर अपूर्व ने मप्र का प्रतिनिधित्व किया तो क्या उसने रेलवे की तरफ से इसके लिए एनओसी ली थी। वहीं, एक और बात, जब यह खेल रेलवे बोर्ड में है तो फिर रेलवे ने अपूर्व को विभाग की तरफ से खेलने के बजाए किसी और फेडरेशन की तरफ से खेलकर मप्र का प्रतिनिधत्व करने के लिए क्यों अनुमति दी। इन दोनों ही मामलों को अपूर्व ने कोर्ट में छिपाया है और जानकारी देने से बच रहा है।
योग खिलाड़ी मानसी के एडवोकेट की तरफ से कोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अपूर्व को जिन मैडल व सर्टीफिकेट के आधार पर मप्र के खेल विभाग ने विक्रम अवॉर्ड के लिए पात्र मानते हुए अवॉर्ड दिया है उनकी जांच कराई जाए। साथ ही यह भी देखा जाए कि अपूर्व के पास उक्त प्रतियोगिताओं में खेलने को लेकर रेलवे की तरफ से कोई अधिकृत पत्र या एनओसी था भी या नहीं। क्योंकि ऐसे कैसे संभव हो सकता है कि जो खेल रेलवे में है उसी खेल को रेलवे का खिलाड़ी रेलवे की तरफ से खेलने के बजाए किसी और फेडरेशन कर तरफ से ना केवल खेले बल्कि किसी प्रदेश का प्रतिनिधित्व तक कर ले।