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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने 1 सितंबर 2025 को विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का उद्घाटन किया। यह घड़ी भारतीय समय पद्धतियों पर आधारित है। इसे विश्व की पहली वैदिक घड़ी माना जा रहा है। घड़ी को भोपाल स्थित मुख्यमंत्री निवास के प्रवेश द्वार पर लगाया गया है। उद्घाटन के मौके पर शौर्य स्मारक से बाइक रैली निकाली गई। यह रैली रवींद्र भवन और मप्र सीएम हाउस तक पैदल मार्च में बदल गई।
संस्कृति सलाहकार श्रीराम तिवारी ने बताया कि यह आयोजन भारतीय संस्कृति और समय पद्धतियों को पुनः स्थापित करने की दिशा में जरूरी कदम है।
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी उन्होंने किया निर्मित
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी (Vikramaditya Vedic Clock) उत्तर प्रदेश के के इंजीनियर आरोह श्रीवास्तव और उनकी टीम ने किया है। इस घड़ी में पारंपरिक 24 घंटे के बजाय 30 मुहूर्त होते हैं। प्रत्येक मुहूर्त 48 मिनट का होता है। यह घड़ी सूर्योदय से सूर्योदय तक का समय मापती है। इसमें पंचांग, नक्षत्र, योग, करण, व्रत, त्यौहार, मौसम, ग्रह-नक्षत्र स्थिति और शुभ मुहूर्त की जानकारी दी जाती है। घड़ी कृषि संबंधित भविष्यवाणियों को भी प्रस्तुत करती है।
भारत का समय - पृथ्वी का समय
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) September 1, 2025
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा "विक्रमादित्य वैदिक घड़ी" का लोकार्पण
💠 युवाओं से संवाद एवं वाहन रैली का आयोजन
🗓️ 1 सितम्बर, 2025
📍 मुख्यमंत्री निवास, भोपाल@DrMohanYadav51#CMMadhyaPradesh#MadhyaPradeshpic.twitter.com/eaa5iq9Fy2
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विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के ऐप की खासियत
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के साथ एक मोबाइल ऐप भी विकसित किया गया है। यह ऐप 189 भाषाओं में उपलब्ध है और इसके माध्यम से उपयोगकर्ता वैदिक समय, सूर्य उदय-अस्त, 30 मुहूर्तों की जानकारी, शुभ-अशुभ मुहूर्त, मौसम की जानकारी, तापमान, हवा की गति, आर्द्रता, GMT और IST समय जान सकते हैं। इसके अलावा, धार्मिक कार्यों, व्रत और साधना के लिए अलार्म और नोटिफिकेशन की सुविधा भी इस ऐप में उपलब्ध है।
पंचांगों में मतभेद क्यों होते हैं?
विक्रमादित्य वैदिक ऐप के निदेशक श्रीराम तिवारी के अनुसार, भारतीय पंचांगों में मतभेद का मुख्य कारण अलग-अलग शहरों में रहने वाले ज्योतिषियों द्वारा अपनी-अपनी कालगणना की प्रणालियां विकसित करना है। कुछ शास्त्रों के अनुसार, समय और तिथियों की गणना का तरीका अलग-अलग हो सकता है, लेकिन यह मतभेद केवल भौगोलिक कारणों से हुआ है, ना कि भारतीय कालगणना की परंपरा में कोई अंतर होने के कारण।
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विक्रमादित्य वैदिक घड़ी की सफलता
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2024 में किया था। यह घड़ी दुनिया की पहली घड़ी है, जो भारतीय कालगणना के सभी घटकों को शामिल करती है। इस घड़ी में विक्रम संवत, योग, भद्रा, पर्व, शुभाशुभ मुहूर्त, घटी, नक्षत्र, जयंती, व्रत, त्योहार, चौघड़िया, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण आदि सभी जरूरी जानकारी दी जाती है।
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वैदिक घड़ी के फायदे
1. भारतीय संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देती है:
वैदिक घड़ी भारतीय संस्कृति और विरासत का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह घड़ी भारतीय काल गणना प्रणाली को संरक्षित करने और लोकप्रिय बनाने में मदद करती है।
2. भारतीय काल गणना प्रणाली को समझने में मदद करती है:
वैदिक घड़ी भारतीय काल गणना प्रणाली को समझने का एक सरल तरीका प्रदान करती है। यह घड़ी तिथि, नक्षत्र, योग, करण और मुहूर्त जैसे महत्वपूर्ण अवधारणाओं को दर्शाती है।
3. सूर्योदय और सूर्यास्त का समय बताती है:
वैदिक घड़ी सूर्योदय और सूर्यास्त का समय दिखाती है, जो कि भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है।
4. समय का एक अनोखा दृष्टिकोण प्रदान करती है:
वैदिक घड़ी समय का एक अनोखा दृष्टिकोण प्रदान करती है। यह घड़ी 30 घंटे का समय दिखाती है, जो कि आधुनिक घड़ियों से अलग है।
5. जीवन में अनुशासन और संतुलन लाती है:
वैदिक घड़ी जीवन में अनुशासन और संतुलन लाने में मदद कर सकती है। यह घड़ी हमें प्राकृतिक चक्र के साथ तालमेल बिठाने में मदद करती है।
6. वैदिक ज्योतिष और धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोगी:
वैदिक घड़ी वैदिक ज्योतिष और धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोगी है। यह घड़ी शुभ मुहूर्त और त्योहारों का समय बताने में मदद करती है।
7. पर्यावरण के अनुकूल:
वैदिक घड़ी पर्यावरण के अनुकूल है। यह घड़ी बिजली पर निर्भर नहीं करती है।
8. पर्यटन को बढ़ावा दे सकती है:
वैदिक घड़ी पर्यटन को बढ़ावा दे सकती है। यह घड़ी भारत के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है।
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