रायसेन के सरार बीट में छोड़े गए 6 गिद्धों में से 3 की मौत, भूख ने ले ली जान!

मध्यप्रदेश में 16 अप्रैल 2025 को केरवा से छोड़े गए 6 गिद्धों में से 3 की गर्मी और भोजन की कमी के कारण मौत हो गई। यह जानकारी GPS डिवाइस से मूवमेंट न मिलने पर सामने आई।

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Kaushiki
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6 गिद्धों में से 3 की मौत
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मध्यप्रदेश के केरवा में 16 अप्रैल 2025 को गिद्ध संवर्धन और प्रजनन केंद्र (Vulture Cultivation and Breeding Center) से 6 गिद्धों को पश्चिमी रायसेन रेंज की सरार बीट में छोड़ा गया था, ताकि वे प्राकृतिक वातावरण में जीवन जी सकें।

इन गिद्धों का उद्देश्य था, पर्यावरण में सामंजस्य स्थापित करना और उनके प्राकृतिक आवास में उनका पुनर्वास करना। लेकिन, गर्मी और भोजन की कमी के कारण इनमें से 3 गिद्धों की मौत हो गई। यह तब पता चला जब उनके GPS डिवाइस से कोई मूवमेंट नहीं पाया गया।

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मौत का कारण

बता दें कि, वन विहार के संचालक विजय कुमार के मुताबिक, इन गिद्धों को पहली बार प्राकृतिक वातावरण में छोड़ा गया था, लेकिन उन्होंने भोजन नहीं किया और गर्मी के कारण उनकी मौत हो गई।

उन्होंने बताया कि, ये गिद्ध चार साल तक गिद्ध संवर्धन और प्रजनन केंद्र केरवा में रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि सरार बीट में प्राकृतिक वातावरण मिलेगा, लेकिन गिद्धों ने वहां रहते हुए भोजन नहीं किया, जिससे भूख और लू लगने से उनकी मौत हो गई। Madhya Pradesh

वन विहार टीम का रेस्क्यू ऑपरेशन

वहीं, इन गिद्धों के जब जीपीएस कॉलर से कोई मूवमेंट नहीं पाया गया, तो वन विहार की टीम सरार बीट में पहुंची। वहां तीन गिद्ध मृत मिले और तीन जीवित गिद्धों को रेस्क्यू किया गया। इनमें से एक गिद्ध को रायसेन के वन कर्मचारियों ने रेस्क्यू किया, जबकि दो गिद्धों को वन विहार टीम ने रेस्क्यू करके भोपाल भेज दिया। मृत गिद्धों का पोस्टमार्टम कराया गया और उनके मौत के कारणों की जांच की गई।

गिद्धों की स्वास्थ्य जांच

वन विहार टीम के मुताबिक, इन गिद्धों को सरार बीट में छोड़ने से पहले, 8 अप्रैल 2025 को इनकी स्वास्थ्य जांच की गई थी। मॉर्फोमेट्री (आकार, लंबाई, वजन) और शारीरिक तथा रक्त के नमूनों की जांच में ये गिद्ध छोड़े जाने के लिए उपयुक्त पाए गए थे।

12 अप्रैल 2025 को गिद्धों पर ऑर्निट्रैक 25 सौर ऊर्जा संचालित जीपीएस-जीएसएम ट्रैकर लगाए गए थे, ताकि उनके आवागमन और आवास उपयोग की निगरानी की जा सके। एक गिद्ध के जीपीएस और कॉलर आईडी की कीमत लगभग 3 लाख रुपए थी।

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गणना एक ही दिन में की गई

बता दें कि, मध्यप्रदेश के गिद्ध गणना (MP Vultures Couting) अभियान के तहत, 20-21 अप्रैल को यह अभियान शुरू हुआ। जहां 6:30 AM से 8:30 AM तक गिद्धों की गणना की गई। इस बार गणना एक ही दिन में की गई, जबकि पहले यह तीन दिनों तक चलती थी। इस साल फरवरी में भी गिद्ध गणना की गई थी, जिसमें 1500 से अधिक गिद्ध पाए गए थे।

सामान्य वन मंडल रायसेन और डीएफओ औबेदुल्लागंज के क्षेत्र में गिद्धों की संख्या पर विशेष ध्यान दिया गया। इस गणना में अप्रवासी गिद्धों को भी शामिल किया गया, जो गर्मी के महीनों में वापस चले जाते हैं।

केंद्र सरकार का सख्त रुख

केंद्र सरकार ने गिद्धों की स्थिति को देखते हुए, इस प्रकार के मामलों पर कड़ी निगरानी रखने और रेस्क्यू ऑपरेशन की दिशा में कदम उठाने का निर्देश दिया है। साथ ही, गिद्धों की बढ़ती संख्या और उनके संरक्षण के लिए भी आगे के प्रयासों की योजना बनाई जा रही है।

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