MP व्यापमं घोटाले में अदालत ने 11 लोगों को पाया दोषी, सॉल्वर गैंग को सुनाई 3-3 साल की सजा

व्यापमं घोटाले में कोर्ट ने 11 लोगों को 3 साल की जेल और 16-16 हजार जुर्माने की सजा सुनाई है। इन सभी को MP PMT-2009 परीक्षा में फर्जीवाड़े का दोषी पाया।

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Rohit Sahu
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मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले (Vyapam Scam) में शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया। एमपी पीएमटी-2009 परीक्षा में फर्जी तरीके से सिलेक्ट होने वाले 11 आरोपियों को दोषी ठहराया गया। विशेष न्यायाधीश सचिन कुमार घोष की अदालत ने सभी को तीन-तीन साल जेल और 16-16 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।

कोहेफिजा थाने में 2012 में दर्ज हुआ था यह केस

यह मामला वर्ष 2012 में भोपाल के कोहेफिजा थाने में दर्ज हुआ था। प्रारंभिक जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई ने गहराई से जांच करते हुए वर्ष 2015 में दो अभियोग पत्र अदालत में पेश किए थे।

एमपी पीएमटी घोटाला, बैठाए गए थे सॉल्वर

सीबीआई लोक अभियोजक सुशील कुमार पांडे ने बताया कि 5 जुलाई 2009 को आयोजित एमपी पीएमटी परीक्षा में पांच छात्रों ने खुद की जगह अन्य लोगों को परीक्षा में बैठाया। जिन छात्रों ने फर्जीवाड़ा किया, उनके नाम हैं – विकास सिंह, कपिल परते, दिलीप चौहान, प्रवीण कुमार और रवि सोलंकी (जिसकी मौत हो चुकी है) शामिल थे।

इनकी जगह परीक्षा में बैठे थे

नागेंद्र कुमार, अवधेश कुमार, रमेश कुमार, प्रीतेश सिंह और शिवकरण साहू। इन ‘सॉल्वरों’ ने फर्जी नाम और पहचान से परीक्षा दी और सभी एग्जाम में पास हो गए।

दलालों ने पैसे लेकर बिठाए थे नकली कैंडिडेट

इस घोटाले में दो दलालों की प्रमुख भूमिका सामने आई जिसमें सत्येंद्र सिंह और ज्ञानेंद्र त्रिपाठी शामिल हैं। जांच में सामने आया कि पैसों के लेन-देन के आधार पर इन दलालों ने छात्रों की जगह सॉल्वरों को परीक्षा में बिठवाया। इसके बदले में मोटी रकम वसूली गई थी। यह सारा फर्जीवाड़ा सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया।

कोर्ट में पेश साक्ष्यों से साबित हुआ अपराध

सीबीआई ने अदालत में जो दस्तावेज, गवाह और तकनीकी सबूत पेश किए, उनके आधार पर सभी 11 आरोपियों को दोषी माना गया। सजा पाने वालों में परीक्षा देने वाले सॉल्वर, असली अभ्यर्थी और दलाल सत्येंद्र सिंह शामिल हैं। हालांकि, साक्ष्य के अभाव में दलाल ज्ञानेंद्र त्रिपाठी को अदालत ने आरोपी मुक्त कर दिया।

अब कोर्ट ने 3 साल की सजा और जुर्माना लगाया

कोर्ट ने कहा कि यह अपराध न केवल परीक्षा प्रणाली की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि योग्य छात्रों का हक भी छीनता है। इसी आधार पर कोर्ट ने सभी दोषियों को 3-3 साल की कठोर कैद और 16-16 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।

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व्यापमं घोटाल क्या था

व्यापमं घोटाला मध्य प्रदेश में एक बड़ा प्रवेश परीक्षा घोटाला था, जिसमें सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आयोजित परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर धांधली और अनियमितताएं हुईं। इस घोटाले में कई लोगों की गिरफ्तारी हुई और सीबीआई जांच के बाद कई दोषियों को सजा भी हुई। व्यापमं घोटाले में कई लोगों की मौत हुई, जिनमें से कुछ की हत्या हुई और कुछ ने आत्महत्या की। इस घोटाले की जांच के दौरान शिवराज सिंह चौहान की सरकार पर कई सवाल उठे थे।

पूरी खबर को 5 प्वाइंट में समझिए  

  1. मामला एमपी पीएमटी-2009 परीक्षा का है, जिसमें फर्जी अभ्यर्थी परीक्षा में बैठे।

  2. 2012 में कोहेफिजा थाने में मामला दर्ज हुआ, जिसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर CBI को सौंपा गया।

  3. 5 छात्रों ने अपनी जगह सॉल्वर को परीक्षा में बैठाया, सभी फर्जी अभ्यर्थी परीक्षा पास भी हो गए।

  4. दलाल सत्येंद्र सिंह और ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने ली थी पैसे, फर्जीवाड़े का पूरा प्लान उन्होंने बनाया।

  5. कोर्ट ने 11 आरोपियों को दोषी ठहराकर 3 साल की जेल और जुर्माना की सजा सुनाई, जबकि एक आरोपी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।

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