क्या मंत्री विजय शाह की माफी के बाद पसीजा बीजेपी हाईकमान?

मध्‍य प्रदेश के मंत्री विजय शाह की माफी के बाद बीजेपी हाईकमान घबराया है। हाईकोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज होने के बावजूद शाह ने इस्तीफा नहीं दिया। इससे साफ हो गया है कि उनका इस्तीफा अब नहीं होगा।

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भोपाल. मध्य प्रदेश के बदजुबान मंत्री विजय शाह के माफी मांगने से बीजेपी हाईकमान पसीज गया है। यही वजह है कि हाईकोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज होने के बाद भी अब तक विजय शाह का इस्तीफा नहीं हुआ। मतलब, साफ है कि अब शाह का इस्तीफा नहीं होगा। 

इसकी कुछ बड़ी वजह हैं। एक तो बीजेपी यह संदेश देना चाहती है कि वह किसी भी तरह के दबाव में फैसला नहीं लेती। दूसरी, विजय शाह की आदिवासी वोटर्स में जबरदस्त पकड़ है। वे आठ बार के विधायक हैं। शिवराज सरकार में भी मंत्री रहे हैं। बीजेपी किसी भी सूरत में विपक्ष को इस मामले का श्रेय नहीं देना चाहती है।

कुल मिलाकर कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ गटरछाप भाषा का इस्तेमाल करने वाले मंत्री विजय शाह की कुर्सी बची रहेगी। 

सरकार क्या मंत्री के साथ है?

देर रात भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन मंत्री हितानंद शर्मा के बीच चर्चा हुई। मीटिंग में सहमति बनी कि कोर्ट के आदेश का पालन किया जाए। यानी बदजुबान मंत्री पर धर्म, जाति, भाषा के आधार पर बांटने का केस दर्ज हो, लेकिन इस्तीफा नहीं। क्योंकि इस्तीफा लेने के लिए कोर्ट ने कहा ही नहीं।

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जातीय समीकरण विजय शाह के पक्ष में

मंत्री विजय शाह गोंडों की सबसे उच्च उपजाति राजगोंड से आते हैं। प्रदेश में कुल जनजाति आबादी लगभग 1.63 करोड़ है, जो प्रदेश की कुल आबादी की लगभग 21.5 फीसदी है। जनजातीय आबादी में गोंडों की हिस्सेदारी 35.6 प्रतिशत है, जो करीब 58 लाख के आसपास बैठती है। निमाड़ के गोंड आदिवासी विजय शाह आज भी अपना राजा मानते हैं। यही कारण है कि शाह 1990 से लगातार खंडवा की हरसूद विधानसभा सीट से विधायक हैं।

बीजेपी की रणनीति भी कुछ अलग है। 11 मई को विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर बयान दिया था, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई। यानी साफ है कि इसके जरिए बीजेपी यह संदेश देना चाहती है कि कोई भी फैसला आनन-फानन में नहीं लिया जाएगा। वहीं, विपक्ष और दूसरे दल विजय शाह पर लगातार हमला कर रहे हैं। ऐसे में बीजेपी किसी भी सूरत में नहीं चाहती कि कांग्रेस या दूसरे विपक्षी दल किसी तरह का श्रेय लें।

गौरतलब है कि विजय शाह ने खुद इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था। तब यह भी सामने आया कि वे मोदी-शाह से बात करने के बाद कोई फैसला लेंगे। उसी के बाद से कायस लगाए जा रहे थे। अब समीकरण बदल गए हैं।

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