हरीश दिवेकर @ BHOPAL.बसंत की इस बेला में बीजेपी की हवा है। लगता है कि पराग में, पवन में, पत्तों में, यहां तक कि कोयल के कंठ में और दिशाओं में, सारे देश में बीजेपी की ही छटा आलोकित हो रही है। भोपाल में, दिल्ली में, छिंदवाड़ा में सर्वत्र बीजेपी चहक रही है।
कांग्रेस को इस बसंत में 'नई कोपलों' का इंतजार है। उसके नेता कह रहे हैं कि जब बसंत आता है तो पुराने पत्ते गिर जाते हैं और नए पत्ते आते हैं। देखते हैं ये 'नए पत्ते' कांग्रेस के पुराने वृक्ष को कितना हरा- भरा बनाते हैं। फिलहाल तो कांग्रेस अ-नाथ होने वाली है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा दिग्गज नेता कमलनाथ एवं उनके पुत्र सांसद नकुलनाथ का बीजेपी में जाना लगभग तय है। टिकट मिलने की गारंटी पर 30 कांग्रेस विधायक भी पाला बदल सकते हैं। 4 मेयर और कांग्रेस के 'सज्जन' भी बीजेपी ज्वाइन कर सकते हैं(Bol hari bol)।
उधर, मकवाना के तेवर से गुप्ताजी परेशान हैं। डॉक्टर साहब ने इलाज की तैयारी कर ली है। दल- बदल में भी मोदी जी की गारंटी की दुहाई दी जा रही है। उधर जोशी जी का अलग दर्द है। खैर देश- प्रदेश में खबरें तो और भी हैं पर आप तो सीधे नीचे उतर आइए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।
आलाकमान की 'गारंटी' का इंतजार
सूत्रों के अनुसार, कमलनाथ के साथ उनके समर्थक विधायक भाजपा में जाने के लिए तैयार हैं। हालांकि, वे तभी दिशा बदलेंगे, जब बीजेपी आलाकमान से उन्हें विधायकी का टिकट देने की गारंटी मिलेगी। कमलनाथ के समर्थक विधायकों की संख्या 30 तक बताई जा रही है। इसके पीछे वजह यह है कि 22 विधायकों के बाद दल-बदल कानून नहीं लगेगा। ऐसे में मोदी-शाह से टिकट की गारंटी मिली तो सभी भाजपा में शामिल हो जाएंगे। दूसरी तरफ बीजेपी नेताओं की अलग चिंता है। उनका तर्क है कि यूं ही 'ज्वाइनिंग' चलती रही तो घर वाले और बाहर वालों में फिर अंतर क्या रह जाएगा।
अब महाराज का क्या होगा..!
बीजेपी की हवा ऐसी है कि
जहां से चली, जहां को गई,
शहर, गांव, बस्ती, झुलाती चली।
बीजेपी की हवा भी ऐसी ही है जनाब! सब झूल रहे हैं। सज्जन कह रहे हैं कि कमलनाथ जहां जाएंगे, मुझे भी जाना पड़ेगा। मालवा के महाराज का राग भी ऐसा ही है। सज्जन तो सज्जन हैं, महाराज की चिंता ज्यादा बड़ी है। वे तो 'मूल्यों' की खातिर बीजेपी से कांग्रेस में आए थे। कांग्रेस से टिकट भी मिल गया, पर जनता ने आशीर्वाद नहीं दिया तो अब हाशिए पर चले गए। महाराज की मामा से बदलापुर की ख्वाहिश भी अधूरी ही रही। अब जब 'साहब' बीजेपी में जा रहे हैं तो महाराज को अपना सियासी कॅरियर डूबता नजर आ रहा है। आपकी जानकारी के लिए पंडित जी के पिता बीजेपी की दिग्गज नेता और एमपी के मुख्यमंत्री रहे हैं।
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एक खबर से चहक उठे अफसर
बासंती मौसम में जैसे आम के पेड़ों पर आए बौर, अंगारों की तरह दिखते पलाश के फूल, हरियाली से ढंकी धरती और गुलाबी ठंड जैसी प्रकृति का श्रृंगार करती है, वैसे ही कमलनाथ के बीजेपी में जाने की खबर ने उनके करीबी अफसरों की बांछें खिला दी हैं। उन्हें भरोसा है कि नाथ जैसे ही कमल के होंगे तो उनके दिन फिर जाएंंगे। दरअसल, कमलनाथ सरकार जाने के बाद से उनके करीबी अफसरों को तत्कालीन शिवराज सरकार ने लूप लाइन में डाल दिया था। मोहन सरकार आने के बाद वे मुख्यधारा में आने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सफलता नहीं मिली। एक साहब ने तो फोन करके सारी जानकारी तक हमसे ले डाली। बोले, साहब के बीजेपी में जाने की खबर ने उम्मीद बढ़ा दी है। इन सबके बीच मामा के करीबी अफसरों को कोई किरण नहीं दिख रही।
कम बैक करने की कोशिश में जुटे साहब
हाल ही में मंत्रालय से बाहर हुए साहब ने वापस मैन स्ट्रीम में आने के लिए जोड़- तोड़ शुरू कर दिया है। साहब के प्रयासों से उन्हें एक विभाग का अतिरिक्त चार्ज भी मिल गया है। उन्होंने बड़े स्तर पर लिंक खोजकर सेटिंग बैठाई है कि किसी भी तरह से मंत्रालय में फिर कुर्सी मिल जाए। हालांकि साहब को ये अच्छे से पता है कि जिस दिन प्रशासनिक मुखिया उनसे जूनियर बन गया तो फिर से मंत्रालय से बाहर होना पड़ेगा। इसके बावजूद साहब मंत्रालय में वापसी करने को बेताब हैं। उनका मानना है कि जितने दिन भी मंत्रालय की चाय- पानी मिल जाए उतना बेहतर। फिर तो किसी बाहरी संस्थान में बैठकर खुरचन समेटकर ही काम चलाना होगा। बता दें कि ये साहब मंत्री स्टॉफ की भर्ती को लेकर विवादों में आ चुके हैं, उसके बाद से भर्ती की फाइल ही ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है।
माननीय ने निकाली अकड़
जांच एजेंसी के माननीय ने प्रमुख सचिव को आधा घंटा इंतजार करवाकर उनकी अकड़ निकाल दी। दरअसल ये साहब पहले पांचवीं मंजिल पर बैठा करते थे, तब इनकी माननीय से अच्छी खासी अनबन हो गई थी। अब ये साहब चौथी मंजिल पर आ गए, औपचारिक भेंट करने के लिए माननीय से समय लेकर गए, लेकिन माननीय ने उन्हें अपने कक्ष के बाहर आधे घंटे तक इंतजार करवाकर अहसास दिलवा दिया कि ये मेरा इलाका है यहां सिर्फ अपुन की ही चलेगी।
चौपर का भुगतान करवा दो भाई
चुनाव के दौरान साहब ने जमकर चौपर में उड़ान भरी, कभी इस जिले में जाकर चुनावी प्रक्रिया देखी तो कभी उस जिले में जाकर अफसरों की क्लास ली। चुनाव खत्म हुआ सरकार भी बन गई, अब साहब इस बात से परेशान है कि सरकार चौपर की उड़ान का भुगतान नहीं कर रही। उनकी फाइल इस विभाग से उस विभाग में भेजी जा रही है। उधर निजी हवाई कंपनी वालों ने भुगतान के रिमाइंडर पर रिमाइंडर देकर साहब की नींद का उड़ा रखी है।
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ये सिलसिला कोई समझ ही नहीं पाया
इन दिनों राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चा है कि क्या डॉक्टर साहब की सरकार में संघ का दखल कम हो गया है। दरअसल, संघ की सिफारिश पर निगम मंडलों में बैठे लोगों की कुर्सी छिन गई है। ये कोई हल्के पतले नेता जी नहीं हैं। ये तो वे हैं जो जब संघ से संगठन में आकर बैठे थे तो डॉक्टर साहब सहित कई मंत्री इनकी बात काटने से डरते थे, लेकिन आज हालात ये हैं कि उन्हें सोशल मीडिया और मीडिया से खबर मिली कि कल से निगम मंडल के कार्यालय में न जाएं। घोड़ा- गाड़ी और कर्मचारी भी तत्काल बुला लिए गए। हालांकि संघ के साथ कई बीजेपी पदाधिकारी भी हटाए गए हैं, लेकिन उनका कोई ऐसा रौब रुतबा नहीं था कि उनके हटने पर कोई चर्चा हो।
मकवाना के तेवर से गुप्ता जी परेशान
स्पेशल डीजी कैलाश मकवाना के मुखर होने से लोकायुक्त की परेशानी बढ़ गई है। दरअसल लोकायुक्त एनके गुप्ता ने मकवाना की सीआर खराब कर दी है, मामला तीन महीने पुराना है। अब तक मकवाना चुप थे, लेकिन अचानक वे मुखर हो गए हैं। इससे मीडिया में एक ईमानदार अफसर को प्रताड़ित होने की खबर बाजार में आ गई। इधर, लोकायुक्त का कार्यकाल अक्टूबर में पूरा हो चुका है, लेकिन एक्ट में हुए संशोधन के चलते नए लोकायुक्त की नियुक्ति तक वे एक साल और पद पर बने रह सकते हैं। मकवाना का मामला उछलने के बाद सूबे के मुखिया ने नए लोकायुक्त को लाने की तैयारी शुरू कर दी है, ऐसे में गुप्ता एक साल से पहले हट सकते हैं।
अनऑफिशियल ओएसडी का पॉवर
दवा- दारू वाले महकमे के उपमुख्यमंत्री के एक अनऑफिशियल ओएसडी इस समय फुल पॉवर में हैं। हालात ये है कि मंत्री के पहले ओएसडी रहे साहब भी अपनी पोस्टिंग नहीं बचा पाए। यूं कहे कि पुराने ओएसडी को मंत्री के सारे राज पता हैं, लेकिन नए होने वाले ओएसडी ने मंत्री पर अपना शिकंजा कस लिया है। ये साहब भोपाल में ही पदस्थ हैं। मंत्री के ओएसडी बनने के लिए इनकी नोटशीट चली हुई है, लेकिन पोस्टिंग होने से पहले ही साहब ने मंत्री के यहां अनऑफिशियल तरीके से ओएसडी का काम शुरू कर दिया है।
कोई उन्हें बीजेपी का प्रवक्ता न कहे!
राष्ट्रीय स्तर के एक कथावाचक महाराज इन दिनों खासे परेशान हैं। विपक्षी उन्हें बीजेपी का प्रवक्ता करार देते हैं, लेकिन महाराज का दावा है कि वे सनातन के प्रचारक हैं। एक दिन पहले भोपाल आए महाराज से जब मीडिया ने प्रवक्ता वाला सवाल फिर पूछ लिया तो वे बोले, बहुत से लोग मुझे बीजेपी का प्रवक्ता कहते हैं, लेकिन यह सोच गलत है। मैं बीजेपी का प्रवक्ता नहीं हूं, बल्कि सनातन का प्रचारक हूं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महाराज अपने बयानों से आए दिन सुर्खियों में रहते हैं। पिछले दिनों जनसंख्या वृद्धि को लेकर ठाकुर जी ने विवादित बयान दिया था