व्हीलचेयर खरीदी घोटाला : विभागीय अधिकारियों ने लाखों की कमीशन के लिए फर्म से किया घोटाला

श्योपुर में व्हीलचेयर की खरीदी में विभागीय अधिकारियों का बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां 1 लाख 43 हजार रुपए की अधिक भुगतान को उजागर किया गया है।

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Amresh Kushwaha
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मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में व्हीलचेयर की खरीदी को लेकर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। जहां प्रदेश सरकार दिव्यांगजनों के लिए कई योजनाएं चला रही है, वहीं एक फर्म के साथ मिलकर विभागीय अधिकारियों ने लाखों रुपए का घोटाला किया है। विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान व्हीलचेयर की खरीदी की गई थी। उस समय ग्राम पंचायतों को व्हीलचेयर 5 हजार रुपए की दर पर दी गई थी। लेकिन वही फर्म जब लोकसभा चुनाव के दौरान व्हीलचेयर सप्लाई करती है, तो कीमत 8 हजार 400 रुपए हो जाती है। इस आश्चर्यजनक वृद्धि के कारण विभाग को 1 लाख 43 हजार रुपए अधिक चुकाने पड़े।

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कमीशन के कारण किमतो में वृद्धि

यह घोटाला उस समय उजागर हुआ, जब एक विभागीय कर्मचारी अशोक यादव ने कलेक्टर से शिकायत की। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि विभागीय अधिकारियों ने जानबूझकर व्हीलचेयर की कीमत बढ़वा दी, ताकि कमीशन का भुगतान किया जा सके। उनका आरोप है कि इस घोटाले में उच्च अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है। यादव का कहना था कि क्या यह सिर्फ एक संयोग था या फिर कुछ और? उन्होंने कहा कि व्हीलचेयर की कीमत में इतनी बड़ी बढ़ोतरी ने संदेह पैदा किया है। इस मामले में विभागीय अधिकारियों की भूमिका की जांच की जानी चाहिए।

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नियमों की उड़ाई गई धज्जियां

सवाल यह भी उठता है कि नियमों की धज्जियां क्यों उड़ाई गई। सरकार के नियमों के अनुसार, 2 लाख 50 हजार रुपए से अधिक की खरीदारी को निविदा प्रक्रिया के तहत किया जाना चाहिए था, लेकिन इस खरीदारी को सीधे जैम पोर्टल से किया गया। इस प्रक्रिया में कोटेशन के बजाय सीधे खरीदारी की गई। इससे अन्य फर्मो को प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका नहीं मिला। साथ ही सरकार को अधिक भुगतान करना पड़ा।

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फर्म की सफाई, लेकिन सवाल बरकरार

घोटाले के आरोपों पर जवाब देते हुए डिप्टी डायरेक्टर शशिकिरण इक्का ने कहा कि व्हीलचेयर की कीमत में बढ़ोतरी गुणवत्ता और समय के अंतर के कारण की गई थी। उनका कहना था कि जैम पोर्टल पर सबसे सस्ती फर्म से ही खरीदारी की जाती है। लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर यह सब नियमों के तहत किया गया था, तो क्यों अन्य फर्मो को मौका नहीं दिया गया। व्हीलचेयर की कीमत में इतनी बढ़ोतरी क्यों की गई?

लगातार की जा रही फर्म से खरीदारी

अशोक यादव ने आरोप लगाया कि यह खरीदारी एक ही फर्म, एचएचडब्ल्यू केयर प्राइवेट लिमिटेड से लगातार की जाती रही है। उनका कहना था कि विभागीय अधिकारियों शशिकिरण इक्का और राजवीर की मिलीभगत से यह खेल चल रहा है। यह निरंतर खरीदारी और कीमतों में बेवजह वृद्धि किसी बड़े घोटाले का संकेत देती है।

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दिव्यांगजनों पर पड़ेगा घोटाले का असर

इस घोटाले का असर उन दिव्यांगजनों पर भी पड़ सकता है, जिन्हें सरकार के जरिए दी जाने वाली व्हीलचेयरों का इंतजार रहता है। यदि विभागीय अधिकारी इस तरह के घोटालों में शामिल होते हैं, तो सरकारी योजनाओं की वास्तविकता और उनका उद्देश्य सवालों के घेरे में आ जाते हैं। इसके साथ ही सरकारी धन का गलत तरीके से उपयोग भी किया जा रहा है। इससे समाज के गरीब और जरूरतमंद वर्ग को नुकसान हो रहा है।

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